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हिमाचल प्रदेश

Kinnaur Landslide: किन्नौर के पहाड़ फिर बने काल, मौत के बीच फंसी 60 जिंदगियां

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 10:11 PM IST
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किन्नौर में बुधवार फिर कुदरत ने कहर बरपाया. पहाड़ों से गिरती चट्टानों ने नेशनल हाईवे-5 से गुजर रही हिमाचल रोडवेज की बस समेत कई गाड़ियों को अपनी चपेट में ले लिया. इस हादसे में 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि 60 लोगों के मलबे में फंसने की खबर है. अब तक 10 लोगों को रेस्क्यू किया गया है. एनडीआरएफ, सेना, पुलिस और स्थानीय लोग घायलों को अस्पताल पहुंचाने में जुटे हुए हैं.
 

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हिमाचल प्रदेश के रिकांगपिओ से उत्तराखंड के हरिद्वार जा रही एचआरटीसी की जो बस चट्टानों के गिरने के कारण हादसे का शिकार हुई है, उसमें करीब 25 लोग फंसे हैं. हालांकि इस हादसे में बस ड्राइवर (Bus Driver) औरं कंडक्टर को बचा लिया गया है, लेकिन दोनों सदमे में हैं. ड्राइवर के मुताबिक, कुछ वाहन लैंडस्लाइड के कारण सतलज नदी में जा गिरे हैं.

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वहीं, जिस बस के लापता होने की सूचना मिली थी वह अब दिखाई दे रही है. Earth mover machines के जरिए मलबा हटाया जा रहा है. इस बस में 25 से अधिक लोगों के फंसे होने की आशंका है. रेस्क्यू में 2 घंटे से अधिक का वक्त लग सकता है.

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ITBP के मुताबिक, हादसे के वक्त रिकांगपिओ-शिमला राजमार्ग पर 6 से 7 गाड़ियां 200 मीटर की दूरी के बीच मूव कर रही थीं, तभी अचानक पहाड़ी से पत्थरों के गिरने का सिलसिला शुरू हो गया. इस वजह से वहां गाड़ियों को निकलने का मौका नहीं मिल पाया और वे फंस गईं. 

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हादसे के बाद मौके पर आईटीबीपी, एनडीआरएफ से लेकर हिमाचल पुलिस के जवान भी पहुंच गए हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन शुरु तो हो गया, लेकिन बहुत दिक्कतें आ रही हैं.डर ये भी लगा हुआ है कि कहीं पहाड़ से और पत्थर न आ गिरें. लिहाजा रेस्क्यू ऑपरेशन की टीम भी पूरी तरह से सतर्क है. क्योंकि अब भी रुक रुककर इक्का-दुक्का पत्थर पहाड़ से गिर रहे हैं.  

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बता दें कि हिमाचल प्रदेश के किन्नौर और सिरमौर दोनों ही इलाकों में पहाड़ों के दरकने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. किन्नौर में पहाड़ गिरने का मतलब है बड़ी तबाही, क्योंकि यहां भूस्खलन होता है तो बड़े बड़े पत्थर गिरते हैं. 25 जुलाई को भी कन्नौर में लैंडस्लाइड हुआ था, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई थी. 
 

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हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सेना की मदद भी मांगी है. नेशनल हाइवे 5 पर जिस जगह तबाही का ये पहाड़ टूटा है, वहां से सतलज नदी भी होकर गुजरती है, ऐसी भी आशंका जताई जा रही है कि कुछ गाड़ियां सतलुज नदी में ना जा गिरी हों.

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