
हरियाणा का मेवात और आसपास के जिले सोमवार से हिंसा की आग में जल रहे हैं. मेवात से सोहना और गुरुग्राम तक हुई सोमवार की हिंसा को लेकर आजतक ने बड़ा खुलासा किया है. इस पूरी हिंसा को लेकर मोनू मानेसर का नाम सबसे तेजी से उभर रहा है. कुछ महीनों पहले राजस्थान के रहने वाले जुनैद और नासिर के जले हुए शव हरियाणा के भिवानी में मिले थे. हत्या का आरोप कथित गोरक्षकों पर लगा. उन्हीं में से एक आरोपी है मोनू मानेसर. वो मोनू मानेसर जिसने खुद मेवात से गुजरने वाली सोमवार की ब्रजमंडल यात्रा में आने के दावा किया. दावा किया गया कि मोनू मानेसर के धार्मिक यात्रा में मेवात आने की अफवाह ने हिंसा को ट्रिगर किया. लेकिन क्या कहानी सिर्फ इतनी है?
इस हिंसा को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर साजिश बताते हैं. हरियाणा के गृहमंत्री ने भी इसे साजिश बताया. लेकिन सवाल है कि साजिश को अंजाम तक पहुंचने किसने दिया? क्या हरियाणा के पुलिस विभाग ने हिंसा की आशंका वाले अलर्ट पर आंख मूंद ली थी? क्या हरियाणा पुलिस ने सोमवार को हिंसा होने के खुफिया इनपुट को हल्के में ले लिया था? इसी से जुड़ा एक बड़ा खुलासा आजतक ने किया है.
इस हिंसा में दो पुलिसकर्मियों की हत्या हुई. तीन नागरिकों की मौत हुई. 150 गाड़ियों को फूंक दिया गया. धार्मिक स्थल पर हमला हुआ. पुलिस के साइबर थाने पर भीड़ ने हमला कर दिया. अस्पताल पर भी भीड़ ने अटैक कर दिया.
हिंसा के बाद उठ रहे कई सवाल
ऐसे में सवाल है कि मेवात की हिंसा साजिश है या खट्टर सरकार की पुलिस की नाकामी? मेवात की आग साजिश है या खुफिया अलर्ट पर सोए रहने की निशानी? मेवात की हिंसा में पांच लोगों की मौत साजिश है या आशंका के बाद भी सतर्क ना होने की कहानी? सवाल ये भी है कि कैसे जला मेवात, किसने जलाया मेवात? खुफिया कैमरे से लेकर ओपन कैमरे तक में आजतक की इनवेस्टिगेशन के जरिए सारा सच सामने आ गया.
आजतक के स्टिंग ऑपरेशन में सीआईडी के इंस्पेक्टर विश्वजीत ने कई खुलासे किए. इंस्पेक्टर विश्वजीत के कंधे पर नूंह के भीतर की खुफिया जानकारी जुटाने और प्रशासन को सावधान करने की जिम्मेदारी है. जानें क्या बातचीत हुई...
रिपोर्टर- क्या सीआईडी के पास मेवात से निकलने वाली ब्रजमंडल यात्रा में किसी हिंसा की आशंका को लेकर इनपुट था?
विश्वजीत- हां हमारे पास इनपुट था कि हिंदू पक्ष के लोग यात्रा निकलेंगे तो दोनों पक्ष का मिलन तो जरूर होगा कहीं न कहीं.
रिपोर्टर- अच्छा ये इनपुट था आपके पास?
विश्वजीत- निकलेंगे बीच से ये तलवार लहराएंगे नारा लगाएंगे
रिपोर्टर- तो पहले से इनपुट आपलोगों ने नहीं दिया था?
विश्वजीत- दिया था. सरकार को हमलोग सब कुछ दे चुके थे
रिपोर्टर- कितने दिन पहले?
विश्वजीत- यही कुछ हप्ता दस दिन पहले.
रिपोर्टर- अच्छा हप्ता दस दिन पहले दे चुके थे?
नूंह के सीआईडी इंस्पेक्टर बताते हैं कि मेवात से निकलने वाली यात्रा को लेकर टकराव के इनपुट थे और हफ्ता दस दिन पहले ही इसकी जानकारी वो पुलिस से लेकर सरकार तक पहुंचा चुके थे. लेकिन फिर भी क्या सीआईडी इंस्पेक्टर के इनपुट को नूंह के पुलिस अधिकारी और प्रशासन ने दरकिनार कर दिया.
CID इंस्पेक्टर के मुताबिक इसी मोनू मानेसर पर भिवानी में फरवरी महीने में जुनैद और नासिर की हत्या का आरोप लगा. आरोपी मोनू मानेसर तब से फरार है. पुलिस की पकड़ से दूर है. नूंह के सीआईडी अफसर विश्वजीत के मुताबिक नासिर जुनैद की हत्या और कथित गोरक्षकों की गुंडागर्दी से नूंह मेवात के लोगों में पहले से गुस्सा था. लेकिन जब मोनू मानेसर के खुद मेवात की यात्रा में आने का वीडियो पहले वायरल हुआ, फिर उसके मेवात पहुंचने की अफवाह फैली, जिससे यह पूरी हिंसा भड़की.
विश्वजीत, सीआईडी इंस्पेक्टर- पुलिस अधिकारियों ने सोचा कि चलो मान जाएंगे, खदेड़ देंगे, उसको नॉर्मली ले लिया. उन्होनें सोचा कि मोनू मानेसर को समझा देंगे.
विश्वजीत- किसी ने अफवा फैला दी की आ गया वो (मोनू मानेसर) आ गया. मंदिर पर यात्रा अब चलने वाली हैं. तो हम यात्रा को रोकेंगे. उनका मकसद उस रास्ते को रोकना है, वो जो मोड है, जिससे यात्रा जानी थी. उनको वहीं ब्लॉक करना था.
रिपोर्टर- कितने टाइम में बिल्डअप हुआ?
विश्वजीत- ज्यादा टाइम नहीं लगा. वहीं एक घंटे में, गांव बहुत नजदीक हैं. इधर उधर से सभी मोटरसाइकिल उठा-उठा कर चल दिए. जो यहां के लोकल हैं न वो और वो बच्चे थे. 17 साल से 21-22 साल के थे. कोई बड़ा मैच्योर नहीं था.
लेकिन अब सवाल यह उठता है कि मोनू मानेसर के आने की अफवाह के बाद अगर हिंसा भड़कती है, तो क्यों फिर नूंह में साइबर पुलिस स्टेशन को निशाना बनाया गया? क्यों इस पर हमला हुआ?
विश्वजीत- जुनैद और नासिर की हत्या ने पहले ही इन लोगों (स्थानीय लोगों) के दिमाग पर गहरी छाप छोड़ी थी. दूसरी बात साइबर अपराध पर नकेल कसने की थी, जिससे उनके लिए बहुत समस्या पैदा हुई. दूसरा उन्हें आश्चर्य हुआ कि पुलिस उनके घरों पर छापेमारी क्यों कर रही थी.
इस तरह ऑपरेशन मेवात की पहली इनवेस्टिगेशन में सीआईडी इंस्पेक्टर विश्वजीत के मुताबिक ये पता चलता है कि...
1- सीआईडी को मेवात की यात्रा में पहले से हिंसा की आशंका थी.
2- पुलिस और प्रशासन को हफ्ता-10 दिन पहले ही हिंसा को लेकर अलर्ट किया गया था.
3- जुनैद-नासिक की हत्या के आरोपी कथित गोरक्षक मोनू मानेसर के मेवात आने की अफवाह उड़ी.
4- एक घंटे के भीतर स्थानीय लोग यात्रा का रूट रोकने के लिए पहुंच गए.
5- अलर्ट के बावजूद अधिकारियों ने सोचा था कि वो जनता को समझा लेंगे लेकिन फेल हुए.
इसके बाद आजतक ने ऑपरेशन मेवात के तहत उस थाने के एसएचओ से खुफिया कैमरे पर बात की, जिनके क्षेत्र में हिंसा सबसे ज्यादा हुई. नूंह सदर थाने के एसएचओ किशन कुमार से आजतक के रिपोर्टर ने CID इंस्पेक्टर विश्वजीत के दावों को लेकर सवाल पूछा. ऑपरेशन मेवात की इनवेस्टिगेशन के दौरान अंडरकवर रिपोर्टर नितिन जैन किशन कुमार के पास इसीलिए पहुंचे ताकि पता कर सकें कि हमारे रिपोर्टर मोहम्मद हिजबुल्ला के सामने जो अलर्ट के इनपुट की बात सीआईडी इंस्पेक्टर ने कही, वो इनपुट लोकल थाने तक पहुंच पाया या नहीं? लेकिन बात की शुरुआत हमने ये जानने से की कि आखिर एक बड़ी धार्मिक यात्रा के दौरान संवेदनशील इलाके के थाने में कितने पुलिस वाले थे?
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एसएचओ- 100 करीब थे
रिपोर्टर- मतलब 100 भी पूरे नहीं थे.
एसएचओ- नहीं थे .
रिपोर्टर- इतना बड़ा जुलूस निकल रहा है, इतना बडा इंतजाम होना चाहिए था.
रिपोर्टर- मैं पूछ रहा हूं सीआइडी वालों ने कोई पेपर चिट्ठी पत्री तो भेजी होगी. आप लोगों को
एसएचओ- सीईडी ने मेरे पास कुछ नहीं भेजा.
रिपोर्टर- कोई ये भी तो आया होगा कि भाई इतने लोग इकट्ठे हो सकते हैं. आप लोगों का ये आपका इंतजाम है...
एचएचओ- ऐसा कुछ नहीं है.
एसएचओ- मेरे स्तर पर कोई बात नहीं हुई है.
एसएचओ- अगर हमें ये पता लग जाता कि ये हो जायेगा. हमें पता होता कि अपने स्तर पर यात्रा को कंट्रोल कर पाना मुश्किल होगा तो हम ऊपर लेवल पर बता देते. इस तरह की कोई इंफोरमेशन नहीं थी.
SHO से बात करने पर पता चला कि सीआईडी ने कहा कि जो अलर्ट हमने भेज दिया, वो स्थानीय थाने तक पहुंचा ही नहीं. तो फिर हिंसा और टकराव की आशंका वाला इनपुट कहां रह गया? एसएचओ नूंह सदर थाने ने बातचीत के दौरान बताया कि कैसे फोर्स की कमी पड़ी.
रिपोर्टर- पुलिस बंदोबस्त इतनी कम क्यों थी?
एसएचओ-जो फोर्स थी, वो सारी लगी हुई थी, इधर आलदोका इधर नलहर से सीधा (firozepur) झिरका जाना झिरका से वापस आना (यहां पर 3-4 गांव का नाम लेता हैं जो क्लियर नहीं हैं.) पूरा तो ये कवर कर रहे हैं. लंबाई बढ़ गई
रिपोर्टर- यात्रा की?
एसएचओ-यात्रा का विस्तार किया गया. लेकिन फोर्स कम था. कोई अतिरिक्त पुलिसकर्मी नहीं थे. 10 से 50 से 200 तक बढ़ गए. बल कम हो गया.
शायद यही वजह है कि एकदम यात्रा जब पीक पर थी. तभी टकराव की पहली घटना के वक्त ही पुलिस कम पड़ गई. पुलिसवाले कहीं भी हिंसा के वक्त तुरंत एक्शन लेकर तनाव कम करने की स्थिति में नहीं थे.
ऑपरेशन मेवात की दूसरी इनवेस्टिगेशन में पता चलता है कि...
1- सीआईडी के पास इनपुट था कि यात्रा में टकराव हो सकता है, लेकिन स्थानीय पुलिस अलर्ट मिलने से इनकार करती है.
2- यात्रा लंबी होने से कई जगह पुलिस तो लगाई गई, लेकिन निगरानी के प्वाइंट बढ़ने से पुलिस की कमी पड़ती गई.
खुफिया कैमरे के बाद अब अपनी इनवेस्टिगेशन बढ़ाने के लिए आजतक ने अधिकारियों से सीधे सवाल किए. नूंह के कलेक्टर और एसपी को एक साथ खड़ा करके पूछना शुरु किया. एक एक करके सवाल किया कि हिंसा का अलर्ट था कि नहीं? अगर था तो फिर क्यों हिंसा नहीं रोकी जा सकी? नूंह के एसपी और कलेक्टर से बातचीत के बाद समझ आया कि एक अफवाह से टकराव और टकराव से बड़ी हिंसा की आग तक माहौल कैसे बिगड़ता गया?
आखिर हिंसा को रोका क्यों न जा सका?
आजतक संवाददाता ने नूंह के कलेक्टर प्रशांत पवार और नूंह के एसपी नरेंद्र बिजारनिया से एक एक करके वो सवाल पूछे, ताकि साफ हो जाएगा हिंसा क्यों भड़की और रोका क्यों नहीं जा सका?
सवाल- प्रशासन को जानकारी थी कि संवेदनशील इलाका है, शोभा यात्रा निकलनी है तो इजाजत कैसे दी और क्या सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त थी?
जवाब- शोभायात्रा हर साल निकाली जाती है. कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक सभी की ड्यूटी लगी हुई थी. हिंसा कैसे बढ़ी इसकी जांच कर रहे हैं.
ऐसे में सवाल उठता है कि सुरक्षा पर्याप्त थी तो फिर हरियाणा के नूंह में जब सोमवार को हिंसा शुरू हुई तब पुलिस वाले कम क्यों दिखे थे? पुलिस तुरंत एक्शन में क्यों नहीं आ पाई?
सवाल- संवेदनशील इलाके से निकलती शोभायात्रा के लिए क्या पर्याप्त इंतजाम थे?
नूंह के कलेक्टर का जवाब- सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त थी, लापरवाही की जांच करेंगे.
सवाल- ब्रजमंडल यात्रा के दौरान कितनी पुलिस की सुरक्षा थी?
नूंह के एसपी का जवाब- अलग अलग जगह पर पुलिस तैनात थी, हिंसा के बाद पुलिस को पहुंचने में वक्त लगा.
सवाल- पुलिस को पहली कॉल क्या मिली थी?
नूंह के एसपी का जवाब- सोशल मीडिया पर भ्रांति फैली थी जिससे दो गुट आपस में भिड़े.
सवाल- हिंसा नूंह में कैसे फैली?
नूंह के एसपी का जवाब- मोनू मानेसर के मेवात आने की अफवाह से तनाव फैला.
सवाल- मोनू ने कहा आएगा तो प्रशासन ने क्या कदम उठाए थे ?
नूंह के कलेक्टर का जवाब- इंटेलिजेंस के हिसाब से व्यवस्था की थी, नाकों पर पुलिस लगाई थी.
सवाल- मोनू मानेसर को एहतियातन गिरफ्तार क्यों नहीं किया?
नूंह के एसपी का गोलमोल जवाब सामने आया.
ऑपरेशन मेवात की तीसरी इनवेस्टिगेशन से ये सामने आया कि...
1- कलेक्टर-एसपी के पास पहले से टकराव का इनपुट था.
2- कई प्वाइंट पर पुलिसवाले तैनात रहने से एक प्वाइंट पर हिंसा भड़कने पर फोर्स कम पड़ी.
3- मोनू मानेसर के आने की अफवाह नूंह का प्रशासन नहीं रोक पाया.
4- नूंह का प्रशासन बस यही सोचता रहा कि जमीन पर टकराव इतना नहीं बढेगा.
5- नूंह प्रशासन यही सोचता रहा कि हर साल शांति से होती है तो इस साल कुछ नहीं होगा.