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हिमाचल में VVIP नंबर की करोड़ों में बोली लगाने वाले निकले फ्रॉड, घर का पता देकर हुए फरार

हिमाचल के शिमला में गाड़ी के VVIP नंबर के लिए करोड़ों रुपये की बोली लगाई गई. HP-99-9999 नंबर के लिए 1 करोड़ से ज्यादा की बोली लगाई गई. लेकिन बोली लगाने वाले फ्रॉड निकले. परिवहन विभाग ने बोली लगाने वालों के पते (Addresses) को भी फर्जी पाया है.

VVIP नंबर के लिए करोड़ों रुपये की बोली (सांकेतिक तस्वीर) VVIP नंबर के लिए करोड़ों रुपये की बोली (सांकेतिक तस्वीर)
विकास शर्मा
  • शिमला,
  • 24 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:09 PM IST

हिमाचल के शिमला के कोटखाई इलाके में बीते दिनों एक अनोखा मामला सामने आया है. जहां 17 फरवरी को वीवीआईपी नंबर की ऑनलाइन बिडिंग हुई. ऐसे में HP-99-9999 वीवीआईपी नंबर के लिए करोड़ों रुपये की बोली लगी. वीवीआईपी नंबर देशराज ने HP-99-9999 खरीदने के लिए 1 करोड़ 12 लाख 15 हजार 500 रुपये की बोली लगाई. इनके बाद दूसरे बोली दाता नाम संजय कुमार ने 1 करोड़ 11 हजार रुपये की बोली लगाई. 

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संजय कुमार ने ऑनलाइन बिडिंग में अपना पता ब्लॉक नंबर वन, हाउस नंबर 2, होटल पीटरहॉफ शिमला भरा, जबकि देशराज ने अपना पता थाना 192, तहसील बद्दी, जिला सोलन भरा. परिवहन विभाग ने अब तीसरे बोली दाता धर्मवीर सिंह को मौका दिया है. जिसने अपना पता वार्ड नंबर 4, गांव कंडवाल, तहसील नूरपुर, जिला कांगड़ा भरा है. परिवहन विभाग ने इन पतों को फर्जी पाया है.

बोली लगाने वाले निकले फ्रॉड

पहली बोली लगाने वाले देशराज को तीन दिन का वक्त दिया गया लेकिन जब वह सामने नहीं आया, तो दूसरा मौका संजय कुमार को दिया गया. हालांकि ये भी फ्रॉड निकला. संजय कुमार ने भी कुल राशि का 30 फीसदी भाग जमा नहीं करवाया. परिवहन विभाग को नियमों के मुताबिक तीसरे स्थान पर बोली लगाने वाले धर्मवीर को तीन दिन का मौके देने पड़ रहे हैं.

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तीसरे बोली दाता को दिया गया समय

वीवीआईपी नंबर के लिए करोड़ों की बोली अब फ्रॉड होता नजर आ रही है. बोली दाताओं के पते देखकर यह लग ही नहीं रहा था कि यह पता सही हो सकते हैं. हालांकि परिवहन विभाग के अधिकारियों को भी पहले ही इस बात की भनक थी कि यह बोलियां सही नहीं हैं. बावजूद इसके नियमों के मुताबिक बोली दाताओं को पैसा जमा कराने का समय देना पड़ा. 

बेबस हुआ प्रशासन

अब सभी की निगाहें तीसरे बोली दाता धर्मवीर पर टिकी हुई हैं. परिवहन विभाग के सूत्र बताते हैं कि इस पूरे मामले को लेकर सरकार कोई कड़ा कानून ला सकती है. ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों. साथ ही मामले की जांच एसडीएम को सौंपी जा सकती है ताकि पता चल सके कि आखिर यह बोलियां कहां से लगीं. फिलहाल विभाग के पास कड़ी कानूनी कार्रवाई करने के लिए कोई सख्त नियम भी नहीं हैं.

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