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'बाघ के मुंह में था मेरा सिर, मैंने खींच ली उसकी जीभ…', 17 साल के लड़के ने ऐसे दी मौत को मात 

स्कूल से घर लौटते समय बाघ ने 17 साल के अंकित पर पीछे से हमला किया. उसने अंकित का सिर मुंह में दबा लिया था. थोड़ी देर जिंदगी और मौत से इस बहादुर लड़के की जंग हुई. इसी दौरान बाघ की पकड़ कुछ कमजोर हुई. मौका पाकर अंकित ने बाघ की जीभ अपने दाहिने हाथ से पकड़ कर जोर से खींच ली. छटपटाते हुए बाघ भाग निकला. अंकित का 4 महीने तक इलाज हुआ और अब वह ठीक है. 

इलाज के बाद अब अंकित की हालत में है काफी सुधार. इलाज के बाद अब अंकित की हालत में है काफी सुधार.
मिलन शर्मा
  • गुरुग्राम,
  • 13 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 6:38 PM IST

उत्तराखंड के रामनगर का रहने वाला 17 साल का अंकित अपने दोस्तों के साथ स्कूल से वापस घर लौट रहा था. सूनसान जगह पर एक बाघ ने अंकित के ग्रुप पर हमला कर दिया. अंकित ने न सिर्फ अपने दोस्तों की जान बचाई, बल्कि बहादुरी से मौत को मात देकर बाघ को भगा दिया. हालांकि, इस हमले में वह बुरी तरह जख्मी हो गया था, लेकिन कई सर्जरी के बाद अब उसकी हालत में सुधार है.  

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यह कहानी जहां आपके रोंगटे खड़े कर देगी. वहीं, 17 साल के लड़के की बहादुरी का किस्सा सुनकर आप भी उसकी वीरता के कायल हो जाएंगे. खुद अंकित के शब्दों में सुनिए नवंबर 2023 को उस दिन क्या हुआ था और कैसे उसने मौत को मात दी थी….

मैं दोपहर अपने दोस्तों के साथ स्कूल से लौट रहा था. तभी एक पेड़ पर बैठे बाघ ने पीछे से हमला कर दिया. उसने मेरे सिर को अपने मुंह में पकड़ लिया था. मगर, इसी दौरान किसी तरह से बाघ की पकड़ पीछे से कमजोर हो जाती है. बस इसी पल में मैंने अपने दाहिने हाथ से बाघ की जीभ पकड़कर खींच ली. अब वह अपनी जान बचाने के लिए मेरी पकड़ से छूटने के लिए तिलमिलाया और वहां से भाग निकला.

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दोस्तों ले गए थे नजदीकी चिकित्सा केंद्र  

बस यही वो पल था, जब मैंने बाघ के मौत के पंजे से अपनी जिंदगी छीन ली. इसी वजह से मेरे उन दोस्तों की भी जान बचाई, जो उस समय उसके साथ थे. हालांकि, उस हमले में मेरे चेहरे, गर्दन, खोपड़ी और दाहिने हाथ पर गंभीर चोटें आईं थीं. मेरे दोस्त मुझे नजदीकी चिकित्सा केंद्र ले जाने में कामयाब रहे, जहां मेरी हालत स्थिर थी. मगर, चोटों की गंभीरता इतनी थी कि मुझे स्थानीय उच्च केंद्र में रेफर कर दिया गया. 

बहुत बुरी हालत में मुझे लाया गया गुरुग्राम 

वहां प्रारंभिक उपचार देने के बाद मणिपाल अस्पताल, गुरुग्राम में रेफर किया गया. यहां डॉ. आशीष ढींगरा की देखरेख में प्लास्टिक सर्जरी विभाग में मुझे भर्ती कराया गया. जब मुझे अस्पताल लाया गया, तो हर कोई यह देखकर हैरान था कि मैं बाघ के मुंह से खुद को कैसे बाहर निकालने में कामयाब रहा. 

मेरा बहुत अधिक खून बह गया था. सिर की खाल उड़ गई थी, खोपड़ी की हड्डी बाहर आ गई थी. दाहिना कान लटक रहा था, चेहरा कट गया था और दाहिने हाथ का अंगूठा आंशिक रूप से कट गया था. मगर, अब 4 महीने के इलजा के बाद मैं ठीक हो रहा हूं. सिर, चेहरे और हाथ की चोटें ठीक हो गई हैं और हर दिन बेहतर हो रहा हूं. 

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डॉक्टर बोले बहुत बहादुर है अंकित… 

प्लास्टिक और कॉस्मेटिक सर्जन डॉ. आशीष ढींगरा ने कहा, “जब अंकित हमारे पास आया, तो उसके सिर, चेहरे, गर्दन और हाथ पर गंभीर चोटें आई थीं. घावों पर अभी भी उस जगह का मलबा और पत्तियां मौजूद थीं, जहां उसने बाघ के साथ अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष किया था. 

उसे रीकंस्ट्रक्टिव सर्जरी की जरूरत थी. हमने उसकी खोपड़ी और हाथ को बचाने के लिए महीनों तक सर्जरी की. कार्यात्मक और सौंदर्य संबंधी परिणामों में सुधार के लिए उसे कुछ और सर्जरी की जरूरत होगी. अंकित सर्जरी की पूरी प्रक्रिया और ऑपरेशन के बाद के चरण में बहुत मददगार रहे और यह कहना गलत नहीं होगा कि वह बहुत बहादुर हैं.

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