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सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जाट आरक्षण का मुद्दा, हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती

आरक्षण की मांग को लेकर हरियाणा में जाटों ने बंद, तोड़फोड़, आगजनी, धरना-प्रदर्शन किया गया था. जिसके बाद हरियाणा सरकार जाटों को पिछड़ा वर्ग के तहत आरक्षण देने के लिए मजबूर हो गई थी.

ब्रजेश मिश्र/अहमद अजीम
  • नई दिल्ली,
  • 01 जून 2016,
  • अपडेटेड 3:05 PM IST

हरियाणा के जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत दिए गए आरक्षण पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के रोक के फैसले को कुछ जाट नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष हवा सिंह सांगवान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता ने इस याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग सुप्रीम कोर्ट से की है.

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इसी साल जाट आरक्षण की मांग को लेकर हरियाणा में प्रदर्शन, तोड़फोड़, आगजनी, धरना-बंद किया गया था. इन घटनाओं के बाद हरियाणा सरकार जाटों को पिछड़ा वर्ग के तहत आरक्षण देने के लिए मजबूर हो गई थी. हरियाणा सरकार ने जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आरक्षण दे दिया था. हरियाणा सरकार के इस फैसले को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले गुरुवार को जाट को आरक्षण देने के सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी.

अंतरिम रोक हटाने की मांग
जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष हवा सिंह सांगवान ने आरक्षण पर लगी रोक हटाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने की गुजारिश की है. याचिकाकर्ता हवा सिंह का कहना है कि हाईकोर्ट ने बिना हरियाणा सरकार का पक्ष सुने ही आदेश दे दिया. ऐसे में जब तक मामले की सुनवाई लंबित है तब तक अंतरिम रोक को हटाया जाए. सुप्रीम कोर्ट जल्द ही इस याचिका पर सुनवाई कर सकता है.

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कोर्ट ने खारिज किया था यूपीए सरकार का फैसला
गौरतलब है कि 2014 में केंद्र की यूपीए सरकार ने अपने आखिरी कैबिनेट फैसले में केंद्र सरकार की नौकरियों में जाट आरक्षण को हरी झंडी दी थी. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने ही रद्द कर दिया था. ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि इस अपील पर सुप्रीम कोर्ट का क्या रुख रहता है.

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