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BJP में जाएंगे या बनाएं पार्टी... कुलदीप विश्नोई का अगला कदम क्या होगा?

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई को कांग्रेस ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है. बिश्नोई के खिलाफ कांग्रेस ने इसीलिए एक्शन लिया कि राज्यसभा चुनाव में पार्टी के कैंडिडेट की जगह निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा को दिया. ऐसे में कुलदीप बिश्नोई अब आगे की सियासी राह किस दिशा में बढ़ाएंगे. बीजेपी का दामन थामेंगे या फिर नई पार्टी बनाएंगे?

कुलदीप बिश्नोई और मनोहर लाल खट्टर कुलदीप बिश्नोई और मनोहर लाल खट्टर
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 13 जून 2022,
  • अपडेटेड 1:50 PM IST
  • कुलदीप बिश्नोई को सियासत विरासत में मिली है
  • बिश्नोई की क्रॉस वोटिंग से मिली माकन को मात
  • कांग्रेस ने बिश्नोई के खिलाफ लिया एक्शन

हरियाणा में राज्यसभा चुनाव में कुलदीप बिश्नोई की क्रास वोटिंग ने कांग्रेस प्रत्याशी अजय माकन के उच्च सदन पहुंचने के अरमानों पर पानी फेर दिया. बीजेपी-जेजेपी के समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा के पक्ष में बिश्नोई ने मतदान करके कांग्रेस की जीती बाजी को हार में तब्दील कर दिया. कांग्रेस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है, जिसके बाद सभी की निगाहें इस बात पर है कि कुलदीप बिश्नोई क्या सियासी कदम उठाएंगे. वो बीजेपी का दामन थामेंगे या फिर अपनी पार्टी को दोबारा से जिंदा करेंगे? 

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बता दें कि कांग्रेस ने हरियाणा से राज्यसभा चुनाव में  'क्रॉस वोटिंग' करने को लेकर कुलदीप बिश्नोई को शनिवार को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया. कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के अनुसार सोनिया गांधी ने कुलदीप बिश्नोई को कांग्रेस कार्यसमिति के विशेष आमंत्रित सदस्य समेत पार्टी की जिम्मेदारियों से तत्काल प्रभाव से मुक्त कर दिया. ऐसे में अब उनके सामने क्या सियासी विकल्प हैं. 

कुलदीप बिश्नोई हरियाणा की राजनीति में गैर-जाट चेहरा माने जाते हैं. उन्हें सियासत विरासत में मिली है. बिश्नोई हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे हैं. 1998 में अपने पिता भजन लाल की परंपरागत सीट आदमपुर सीट से कुलदीप बिश्नोई पहली बार कांग्रेस से विधायक बने और हिसार से सांसद भी रहे. हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएम बनाने के खिलाफ कुलदीप बिश्नोई अपने पिता भजनलाल के साथ 2007 में कांग्रेस छोड़कर हरियाणा जनहित कांग्रेस नाम से अपनी पार्टी बनाई थी. 

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कुलदीप बिश्नोई ने अपनी हरियाणा जनहित कांग्रेस को नौ साल चलाया, लेकिन कोई खास राजनीतिक मुकाम हासिल नहीं कर पाए. हालांकि,  एक बार उनकी पार्टी के पांच विधायक जीते थे, जिन्हें हुड्डा ने अपने साथ मिला था. दूसरी बार उनकी पार्टी के दो विधायक जीते, जिसमें खुद स्वयं और पत्नी रेणुका बिश्नोई विधायक चुनी गई थीं. इसके बाद 2016 में कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस में घर वापसी कर गए और हरियाणा जनहित कांग्रेस को उन्होंने कांग्रेस में विलय कर दिया था. 

साल 2019 में कुलदीप बिश्नोई अपनी परंपरागत सीट से विधायक बने, लेकिन उससे पहले उन्होंने अपने बेटे भव्य बिश्नोई हिसार से संसदीय चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ाया था, जिसे जिता नहीं सके. कुलदीप के कांग्रेस में लौटने के बाद पार्टी को उनसे मजबूती मिलने की उम्मीद थी, लेकिन शीर्ष नेतृत्व के उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके. हिसार और भिवानी जिले में कांग्रेस फेल रही. ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व का भरोसा हुड्डा पर रहा. 

हरियाणा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाए जाने से कुलदीप बिश्नोई ने बागी रुख अपना लिया और राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अजय माकन के बजाय निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा को वोट दिया. ऐसे में कुलदीप बिश्नोई को पार्टी ने बाहर कर दिया है, जिसके बाद उनके सियासी भविष्य को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. ऐसे में बिश्नोई की बीजेपी नेताओं के साथ नजदीकियां देखी जा रही हैं. 

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हालांकि, कुलदीप बिश्नोई ने पिछले दिनों जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की थी, उसके बाद से ही बीजेपी में उनके शामिल होने की चर्चा तेज है. इसी बीच राज्यसभा चुनाव में उनके द्वारा निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा के 'पक्ष में' वोट करने के बाद बीजेपी ने उन्हें खुले तौर पर पार्टी में शामिल होने का ऑफर दिया है. ऐसे में अब कुलदीप बिश्नोई को फैसला करना है. 

कुलदीप बिश्नोई अपनी सियासी पार्टी बनाकर अपनी राजनीतिक ताकत का अंदाजा लगा चुके हैं, न तो कोई असर छोड़ सके और न ही कोई मजबूत जनाधार. वहीं, कुलदीप बिश्नोई के सामने अपने बेटे भव्य विश्नोई के सियासी भविष्य को सुरक्षित करना है. 2019 में भव्य बिश्नोई को हिसार सीट से लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ाया था, लेकिन जीत नहीं मिल सकी. 

ऐसे में बिश्नोई अपने बेटे भव्य के करियर की शुरुआत करने के लिए अपना विधायक पद छोड़ सकते हैं और उन्हें कोई और पद दिया जा सकता है. बीजेपी का कहना है कि उन्होंने पार्टी में शामिल होने के अपने इरादे से उन्होंने कोई शर्त नहीं रखी है. वहीं, कुलदीप बिश्नोई बीजेपी का दामन थामते थो अपनी सीट से इस्तीफा नहीं देने का फैसला करना होगा. विधायक बने रहे तो हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष के पास अयोग्यता याचिका दायर की जा सकती है. ऐसे में देखना है कि क्या सियासी दांव कुलदीप बिश्नोई खेलते हैं? 

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