
मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले के दौरान बचाव अभियान में शामिल रहे सेना के मेजर करमजीत सिंह यादव ने पुरस्कार के लिए चंडीगढ़ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
हरियाणा के रेवाड़ी जिले के रहने वाले करमजीत सिंह (36) ने याचिका दायर कर कहा है कि नवंबर 2008 में ऑपरेशन ब्लैक टोरनेडो के दौरान वह राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) में तैनात थे. याचिका के मुताबिक इस अभियान के बाद उन्होंने ‘रक्षा बल के कर्मियों को युद्ध और शांति के समय के बहादुरी पुरस्कार’के लिए हरियाणा सरकार की नीति के तहत नकदी पुरस्कार को लेकर आवेदन किया था.
लेकिन 2011 में हरियाणा सैनिक बोर्ड के तत्कालीन सचिव ने यह कहते हुए उनका आवेदन खारिज कर दिया था कि मामला सरकार की नीति के अंतर्गत नहीं आता. याचिका के मुताबिक सचिव ने तब यह तर्क दिया कि आपकी वीरता युद्ध के समय की नहीं, शांति स्थापित के वक्त देखने को मिली. आप बचाव कार्य में सक्रिय रहे. इस वजह से आपको पुरस्कार नहीं दिया जा सकता.
याचिकाकर्ता ने कहा कि बोर्ड का फैसला पूरी तरह अवैध और कानून के मुताबिक नहीं है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि यह देश के एक नागरिक के मौलिक अधिकारों का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन है. अहम बात ये है कि करमजीत सिंह को इस अभियान के लिए शौर्य पुरस्कार भी मिल चुका है.
उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर 2008 को हुए इस आतंकी हमले में 164 लोग मारे गए थे और 308 लोग घायल हुए थे. इस दौरान बहुत सारे विदेशी पर्यटकों को बंधक भी बना लिया गया था.