
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकियों के साथ एनकाउंटर में सेना के जो तीन जाबांज अफसर शहीद हुए हैं. उनमें एक नाम कंपनी कमांडर (मेजर) आशीष धौंचक का है. आशीष हरियाणा के पानीपत के रहने वाले थे. बुधवार को वो सुरक्षाबलों की एक टुकड़ी के साथ कोकेरनाग इलाके में सर्चिंग ऑपरेशन में शामिल थे. आशीष की शहादत के बाद परिवार में मातम का माहौल है. घर पर पड़ोसी और रिश्तेदार पहुंच गए हैं. सभी लोग परिवार को ढांढस बंधा रहे हैं.
बता दें कि बुधवार सुबह सेना को कोकेरनाग इलाके में आतंकवादियों के मूवमेंट की जानकारी मिली थी, जिसके आधार पर घेराबंदी का फुल प्रूफ प्लान बनाया गया. कर्नल मनप्रीत सिंह के नेतृत्व में सेना के जवान आगे बढ़े, तभी ऊंचाई पर पहले से छिपे बैठे 2-3 आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी. कर्नल सिंह की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि आशीष और हुमायुं को गोलियां लगीं. उन्हें हवाई मार्ग से श्रीनगर के एक अस्पताल में ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया. यह आतंकवादी लश्कर के प्रॉक्सी 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) से जुड़े थे. आतंकी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी ली है.
घर में दो साल की बेटी, महीनेभर पहले मिला था अवॉर्ड
शहीद हुए मेजर आशीष धौंचक मूल रूप से पानीपत जिले के बिंझौल गांव के रहने वाले थे. कुछ समय पहले मेजर आशीष का परिवार पानीपत के सेक्टर 7 में रहने लगा था. शहादत के बाद परिवार में मातम का माहौल है. घर पर पड़ोसी और रिश्तेदार पहुंच गए हैं. मेजर आशीष धौंचक तीन बहनों में इकलौते भाई थे. आशीष की 2 साल पहले ही मेरठ से जम्मू में पोस्टिंग हुई थी. उनकी 2 साल की बेटी है. आशीष को इसी साल 15 अगस्त को वीरता के लिए सेना पदक से सम्मानित किया गया था.
3 बहनों का इकलौता भाई और एक बेटी का पिता...अनंतनाग में शहीद हुए मेजर आशीष की कहानी
पानीपत में बनवाया था नया घर, जन्मदिन पर गृह प्रवेश होना था
मेजर आशीष के चाचा से आजतक ने बातचीत की. भतीजे को यादकर चाचा भावुक हो गए. उन्होंने बताया, जम्मू में पोस्टिंग होने के बाद भी मेजर आशीष को किसी तरह का डर नहीं था. उन्होंने कहा कि भतीजे की शहादत के बाद भी जवानों के हौसले में कमी नहीं आएगी. आशीष अक्सर जम्मू के हालातों के बारे में जिक्र करता था. आशीष को 23 अक्टूबर को जन्मदिन पर घर आना था और पानीपत में नए घर में प्रवेश करना था. अभी तक उनका परिवार पानीपत में किराए के घर में रह रहा था. चाचा दिलावर ने बताया कि आशीष अभी डेढ़ महीने पहले ही घर आया. पिता लालचंद सदमे में हैं.
आज शाम तक गांव पहुंचेगा पार्थिव शरीर
आशीष के पैतृक गांव बिंझौल में भी मातम पसरा है. पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा. आज शाम तक गांव में पार्थिव शरीर पहुंचने की उम्मीद है. शहादत की खबर सुनकर आशीष की बहन घर पहुंचीं और वहां बेहोश हो गईं.
मां बोलीं- आज मैं रोऊंगी नहीं...
आशीष की मां ने कहा, मेरा बेटा अपने देश के लिए शहीद हुआ है. मेरा बेटा, मेरे देश का बेटा था. सारे देश का चहेता था. सबका प्यारा था मेरा बेटा. देश पर कुर्बान हो गया. मैं आज रोऊंगी नहीं.
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