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सूरजकुंड मेले का आगाज, घूमने से पहले जान लें ये जरूरी बातें

फरीदाबाद में 36वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले की शुरुआत हो गई है. इस बार मेले की थीम नॉर्थ ईस्ट रीजन के 8 स्टेट पर है. यहां आपको अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम के खास सामान देखने को मिलेंगे. मेले में पूर्वोत्तर के 8 राज्यों के मुख्यमंत्री और राज्यपाल शिरकत करेंगे.

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मनीष चौरसिया
  • फरीदाबाद ,
  • 03 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:06 PM IST

हरियाणा के फरीदाबाद में आज यानी 03 फरवरी से 36वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले की शुरुआत हो गई है, जो 19 फरवरी तक चलेगा. इस बार मेले की थीम नॉर्थ ईस्ट रीजन के 8 स्टेट पर है. पार्टनर कंट्रीज के तौर पर शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) के राष्ट्र हैं. यानी यहां आपको अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम के खास सामान देखने को मिलेंगे.

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मेले में पूर्वोत्तर के 8 राज्यों के मुख्यमंत्री और राज्यपाल शिरकत करेंगे. मेले में इस बार 45 देशों के विदेशी आर्टिस्ट के शामिल होने की संभावना है. यह संख्या पिछले साल की तुलना में दोगुनी है. हर साल इस मेले की थीम अलग-अलग होती है. मेले को उसी थीम पर सजाया जाता है. इस बार G-20 शिखर सम्मेलन के कारण मेले में विदेशी पर्यटकों की संख्या भी दोगुनी होने का अनुमान है.

युगांडा से मेले में आए लोग अपने देश की संस्कृति और संगीत को पेश कर रहे हैं. कोलकाता से आईं सपना यूनीक प्रोडक्ट लेकर आईं हैं. वो जूट और कॉटन की ज्वेलरी लेकर आई हैं. वैलेंटाइन वीक के लिहाज से भी वो कुछ खूबसूरत प्रोडक्ट लेकर आई हैं.

अलग-अलग देशों की बात करें तो पाकिस्तान, चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के खास खाने से लेकर यहां के खास सामान की झलक देखने को मिलेगी. ये मेला देश ही बल्कि विदेशी लोगों में भी प्रचलित है. अलग-अलग देशों के लोग इसे देखने आते हैं. आइये मेले के स्थान से लेकर एंट्री के समय और टिकट के बारे में सबकुछ बताते हैं.

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मेला टिकट ऑनलाइन बुक करने के लिए BookMyShow पर भी जा सकते हैं. बता दें कि अगर पर्यटकों की संख्या ज्यादा होगी, जो आमतौर पर छुट्टी वाले दिन या वीक एंड पर होता है तो ऐसी स्थिति में टिकटों की सेल रोक दी जाएगी, जिससे बहुत अधिक भीड़ ना हो और यहां आने वाले लोगों को असुविधा का सामना ना करना पड़े. सूरजकुंड शिल्प मेले का आयोजन पहली बार वर्ष 1987 में भारत हस्तशिल्प, हथकरघा, सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि एवं विविधता को एक मंच पर प्रदर्शित करने के उद्देश्य से किया गया था.

 

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