
उत्तरी भारत पर शासन करने वाले 9वीं शताब्दी के शासक मिहिर भोज की मूर्ति के अनावरण को लेकर हरियाणा के कैथल में गुज्जर और राजपूत समुदायों के बीच तनाव व्याप्त हो गया है. इस मामले को लेकर 3 पार्षदों समेत बीजेपी के 29 सदस्यों ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए इस्तीफा दे दिया है. दरअसल, हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुज्जर प्रतिमा का अनावरण करने वाले थे, उनको राजपूत समुदाय से भारी विरोध का सामना करना पड़ा. इसके बाद सरकार ने विरोध को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस तैनाती की. इतना ही नहीं, प्रदर्शनकारियों को कैथल पहुंचने से रोकने के लिए पुलिस को गाड़ियों का रूट बदलना पड़ा.
इसके बाद बीजेपी विधायक लीला राम गुर्जर ने मिहिर भोज को गुर्जर शासक के रूप में चित्रित करने वाली प्रतिमा का अनावरण किया. उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री नहीं आ सके, क्योंकि उन्हें एक बैठक में भाग लेना था. पुलिस सुरक्षा में प्रतिमा का अनावरण करने के बाद बीजेपी नेता ने दावा किया कि मिहिर भोज गुर्जरों के पूर्वज थे.
विधायक लीलाराम ने कहा कि हमने गुर्जरों के पूर्वज सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण किया है. पूरा समुदाय खुश है. इस मुद्दे पर कोई विवाद नहीं हुआ है. प्रतिमा का अनावरण करने के लिए शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुज्जर को यहां (कैथल) पहुंचना था, लेकिन कुछ बैठकों के कारण वह नहीं पहुंच सके.
वहीं, राजपूत समुदाय ने कहा कि मिहिर भोज को गुर्जरों का पूर्वज कहना 'इतिहास को विकृत' करना है. इतिहासकारों का दावा है कि 9वीं शताब्दी के शासक प्रतिहार राजपूत वंश के थे, और गुर्जर उपसर्ग उस क्षेत्र को दर्शाता है, जहां उन्होंने शासन किया था, जो वर्तमान दक्षिण राजस्थान और उत्तरी गुजरात है.
हरियाणा बीजेपी के नेताओं का सामूहिक इस्तीफा
घटना के बाद कैथल जिले के तीन पार्षदों समेत बीजेपी के 29 सदस्यों ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए इस्तीफा दे दिया है. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष को लिखे पत्र में सदस्यों ने पार्टी पर उनके इतिहास को विकृत करने में मदद करने और पुलिस की मदद से मिहिर भोज की मूर्ति का अनावरण करने का आरोप लगाया है. इसमें ये भी कहा गया है कि मिहिर भोज को गुर्जर के रूप में दर्शाया गया है, जो कि गलत है.
राजपूतों के खिलाफ पुलिस ने पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की
कैथल से बीजेपी पार्षद विकास राणा ने कहा कि सामूहिक इस्तीफा सिर्फ शुरुआत है. अगर पार्टी हमारे इतिहास को विकृत करना जारी रखती है, तो आगामी चुनावों में बुरी तरह हार जाएगी. राजपूतों के खिलाफ पुलिस द्वारा पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की गई, यह सब भाजपा सरकार के संरक्षण में हुआ. उन्होंने कहा कि हम उस पार्टी के सदस्य होने पर शर्म महसूस कर रहे हैं, जिसमें हमारे समुदाय के लिए कोई सम्मान नहीं है, इसलिए सामूहिक इस्तीफा दिया गया.
यूपी और MP में भी चल रहा है विवाद
इन्हीं मुद्दों पर पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश के दादरी और मध्य प्रदेश के ग्वालियर में घटनाएं देखी गई थीं. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दादरी में गुर्जर शब्द हटाकर मिहिर भोज की मूर्ति का उद्घाटन किया था, जबकि ग्वालियर में मिहिर भोज को गुर्जर बताने पर कोर्ट में मामला चल रहा है. क्षत्रिय संगठनों ने इस मुद्दे पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है और कई राज्यों में आगामी चुनावों में भाजपा सरकार को परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है.