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हिमाचल राज्यसभा चुनाव में हार के बाद क्या जाएगी सुक्खू सरकार? आज राज्यपाल से मिलेगा बीजेपी विधायक दल

हिमाचल प्रदेश में बीजेपी के पास बहुमत नहीं था, लेकिन उम्मीदवार हर्ष महाजन राज्यसभा चुनाव जीत गए हैं. कांग्रेस के छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की. तीन निर्दलीय विधायकों ने भी साथ कांग्रेस का नहीं दिया. यह पहली बार है जब राज्यसभा चुनाव में दो उम्मीदवारों में बराबर-बराबर वोट मिलने की वजह से पर्ची से हार जीत का फैसला किया गया.

हिमाचल में सुक्खू सरकार पर भी मंडराने लगे खतरे के बादल हिमाचल में सुक्खू सरकार पर भी मंडराने लगे खतरे के बादल
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:03 AM IST

देश के तीन राज्यों की 15 सीटों पर राज्यसभा चुनाव की वोटिंग हुई. यूपी, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश के विधायकों ने अपनी-अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए वोट डाले. इस बीच यूपी और हिमाचल में क्रॉस वोटिंग भी देखने को मिली, जिसका फायदा बीजेपी को मिला. सबसे हैरान करने वाली स्थिति हिमाचल प्रदेश में नजर आई, जहां पूर्ण बहुमत होने के बावजूद कांग्रेस राज्यसभा में अपने उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को जिता नहीं पाई. कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका है. 

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हिमाचल प्रदेश में बीजेपी के पास बहुमत नहीं था, लेकिन उम्मीदवार हर्ष महाजन राज्यसभा चुनाव जीत गए हैं. कांग्रेस के छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की. तीन निर्दलीय विधायकों ने भी कांग्रेस का साथ नहीं दिया. यह पहली बार है जब राज्यसभा चुनाव में दो उम्मीदवारों में बराबर-बराबर वोट मिलने की वजह से पर्ची से हार जीत का फैसला किया गया. हालांकि इस पर्ची के फैसले में भी कांग्रेस को किस्मत का साथ नहीं मिला और इसमें बीजेपी जीत गई.

अब सवाल उठने लगे हैं कि हिमाचल राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद क्या अब सुक्खू सरकार पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं? कारण, जिस तरह से राज्यसभा चुनाव में दोनों पार्टियों को बराबर वोट मिले हैं. ऐसे में बीजेपी सुक्खू सरकार के फ्लोर टेस्ट की मांग कर सकती है.

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हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता जयराम ठाकुर ने हिमाचल के राज्यपाल से मिलने के लिए सुबह 7:30 बजे का समय मांगा है. इस दौरान बीजेपी विधायक दल के सभी सदस्य मौजूद रहेंगे. जयराम ठाकुर ने कहा है कि बजट सत्र चल रहा है. बुधवार को बजट पास होना है. राज्यपाल और स्पीकर से मिलेंगे. वोट डिविजन का अधिकार दिया जाए. वोटिंग के जरिए बजट पास कराने की मांग की जाएगी.

उधर, हिमाचल राज्यसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन ने दावा किया है कि हिमाचल में जल्द सरकार गिरेगी.

इस सबके बीच कांग्रेस भी एक्टिव मोड में है. पार्टी ने हालात को देखते हुए कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को हिमाचल का पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. वह बुधवार को हिमाचल के लिए रवाना होंगे. बेंगलुरु से चंडीगढ़ के लिए फ्लाइट लेंगे और फिर सड़क मार्ग से हिमाचल जाएंगे. वह दोपहर तक हिमाचल पहुंच जाएंगे. हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी हिमाचल भेजा जा सकता है.

इस बीच बता दें कि कांग्रेस के सभी छह बागी विधायक पहले पंचकूला पहुंचे थे. इसके बाद वे लोग शिमला के लिए निकल गए.

कांग्रेस विधायकों ने अंतरात्मा की आवाज पर वोट किया: जयराम ठाकुर

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आजतक से खास बातचीत में जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल के विधायकों ने अंतरात्मा की आवाज पर वोट किया है. साथ ही उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर भरोसा जताया है. कांग्रेस विधायकों ने राज्यसभा चुनाव के जरिए अपनी पीड़ा को जाहिर करने का काम किया है. ये विधायक सरकार बनने के 3 महीने बाद से ही अपनी पीड़ा को विधानसभा के बाहर और भीतर जाहिर कर रहे थे, लेकिन जब सारी चीजें सीमा से पार हो जाती हैं तब कहीं न कहीं तो भड़ास निकलेगी. और राज्यसभा के चुनाव के दौरान उन्होंने अपनी पीड़ा को जाहिर करते हुए अपना मतदान बीजेपी के पक्ष में किया. 

चुनाव में पैसे, ED और सीबीआई के उपयोग को जयराम ठाकुर ने खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि यह विधायक कांग्रेस पार्टी के थे और कांग्रेस पार्टी की हिमाचल में सरकार है तो डराने धमकाने का सवाल ही पैदा नहीं होता है. उन्होंने कांग्रेस की हर पर बोलते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी को हिमाचल प्रदेश की सत्ता में रहने का अब कोई भी नैतिक अधिकार नहीं है. 

जानें, हिमाचल का नंबर गेम

बता दें कि हिमाचल प्रदेश में कुल 68 विधानसभा सीटे हैं. ऐसे में बहुमत के लिए किसी भी पार्टी को 35 सीटों की जरूरत होती है. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 40 विधायक जीते थे. बीजेपी के 25 और तीन अन्य विधायकों को जीत मिली थी. बहुमत मिलने पर कांग्रेस ने सरकार बनाई और सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाया गया. इस सरकार को तीनों निर्दलीय विधायकों ने भी अपना समर्थन दे दिया था. ऐसे में सुक्खू सरकार के पास कुल 43 विधायक थे, लेकिन अब राज्यसभा चुनाव में स्थिति अलग नजर आई.

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कांग्रेस के 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की. वहीं तीन निर्दलीय विधायकों ने भी क्रॉस वोटिंग कर बीजेपी का साथ दिया. इस चुनाव में बहुमत वाली कांग्रेस के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को सिर्फ 34 वोट मिले. वहीं बीजेपी को भी 9 क्रॉस वोट का साथ मिला और उसका आंकड़ा भी 34 हो गया. अब देखने वाली बात ये होगी कि अगर बीजेपी फ्लोर टेस्ट की मांग करती है तो क्या कांग्रेस अपने सभी विधायकों को वापस साध पाएगी या फिर ये विधायक राज्यसभा चुनाव की तरह ही बागी रुख अपनाएंगे? हालांकि अभी कांग्रेस की सरकार को कोई खतरा नजर नहीं आ रहा है, लेकिन और विधायक टूटते हैं तो कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

हिमाचल में अब आगे क्या? 

राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों पर कांग्रेस क्या एक्शन लेगी? बागी विधायकों को इस्तीफा देना पड़ेगा या फिर सभी की सदस्यता रद्द होगी. ये सवाल उठने लगे हैं क्या कांग्रेस बागी विधायकों पर एक्शन लेगी. अगर कांग्रेस इन पर एक्शन लेती है तो राज्य में विधायकों की संख्या घटकर 62 रह जाएगी और बहुमत का आंकड़ा भी 32 हो जाएगा. इन विधायकों पर कार्रवाई होने पर भी कांग्रेस के पास बहुमत रहेगा. हालांकि कांग्रेस इन विधायकों को मनाकर वापस लाने की कोशिश करेगी. यदि कांग्रेस इसमें कामयाब हो जाती है तो सुक्खू सरकार के पास वापस 40 विधायकों का समर्थन रहेगा. इस बीच सीएम सुक्खू खुद विधायकों की घर वापसी के संकेत दे चुके हैं.

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सुक्खू को बागी विधायकों की वापसी की उम्मीद

सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने अब अपने सरकार को बचाने की भी चुनौती है. हालांकि हिमाचल सीएम ने राज्यसभा चुनाव में बागी हुए विधायकों की घर वापसी के संकेत दिए हैं. सुक्खू ने अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने पर कहा कि 34 विधायक हमारे पास हैं. जिस प्रकार का दृष्टिकोण वह रखना चाहते हैं, सत्र में वो देखेंगे. रही राज्यसभा की बात तो जो विधायक गए हैं, उनके घर वाले उनसे सवाल पूछ रहे हैं. ऐसे में हो सकता है कि कई लोग घर वापसी की तरफ आ जाएं. 

अपने इस बयान से सुक्खू से कहीं न कहीं संकेत दे दिए हैं कि पार्टी इन बागी विधायकों को मनाने का पूरा प्रयास करेगी और मुख्यमंत्री को उम्मीद है कि अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की स्थिति में ये सभी विधायक उनके साथ खड़े रहेंगे. यदि कांग्रेस अपने सभी विधायकों को साधने में कामयाब रहती है तो पार्टी का आंकड़ा फिर से 40 हो जाएगा और अविश्वास प्रस्ताव आसानी से खारिज हो जाएगा. उधर, बीजेपी का आंकड़ा तीन निर्दलीयों के साथ 28 ही रह जाएगा. हालांकि कांग्रेस अपने विधायकों को एकजुट करने में कितनी कामयाब होती है, ये देखने वाली बात होगी.

सिंघवी की उम्मीदवारी बनी क्रॉस वोटिंग का कारण?

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जिन छह कांग्रेस विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है, वो दिवंगत वीरभद्र सिंह के खेमे के बताए जाते हैं. सियासी गलियारों में चर्चा है कि पार्टी के भीतर अभिषेक मनु सिंघवी की उम्मीदवारी को लेकर विरोधाभास था. पार्टी नेताओं ने सिंघवी को बाहरी उम्मीदवार करार दिया था. माना जा रहा है कि इसी नाराजगी का खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ा. वहीं खुद कह चुके हैं कि यह चुनाव कांग्रेस बनाम कांग्रेस था, न कि कांग्रेस बनाम बीजेपी. हालांकि इन विधायकों की नाराजगी सिर्फ राज्यसभा चुनाव तक थी या फिर आगे भी रहेगी, यह कुछ दिनों में स्पष्ट हो जाएगा.

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