
हरियाणा के चरखी दादरी में आईएएस विवेक आर्य के दादा-दादी द्वारा की आत्महत्या मामले की लगातार परतें खुल रही हैं. करोड़ों की संपति के बाद भी बुजुर्ग दंपति को दो जून की रोटी नसीब नहीं हो रही थी. इसके चलते दोनों ने जहर खाकर आत्महत्या करने जैसा खौफनाक कदम उठा लिया. पुलिस सूत्रों की मानें तो निजी अस्पताल में उपचार के दौरान बुजुर्ग ने पुलिस को बताया था कि पहले पत्नी को जहर दिया, जब उसकी सांसे थम गई तो खुद भी जहर खाकर पुलिस को सूचना दी थी और सुसाइड नोट सौंपा था. जिसे पुलिस ने जांच के लिए भेजा है.
बता दें कि बीते दो दिनों से प्रदेश में चरखी दादरी के बाढड़ा उपमंडल के गोपी गांव निवासी आईएएस अधिकारी विवेक आर्य (IAS officer Vivek Arya) के दादा-दादा (जगदीश चंद्र आर्य और उनकी पत्नी भागली) द्वारा जहर खाकर आत्महत्या करने का मामला चर्चा में है. आत्महत्या करने से ज्यादा करोड़पति बेटों द्वारा उन्हें दो रोटी न देने की चर्चा हो रही है.
गली-मोहल्लों से लेकर चौक-चौराहों और सोशल मीडिया पर केवल सुसाइड की बातें हो रही हैं. सुसाइड नोट की बातें सामने आने पर लोग बुजुर्ग के आईएएस पोते से लेकर परिवार के अन्य लोगों को कोस रहे हैं. वहीं, ग्रामीणों को सुसाइड नोट की बातें हजम नहीं हो रही हैं. फिलहाल पुलिस ने सुसाइड नोट को जांच के लिए भेजा है. उसी आधार पर केस दर्ज करते हुए आगे की जांच कर रही है.
बासी भोजन, मारपीट कर घर से निकालने का भी आरोप
जांच अधिकारी पवन कुमार के अनुसार, मौत से पहले जगदीश ने पुलिस को सुसाइड नोट दिया था. इसकी पहली ही लाइन में लिखा था कि उसके बेटों के पास बाढड़ा में 30 करोड़ की प्रॉपर्टी है लेकिन उनके पास उसे देने के लिए दो रोटी नहीं हैं. इसके अलावा परिवार के लोगों द्वारा मारपीट करने, घर से निकालने और बासी भोजन देने जैसी बातें भी लिखी थीं.
ग्रामीणों के अनुसार, जगदीश और भागली देवी ने अपने तीन बेटों का पालन-पोषण गांव में रहकर किया था. उन्होंने पहले भारतीय सेना में नौकरी की. फिर रिटायर होने के बाद बाढड़ा में खाद-बीज भंडार की दुकान चलाई. वहीं भागली देवी ने खेती-बाड़ी और पशुपालन कर बच्चों के पालन-पोषण व पढ़ाई में होने वाले खर्च में हाथ बटाया.
बुजुर्ग दंपति के तीन बेटे थे, जिनमें से दो की पहले ही मौत हो चुकी है. एक पुत्रवधु बच्चों सहित बाहर रहती है, जबकि दो बेटों का परिवार बाढड़ा में अलग-अलग रहता है. वर्तमान में वो बेटे के पास रह रहे थे. वो आर्य समाज बाढड़ा और कन्या गुरुकुल पंचगांव से भी जुड़े थे.
जगदीश चंद्र आर्य ने सुसाइट नोट में लिखीं ये बातें
"मैं जगदीश चंद्र आर्य आपको अपना दुख सुनाता हूं. मेरे बेटे के पास बाढ़ड़ा में 30 करोड़ की संपत्ति है, लेकिन उसके पास मुझे देने के लिए दो वक्त की रोटी नहीं हैं. मैं अपने छोटे बेटे के पास रहता था. 6 साल पहले उसकी मौत हो गई. कुछ दिन उसकी पत्नी ने साथ रखा, लेकिन बाद में उसने गलत काम करना शुरू कर दिया. मैंने विरोध किया तो पीटकर घर से निकाल दिया.''
आगे लिखा, ''घर से निकाले जाने के बाद मैं दो साल तक अनाथ आश्रम में रहा. फिर वापस आया तो उन्होंने मकान को ताला लगा दिया. इस दौरान मेरी पत्नी लकवा का शिकार हो गई और हम दूसरे बेटे के पास रहने लगे. कुछ दिन बाद दूसरे बेटे ने भी साथ रखने से मना कर दिया और मुझे बासी खाना देना शुरू कर दिया है. ये मीठा जहर कितने दिन खाता, इसलिए मैंने सल्फास की गोली खा ली. मेरी मौत का कारण मेरी दो पुत्रवधू, एक बेटा और एक भतीजा है. जितने जुल्म उन चारों ने मेरे ऊपर किए, कोई भी संतान अपने माता-पिता पर न करे.''
आर्य समाज को दी जाए संपत्ति
जगदीश चंद्र आर्य ने ये भी लिखा, "मेरी बात सुनने वालों से प्रार्थना है कि इतना जुल्म मां-बाप पर नहीं करना चाहिए. सरकार और समाज इनको दंड दे. तब जाकर मेरी आत्मा को शांति मिलेगी. बैंक में मेरी दो एफडी और बाढ़ड़ा में दुकान है, वो आर्य समाज बाढ़ड़ा को दे दी जाएं".
(रिपोर्ट- प्रदीप शाहू)