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जानिए...आखिर पंजाब-हरियाणा में क्यों फल-फूल रहे हैं डेरा

डेरा प्रमुख राम रहीम को यौन शोषण के मामले में सीबीआई कोर्ट ने शुक्रवार को दोषी करार दिया है. इसके पहले भी संत रामपाल के दामन पर कई संगीन आरोप लगे थे और उनको जेल जाना पड़ा था.

डेरा सच्चा सौदा डेरा सच्चा सौदा
कुबूल अहमद
  • पंचकूला,
  • 27 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 7:18 AM IST

हरियाणा-पंजाब की सरजमी धार्मिक संतों के लिए काफी उपजाऊ मानी जाती है. इसीलिए यहां एक दो नहीं बल्कि छोटे-बड़े मिलाकर हजारों की तादाद में डेरे हैं, जिनमें से 300 डेरे प्रमुख हैं और 12 डेरों के समर्थकों की संख्या लाखों में है. कहा जाता है कि यहां डेरे का इतिहास उतना ही है, जितना सिख धर्म.

डेरा प्रमुख राम रहीम को यौन शोषण के मामले में सीबीआई कोर्ट ने शुक्रवार को दोषी करार दिया है. इसके पहले भी संत रामपाल के दामन पर कई संगीन आरोप लगे थे और उनको जेल जाना पड़ा था. फिलहाल वह जेल में ही हैं. पंजाब और हरियाणा में जमकर डेरा फल-फूल रहे हैं और इनके भक्त अपने संत के लिए जान कुर्बान करने में संकोच नहीं करते.

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सामाजिक भेदभाव से जन्मे डेरा

पंजाब में आर्थिक व सामाजिक भेदभाव किसी से छिपा नहीं है. सामंती ताकते शुरू से ही यहां काबिज थी, जो दलित और ओबीसी समाज उनका रवैया जगजाहिर है. ये परम्परा आज भी यथावत जारी है. इसीलिए डेरे के लिए पंजाब और हरियाणा की जमीन उनके लिए उपजाऊ साबित हुई. समाज में सम्मानजनक स्थान नहीं मिलने से दलित, पिछड़े और गरीब वर्गों के लोग डेरों से जुड़ते गए.

प्रमुख डेरे

पंजाब और हरियाणा की सरजमी पर फलने फूलने वाले डेरे में ये प्रमुख डेरे हैं. इनमें राधास्वामी, सच्चा सौदा, निरंकारी, नामधारी, दिव्य ज्योति जागृति संस्थान, डेरा संत भनियारावाला, डेरा सचखंड और डेरा बेगोवाल आदि शामिल हैं. इन डेरे की शाखाएं सूबे के सभी जिलो में हैं. कई डेरे तो देश के विभिन्न शहरों से लेकर विदेशों में भी स्थापित हो चुके हैं. सूबे में कुछ डेरे ऐसे हैं, जो एक ही धर्म के साथ जुड़े हैं जैसे रविदासियों का है. दूसरी बात यह है कि डेरे में जाने वाले बहुत सारे लोगों को लगता है कि जो हमें बराबरी या समानता का दर्जा मिलना चाहिए था हिंदू समाज या सिख समाज में उन्हें नहीं मिल सका.

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आशुतोष महाराज

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज भारतीय सनातन परंपरा के वाहक आध्यात्मिक गुरु रहे हैं. ऐसे उनके शिष्य मानते हैं. वह मूल रूप से बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र के रहने वाले है. उन्होंने पंजाब को अपनी कर्मभूमि बनाई. नूरमहल स्थित आशुतोष महाराज की मृत्यु 2014 में हो गयी है. पर उनके भक्तों का मानना है कि वो समाधी में हैं.

उनके शरीर को डीप फ्रीजर में रखा गया है. गौरतलब है कि साल 1983 में कभी पैदल तो कभी साइकिल से आशुतोष महाराज ने पंजाब के गांव-गांव में जाकर लोगों को यह समझाना शुरू किया कि जब तक मनुष्य अंदर से शांत नहीं होगा, तब तक समाज में अशांति इसी तरह से फैलती रहेगी. पटियाला, अमृतसर, जालंधर, लुधियाना आदि में घूम-घूमकर शांति स्थापना के लिए सत्संग के जरिए वे ज्ञान का प्रसार करते रहे हैं.

राधास्वामी

राधास्वामी डेरा का दायरा पूरे देश में फैला हुआ है. उनकी पंजाब के दोआबा और माझा क्षेत्रों में मजबूत जमीन है. राधास्वामी के आश्रम देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी स्थापित हैं. इनके सभी जगहों पर सत्संग घर बने हुए हैं. बाबा जरनैल सिंह ने 1891 में डेरे की स्थापना की थी. यह डेरा हमेशा से सियासत से दूर अपने आपको रखा है.

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डेरा सच्चा सौदा

सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के भक्तों की की तादाद देश भर करीब छह करोड़ मानी जाती है, जो पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व दिल्ली सहित कई प्रदेशों में है. शुक्रवार को डेरा प्रमुख राम रहीम पर सीबीआई कोर्ट ने यौन शोषण के मामले में दोषी करार दिया है. 29 अप्रैल 1948 को तत्कालीन पंजाब के सिरसा में बलूचिस्तीनी साधू शाह मत्तन ने डेरा डाला, जो बाद में मस्ताना बाबा के नाम से जाने गए.

 

प्यारा सिहं भनियारा

अपने को बाबा कहने वाले प्यारा सिंह भनियारा, रूपनगर जिला में भनियारा संप्रदाय चलाते हैं. उन पर एक विवादित किताब, भवसागर ग्रन्थ लिखने का आरोप है, जिसमें उनके चमत्कारों का वर्णन है. सिख संप्रदाय के लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के कारण 2001 में इस किताब पर रोक लगा दी गयी थी. उनको गिरफ्तार भी किया गया था. इसको लेकर कई हिंसक घटनाएं भी राज्य में घटित हुई थी.

डेरा सचखंड

पंजाब के जलांधर के पास  डेरा सचखंड रविदास बिरदारी का सबसे प्रमुख जगह मानी जाती है. ये डेरा गुरु रविदास जी को अपना गुरु मानते हैं.  गुरु रविदास जी के जन्मस्थान वाराणसी में  धार्मिक स्थल बनवाया. देश भर में रविदास बिरदारी के लोग ज्यादा हैं, वहां डेरे का प्रभाव में हैं. 2009 में विएना में डेरा प्रमुख संत निरंजन दास जी पर हमला हुआ था , जिसमें उनके निकटतम सहयोगी संत रामानंद दास जी की मौत हो गई थी.

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संत रामपाल

इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बन गया धर्मगुरु. इस संत का नाम रामपाल है. एक शख्स की मौत के मामले उन्हें 2014 में गिरफ्तार किया गया था. लेकिन उन्हें गिरफ्तार करने में पुलिस के पसीने छूट गए थे. फिलहाल वह जेल में है.  रामपाल खुद को कबीरपंथी संप्रदाय से जोड़ते हैं.  आर्य समाज के संस्थापक दयानन्द सरस्वती के खिलाफ टिप्‍पणी करने के कारण उनकी आर्यसमाजी भक्तों से लड़ाई हुई. एक व्‍यक्ति मारा गया. इसी मामले में उन्हे गिरफ्तार किया गया है. उन पर हिंसा में शामिल होने तथा कोर्ट की अवमानना का केस चल रहा है. 2014 में जब पुलिस इनके बरवाला आश्रम में पकड़ने गयी तो इनके अनुयायी और पुलिस में हिंसक भिड़ंत हुई थी.  आश्रम से कई हथियार और कई आपत्तिजनक चीजें जब्त की गयी थी.

 

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