
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने 26 मार्च को भारत बंद का ऐलान किया. इस दौरान पलवल में किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-19 जाम कर दिया था. इस मामले को लेकर पलवल पुलिस ने 16 नामजद और 450 से 500 अन्य किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है.
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर पलवल में भी किसान नेताओं ने नेशनल हाईवे को करीब 4 घंटे के लिए जाम कर दिया था. पुलिस ने अब नेशनल हाईवे जाम करने के आरोप में कुछ नामजद किसान नेता तथा अन्य किसानों के खिलाफ नेशनल हाईवे एक्ट 8बी, 148, 149, 86, 188, 283, 353 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया है.
सदर थाना प्रभारी आनंद कुमार ने बताया कि नामजद लोगों के नाम औरंगाबाद गांव के निवासी समुंद्र, महेंद्र, जयराम, होशियार, मेघ सिंह, हरी, सुमेर, बुद्धी, शिवराम, नत्थी, अतर सिंह, रतन सिंह, रामवीर व गांव जनौली निवासी छोटा पहलवान हैं. थाना प्रभारी ने बताया कि आरोपियों द्वारा आड़े-तिरछे ट्रैक्टर-ट्राली खड़े कर हाईवे जाम करने की वजह से वाहन फंसे रहे. आवागमन में यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. जाम में आर्मी की गाड़ियां व एंबुलेंस भी फंसी रही.
वहीं किसान नेताओं ने बताया कि सरकार का रवैया बिल्कुल तानाशाह पूर्ण है. भारत बंद का आह्वान पहले से ही था. हर किसी को पहले से ही पता था कि 26 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर भारत बंद है. हाईवे जाम के दौरान आपातकालीन वाहन जैसे आर्मी गाड़ी, स्कूल बस, पुलिस गाड़ी, एंबुलेंस व दमकल विभाग सहित किसी भी वाहन को जाम में फंसने नहीं दिया, बल्कि उनको रास्ता देकर बिल्कुल शांतिपूर्ण तरीके से निकाला गया. सरकार केवल किसानों को डराने के लिए इस तरह के मुकदमे दर्ज कर रही है, लेकिन किसान डरने वाले नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं होंगे, एमएसपी पर लिखित में कानून नहीं बनेगा, तब तक धरना पूर्णरुप से कायम रहेगा. वहीं उन्होंने बताया कि आज होली का पर्व है. किसान धरनास्थल पर तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर विरोध जताया जाएगा. साथ ही हमारा ब्रज का क्षेत्र है. परंपरागत तरीके से धरना स्थल पर चौपाई, रसिया, रागनी, संगीत व नृत्य का आयोजन कर होली का पर्व मनाया जाएगा. किसान भी हालात में पीछने हटने वाले नहीं हैं. एक न एक दिन सरकार को झुकना पड़ेगा और ये तीनों काले कानून वापस लेकर लिखित में एमएसपी की गारंटी देनी होगी.