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किसान आंदोलन के बीच हरियाणा के निकाय चुनाव, खट्टर और हुड्डा की साख दांव पर

हरियाणा के सोनीपत, पंचकूला व अंबाला नगर निगम के साथ रेवाड़ी नगर परिषद,  सांपला, धारुहेड़ा और उकलाना नगर पालिका के लिए 27 दिसंबर को मतदान होंगे जबकि नतीजे 30 दिसंबर को आएंगे. यह चुनाव हरियाणा के राजनीतिक भविष्य को तय करने वाला माना जा रहा है, यही वजह है कि सत्तापक्ष से लेकर विपक्षी पार्टियों ने ताकत झोंक दी है. 

भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मनोहर लाल खट्टर भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मनोहर लाल खट्टर
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 22 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 12:57 PM IST
  • हरियाणा के तीन नगर निगम चुनाव के लिए 27 को वोटिंग
  • निकाय चुनाव में जेजेपी और बीजेपी गठबंधन की साख दांव पर
  • किसान आंदोलन के चलते निकाय काफी अहम माना जा रहा

कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के बीच हरियाणा के सात शहरों के स्थानीय निकाय चुनाव का बिगुल बज गया है. सोनीपत, पंचकूला व अंबाला नगर निगम के साथ रेवाड़ी नगर परिषद, सांपला, धारुहेड़ा और उकलाना नगर पालिका के लिए 27 दिसंबर को मतदान होंगे जबकि नतीजे 30 दिसंबर को आएंगे. यह चुनाव हरियाणा के राजनीतिक भविष्य को तय करने वाला माना जा रहा है, यही वजह है कि सत्तापक्ष से लेकर विपक्षी पार्टियों ने ताकत झोंक दी है. 

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देशभर की निगाहें हरियाणा पर टिकी हैं, क्योंकि किसान आंदोलन का सीधा सियासी प्रभाव प्रदेश की राजनीति पर पड़ रहा है. हरियाणा की सत्ता पर काबिज बीजेपी और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) गठबंधन सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, क्योंकि दोनों ही पार्टियां मिलकर चुनावी मैदान में उतरी हैं. वहीं, कांग्रेस और इनेलो निकाय चुनाव के जरिए राजनीतिक ताकत दिखाने की कवायद में है. हालांकि, मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी-जेजेपी गठबंधन के बीच माना जा रहा है.

निकाय चुनाव में गठबंधन के फॉर्मूले के तहत बीजेपी तीनों नगर निगम सोनीपत, पंचकूला और अंबाला के मेयर पद पर अपना उम्मीदवार उतारे हैं. इसके अलावा रेवाड़ी नगर परिषद और सांपला नगर पालिका चेयरमैन पद के लिए चुनावी मैदान में है. वहीं, बीजेपी की सहयोगी जेजेपी धारूहेड़ा और उकलाना नगरपालिका के चेयरमैन (अध्यक्ष) पद के मैदान में हैं.

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वहीं, कांग्रेस तीनों नगर निगम के मेयर सीट के अलावा रेवाड़ी नगर परिषद में चेयरमैन का चुनाव कांग्रेस सिंबल पर चुनाव लड़ रही है जबकि वार्ड पार्षदों के लिए प्रत्याशी नहीं दिए हैं. धारूहेड़ा, उकलाना और सांपला नगर परिषद में अध्यक्ष का चुनाव भी सीधे हो रहा है, लेकिन कांग्रेस ने इसमें भी डायरेक्ट भाग नहीं लिया है.

किसान आंदोलन का असर
अंबाला में भले ही किसान आंदोलन का सीधा प्रभाव न पड़े, लेकिन पंचकूला और सोनीपत सहित अन्य जगहों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है. सोनीपत और संपला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है. रेवाड़ी को 2014 के लोकसभा से ठीक पूर्व कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए राव इंद्रजीत सिंह का गढ़ माना जाता है. राव इंद्रजीत सिंह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में राज्य मंत्री हैं.

रेवाड़ी अहिरवाल की राजनीति का केंद्र बिंदु है. राव इंद्रजीत वहां के अहीर राजाओं के वशंज हैं पर अब वहां उन्हें उनके ही शिष्य कैप्टन अजय यादव से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. पिछले साल के विधानसभा चुनाव में रेवाड़ी से कैप्टन अजय यादव के पुत्र चिरंजीवी राव की जीत हुई थी. 

हरियाणा के सातों शहरों में हो रहे निकाय चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच टक्कर मानी जा रही है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच साख की लड़ाई के रूप में भी यह चुनाव देखा जा रहा है. इसीलिए दोनों नेता अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत के लिए जमकर मेहनत कर रहे हैं. 
 

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