
हरियाणा में जिला परिषद चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. जिला परिषद चुनाव में सूबे की कुल 411 सीटों में से 350 पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे हैं. ये तस्वीर तब है जब सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) और आम आदमी पार्टी जैसे दलों ने अपने सिंबल पर उम्मीदवार उतारे थे. मतदाताओं ने बड़े-बड़े राजनीतिक दलों की जगह निर्दलीय उम्मीदवारों पर अधिक भरोसा किया.
हरियाणा की सत्ताधारी बीजेपी 411 में महज 22 सीटें ही जीत सकी. वहीं, आईएनएलडी को 13 सीट पर जीत मिली. पहली बार पंचायत चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी ने 15 सीटों पर विजय पाई. हरियाणा के जिला परिषद के इन चुनाव नतीजों को लेकर सबके अपने-अपने दावे हैं. हर दल इन नतीजों की समीक्षा करने में जुटा है. सियासत के जानकार इन नतीजों को बड़े-बड़े राजनीतिक दलों के लिए आंख खोलने वाले बता रहे हैं.
क्यों हारी सत्ताधारी बीजेपी
हरियाणा के जिला परिषद चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. अंबाला, यमुनानगर और कुरुक्षेत्र सहित सात जिलों में बीजेपी ने बहुत ही खराब प्रदर्शन किया. बीजेपी नेता पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के पीछे गलत उम्मीदवार चयन, खराब चुनाव प्रचार, किसानों से जुड़े मुद्दे के साथ ही त्रिकोणीय मुकाबले को वजह बता रहे हैं.
बीजेपी नेताओं का ये भी कहना है कि सूबे की सरकार में गठबंधन सहयोगी दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने भी खेल खराब किया. जेजेपी के कई बागी नेताओं ने या तो खुद चुनाव लड़ा या फिर किसी दूसरे उम्मीदवार का समर्थन किया. इससे भी चुनाव नतीजों पर नकारात्मक असर पड़ा. गौरतलब है कि इस साल जून में हुए नगर निगम चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन जिला परिषद चुनाव से कहीं बेहतर रहा था.
बीजेपी ने 46 नगर निकायों में से 22 में अध्यक्ष पद पर कब्जा किया था. हालांकि, नगर निकाय का प्रदर्शन बीजेपी जिला परिषद चुनाव में दोहरा नहीं पाई. बीजेपी ग्रामीण वोट शेयर को बरकरार नहीं रख पाई. बीजेपी के जिला परिषद चुनाव में निराशाजन प्रदर्शन के पीछे ग्रामीण वोटर्स का पार्टी से छिटकना भी वजह बताया जा रहा है. कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी किसान बीजेपी से नाराज बताए जा रहे हैं.
बीजेपी को महंगा पड़ा जेजेपी का फैसला
बीजेपी को जिला परिषद चुनाव न लड़ने का जेजेपी का फैसला भी महंगा पड़ा. जेजेपी के कई नेता या तो खुद निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतर आए या फिर बीजेपी उम्मीदवारों के किसी प्रतिद्वंदी का समर्थन कर दिया. कुरुक्षेत्र में भारी-भरकम धनराशि वाली विकास योजनाएं भी बीजेपी की नैया पार नहीं लगा पाईं. अंबाला में बीजेपी सांसद नायब सिंह सैनी अपनी पत्नी सुमन सैनी को जीत नहीं दिला पाए. केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत समर्थित उम्मीदवार को भी शिकस्त मिली.
बीजेपी के लिए खतरे की घंटी हैं जिला परिषद के नतीजे
जिला परिषद चुनाव के नतीजे आने के बाद ये चर्चा शुरू हो गई है कि क्या ये 2024 के आम और विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए खतरे की घंटी हैं? जानकार इसे बीजेपी के लिए खतरे की घंटी बता रहे हैं. दूसरी तरफ, हरियाणा बीजेपी के नेता भी शायद इन नतीजों के पीछे छिपे संदेश को बखूबी समझ रहे हैं. हरियाणा बीजेपी ने रोहतक में बैठक कर जिला परिषद के नतीजों पर मंथन किया.
हरियाणा बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण आत्रेय ने आजतक से खास बातचीत में कहा कि जो लोग ये दावा कर रहे हैं कि हमने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, वे गलत हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने वाले 350 निर्दलीयों में से करीब 300 जिला परिषद सदस्य बीजेपी के समर्थक हैं. हरियाणा बीजेपी के प्रवक्ता ने कहा कि हमने 411 में से केवल 102 सीटों पर ही पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ा था. उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम पर स्थानीय मुद्दों का असर पड़ा.
विपक्ष बोला- जनता ने बीजेपी, जेजेपी को किया खारिज
जिला परिषद चुनाव के परिणामों को लेकर विरोधी दलों ने बीजेपी पर हमला बोल दिया है. विपक्षी कांग्रेस ने इस चुनाव में अपने सिंबल पर उम्मीदवार नहीं उतारे थे. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर सीधा हमला बोला है. दोनों ही विपक्षी दलों का दावा है कि जिला परिषद चुनाव के परिणाम ये बताते हैं कि जनता ने बीजेपी और जेजेपी को खारिज कर दिया है.
कांग्रेस प्रवक्ता केवल ढींगरा ने कहा कि जिला परिषद चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी का वोट शेयर केवल पांच फीसदी रहा है. लोगों ने अपना जनादेश दिया है. उन्होंने कहा कि ये चुनाव परिणाम बताता है कि जनता ने बीजेपी को खारिज कर दिया है. केवल ढींगरा ने कांग्रेस के जिला परिषद चुनाव से दूरी बनाने को लेकर सफाई भी दी. उन्होंने कहा कि 1966 में हरियाणा राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक कांग्रेस कभी भी जिला परिषद चुनाव में पार्टी के सिंबल पर उम्मीदवार नहीं उतारे. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इन चुनावों में स्थानीय मुद्दों के साथ ही महंगाई और भ्रष्टाचार भी चुनावी मुद्दा थे.
आम आदमी पार्टी ने अपने प्रदर्शन पर जताया संतोष
दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने जिला परिषद चुनाव में अपने प्रदर्शन पर संतोष व्यक्त करते हुए सत्ताधारी बीजेपी पर निशाना साधा है. आम आदमी पार्टी के उत्तर भारत के प्रभारी योगेश्वर शर्मा ने पार्टी के प्रदर्शन पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि हमने 15 सीटें जीतीं. उन्होंने कहा कि ये इस बात का सबूत है कि लोग आम आदमी पार्टी की नीतियों को पसंद कर रहे हैं.
आम आदमी पार्टी के नेता ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने हार के डर से पार्टी सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ा. उन्होंने सत्ताधारी बीजेपी को भी निशाने पर लिया. आम आदमी पार्टी के उत्तर भारत के प्रभारी योगेश्वर शर्मा ने कहा कि बीजेपी का प्रदर्शन शर्मनाक है. बीजेपी की गठबंधन सहयोगी जेजेपी ने अपने सिंबल पर उम्मीदवार ही नहीं उतारे. उन्होंने ये दावा भी किया कि 2024 में आम आदमी पार्टी हरियाणा में सरकार बनाने जा रही है.