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हरियाणा में सरपंचों ने किया मुस्लिम व्यापारियों का बॉयकॉट, नूंह हिंसा के बाद लिया फैसला

नूंह हिंसा के बाद महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और झज्जर में कुछ सरपंचों ने उनके गांवों में मुस्लिम समुदाय के व्यापारियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए ऑनलाइन पत्र लिखे हैं. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि हमने उसका स्वत: संज्ञान लिया है और मामले की जांच कर रहे हैं.

नूंह हिंसा में 6 लोगों की मौत हो गई है (फाइल फोटो) नूंह हिंसा में 6 लोगों की मौत हो गई है (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • चंडीगढ़,
  • 09 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 10:03 PM IST

पिछले महीने की आखिरी तारीख यानी 31 जुलाई को हरियाणा के नूंह में हिंसा हुई थी. इस दौरान 6 लोगों की मौत हो गई थी. अब हरियाणा के महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और झज्जर में कुछ सरपंचों ने उनके गांवों में मुस्लिम समुदाय के व्यापारियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए ऑनलाइन पत्र लिखे हैं. हाल के दिनों में इन जिलों के कुछ सरपंचों ने पत्र जारी किए हैं, इनमें नूंह जिले में हुई हिंसा का हवाला दिया गया है. साथ ही इन पत्रों की भाषा भी लगभग एक समान है.

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नूंह हिंसा के दौरान 2 होम गार्ड समेत 5 लोगों की मौत हो गई थी. जबकि गुरुग्राम में एक मस्जिद पर हुए हमले में एक मौलवी की मौत हो गई थी. इन पत्रों को लेकर जिला अधिकारियों ने कहा कि ऑनलाइन पत्रों का मामला संज्ञान में आया है. मामले की जांच की जा रही है.

जानकारी के मुताबिक कुछ गांवों के संरपचों की ओर से कहा गया है कि पंचायतों ने एक समुदाय विशेष के व्यापारियों के साथ कोई भी व्यवसाय करने की अनुमति नहीं देने का फैसला किया है. हालांकि जब इन जिलों के सरपंचों से संपर्क किया गया तो महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी के कई सरपंचों ने किसी विशेष समुदाय का संदर्भ देते हुए ऐसा कोई पत्र जारी करने से इनकार किया है.

महेंद्रगढ़ की उपायुक्त मोनिका गुप्ता ने कहा कि सरकारी अधिकारियों के समक्ष ऐसा कोई पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा है कि इन पत्रों को (गांव के सरपंचों द्वारा) उनके संबंधित एसडीएम को सौंप दिया गया है. हालांकि जहां तक हमें पता है, आज तक ऐसा कोई मामला एसडीएम के पास नहीं पहुंचा है. किसी भी सरपंच द्वारा प्रशासनिक अधिकारी को कुछ भी नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि मीडिया में जो चल रहा है, हमने उसका स्वत: संज्ञान लिया है और मामले की जांच कर रहे हैं. एसडीएम ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में फील्ड अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है.

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महेंद्रगढ़ जिले के कनीना ब्लॉक के गोमला गांव के सरपंच वेद प्रकाश ने कहा कि हमारी ओर से एसडीएम को उस सामग्री के साथ कोई पत्र जारी नहीं किया गया है, जैसा दावा किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उन्होंने जो लिखा है, वह अलग मामला है. इसमें किसी खास समुदाय के नाम का जिक्र नहीं है. 

उधर, महेंद्रगढ़ जिले के एक अन्य सरपंच ने कहा कि वे केवल अजनबियों की पहचान की पुष्टि कर रहे हैं, जिसे उन्होंने एक सामान्य प्रक्रिया बताया. जिसका किसी भी समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है.

रेवाडी के चिमनावास गांव के सरपंच नरेंद्र यादव ने कहा कि मेरी तरफ से ऐसा कोई पत्र जारी नहीं किया गया है जैसा दावा किया जा रहा है. हालांकि महेंद्रगढ़ के सैदपुर के सरपंच विकास ने कहा कि उन्होंने एक पत्र जारी किया था लेकिन इसे एसडीएम को नहीं भेजा गया था, न ही गांव द्वारा कोई प्रस्ताव पारित किया गया था. उन्होंने पत्र की सामग्री के बारे में बात नहीं की. विकास ने कहा कि 3,500 की आबादी वाले गांव में नूंह की घटना के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया था और किसी भी बाहरी व्यक्ति के साथ कोई भी अप्रिय घटना हो सकती थी. जब उनसे पूछा गया कि क्या पत्र में किसी खास समुदाय का जिक्र है, तो उन्होंने कहा कि हम किसी समुदाय के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन नूंह में जिस तरह की घटना हुई, उससे गुस्सा बहुत बढ़ गया. ये पत्र इसलिए जारी किया गया ताकि स्थिति न बिगड़े. उन्होंने कहा कि उनके गांव में कोई मुस्लिम आबादी नहीं है, हालांकि समुदाय के सदस्य नौकरियों के लिए आते हैं.

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वहीं, झज्जर के उपायुक्त कैप्टन शक्ति सिंह से जब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पत्रों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हो सकता है कि कुछ शरारती तत्वों ने किसी पंचायत के लेटर हेड का इस्तेमाल किया हो और उसे वायरल किया हो. उन्होंने कहा कि वे इसकी जांच कर रहे हैं. हालांकि ऐसा कोई पत्र अधिकारियों को नहीं सौंपा गया है. उन्होंने कहा कि किसी भी ग्राम पंचायत या किसी अन्य को ऐसा कुछ भी करने की अनुमति नहीं दी जाएगी जो असंवैधानिक या अवैध हो.

इस बीच अधिकारियों के मुताबिक नूंह हिंसा के संबंध में कुल 57 एफआईआर दर्ज की गई हैं और अब तक 188 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने कहा कि हिंसा पर सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने के आरोप में 11 लोगों के खिलाफ FIR भी दर्ज की गई है.
 

 

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