
हिमाचल में राज्यसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस में शुरू हुई रार फिलहाल शांत नजर आ रही है. पार्टी की तरफ से नाराज मंत्री विक्रमादित्य सिंह को स्पष्ट कह दिया गया है कि लोकसभा चुनाव तक सीएम को लेकर कोई बदलाव नहीं होने वाला है. वहीं बागी विधायकों को मनाने के लिए कांग्रेस की तरफ से कोई प्रयास होते नजर नहीं आ रहे हैं. इस बीच हिमाचल संकट के निपटने के लिए भेजे गए पर्यवेक्षकों द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंपी गई रिपोर्ट सामने आई है.
आजतक/इंडिया टुडे ने जब ये तीन पन्नों की गोपनीय रिपोर्ट देखी है, तो पाया कि इसमें न केवल हिमाचल प्रदेश सीएम की पार्टी में उत्पन्न हुए संकट को भांपने में असमर्थता पर सवालिया निशान लगाया गया है, बल्कि इसके लिए राज्य अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को भी जिम्मेदार ठहराया गया है. इस गोपनीय रिपोर्ट में 8 पॉइंट शामिल हैं, जिसमें पर्यवेक्षकों ने पार्टी नेतृत्व को हिमाचल संकट पर प्रत्येक एंगल को विस्तृत रूप से समझाया है.
जानें पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट में क्या कुछ कहा-
1. सीएम की भूमिका: रिपोर्ट में राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग के बारे में अज्ञानता को लेकर सीएम सुक्खू की आलोचना की गई है. इसमें बताया गया है कि सीएम कैसे कह सकते हैं कि उन्हें क्रॉस वोटिंग के बारे में कोई जानकारी नहीं थी? यह अस्वीकार्य है कि वह अपने गुट को एक साथ रखने में असमर्थ थे और इस पर भी संदेह है कि क्या वह भविष्य में बगावत को नियंत्रित करने में सक्षम होंगे.
2. विक्रमादित्य की भूमिका: पर्यवेक्षकों के पैनल ने अपनी बैठकों के बाद पाया कि इस पूरे संकट में विक्रमादित्य की भूमिका पार्टी अनुशासन तोड़ने जैसी है. उनकी हरकतें कई संदेह पैदा करती हैं कि क्या आगे उन पर भरोसा किया जा सकता है?
3. बागी विधायकों की भूमिका: राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस के बागी विधायकों को बीजेपी ने भारी रकम दी और बीजेपी लगातार कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है.
4. पर्यवेक्षकों ने यह सुनिश्चित करने के लिए कई त्वरित सुधारों की सलाह दी है कि सरकार अस्थिर न हो. इसमें आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले लगभग 12 असंतुष्ट विधायकों को निगम और अन्य पद देना शामिल है.
5. पैनल ने प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह पर भी कड़ा प्रहार किया और प्रस्ताव दिया कि उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए और अध्यक्ष पद किसी और को दिया जा सकता है.
6. सीएम पद पर यथास्थिति: रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजेपी कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है ताकि राज्य में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ हों. इस परिदृश्य में लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री को बदलना संभव नहीं होगा.
7. पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि अगले कुछ दिनों में समन्वय समिति की घोषणा की जाए और इसमें सीएम, डिप्टी सीएम, प्रदेश अध्यक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा प्रस्तावित दो नेताओं को शामिल किया जाए.
8. पर्यवेक्षकों ने पार्टी नेतृत्व को सौंपी रिपोर्ट में संकेत दिया है कि बागी विधायकों की अलग-अलग राय है, इसलिए उन्हें तोड़ा जा सकता है. यानी उन्हें मनाकर वापस सरकार में शामिल किया जा सकता है.
क्या हुआ था हिमाचल प्रदेश में?
बता दें कि हिमाचल प्रदेश की सरकार का ये संकट राज्यसभा चुनाव के दौरान हुआ. हिमाचल की एक सीट पर राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. इस हार के बड़े चर्चे इसलिए हुए, क्योंकि कांग्रेस यहां बहुमत में है, जबकि बीजेपी के सिर्फ 25 विधायक ही थे. कांग्रेस के 6 विधायकों ने बगावत कर दी. इस तरह कांग्रेस के 6 और तीन निर्दलीयों विधायकों ने चुनाव से ऐन पहले खेमा बदल लिया और बीजेपी के लिए क्रॉस वोटिंग कर दी.
इसके चलते बीजेपी के उम्मीदवार जीत गए और कांग्रेस हार गई. इसके बाद से ही सुक्खू सरकार पर खतरे के बादल मंडराने लगे. इसके बाद से कांग्रेस डैमेज कंट्रोल में जुटी है. पार्टी की तरफ से लगातार कहा जा रहा है कि सुक्खू सरकार को कोई खतरा नहीं है.