
Parwanoo Timber Trail: हिमाचल प्रदेश के परवाणू (Parwanoo) में रोपवे (केबल कार) में सोमवार को दिक्कत आ गई थी, जिसकी वजह से उसमें 11 टूरिस्ट फंस गए थे. प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर सभी को सुरक्षित बचा लिया है. बताया गया कि हवा में 5 परिवारों के 10 लोग फंसे हुए थे, जबकि एक व्यक्ति कोलकाता का रहने वाला था. इस तरह 11 लोग रोपवे में फंस गए थे. इसकी सूचना मिलने के बाद पुलिस की टीमें मौके पर पहुंच गई थीं. थोड़ी देर बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मौके पर पहुंच गए. उन्होंने अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए.
रोपवे में फंसे लोगों को बचाने के लिए दूसरी केबल कार (ट्रॉली) भेजी गई. इसके जरिए रेस्क्यू ऑपरेशन किया गया. अब सोलन जिले में मौजूद Timber Trail (cable-car) में से सभी 11 टूरिस्ट को बचा लिया गया है.
#WATCH Cable car trolly with tourists stuck mid-air at Parwanoo Timber Trail, rescue operation underway; tourists safe#HimachalPradesh pic.twitter.com/mqcOqgRGjo
एसपी सोलन वीरेंद्र शर्मा ने पुष्टि करते हुए बताया कि करीब 1:30 बजे परवाणू के टीटीआर में तकनीकी दिक्कत आने के कारण केबल कार बीच मे अटकी थी. केबल कार में फंसे पर्यटकों ने बताया है कि वे लोग रिजॉर्ट जा रहे थे, तकनीकी दिक्कत आने के कारण यहां पर टिंबर ट्रेल फंस गई. उनका कहना था कि रेस्क्यू ट्रॉली के माध्यम से उन्हें नीचे उतारने का प्रयास किया गया.
पहले भी हुआ है ऐसा मामला
ऐसी ही घटना कसौली तहसील के परवाणू क्षेत्र में अक्टूबर, 1992 में हुई थी, जब दस लोगों की सांसें हवा में अटक गई थी. आज भी लोग उस समय को याद करते हैं तो सिहर उठते हैं. तीन दिन तक दस लोगों की सांसे हवा में अटकी रही व एक व्यक्ति की मौत भी हुई थी.
उस समय आर्मी व एयर फोर्स के जवानों ने सैकडों फुट की ऊंचाई पर फंसे लोगों की जान को बचाया था. टिबर ट्रेल रोपवे में ट्रॉली फंसने की सूचना चारों तरफ आग की तरह फैल गई थी. इसमें फंसे पर्यटक दिल्ली व पंजाब के थे.
ट्रॉली अटेंडेंट की हुई थी मौत
11 अक्टूबर, 1992 को कालका-शिमला नेशन हाइवे पर स्थित परवाणू के समीप बने टिबर ट्रेल रिजोर्ट में चलने वाली रोपवे ट्रॉली में पर्यटक बैठकर जा रहे थे तो सैकडों फुट की ऊंचाई पर ट्रॉली अचानक एक झटके के साथ रुक गई. अंदर बैठे लोगों समेत ही ट्रॉली तार पर पैंडूलम की हिचकोले खाने लगी.
काफी समय के बाद भी ट्रॉली न आगे बढ़ी व ही पीछे हट पाई. जानकारी के अनुसार ट्रॉली में अटेंडेंट समेत 12 लोग मौजूद थे, जिसमें एक छोटा बच्चा भी शामिल था. इसी दौरान ट्राली अटेंडेंट गुलाम हुसैन ने जान बचाने के लिए छलांग लगा दी थी जिस कारण उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी. वहीं दरवाजा बंद होने से पहले ही एक व्यक्ति गिर गया था, जिसमें उसको चोटें आई थीं.
घटना के एक दिन बाद भी यात्रियों को बाहर निकालने में सफलता नहीं मिली तो विशेष कमांडो दस्ते को बुलाया गया था. 13 अक्टूबर को इस दस्ते के मेजर क्रैस्टो अपने हेलीकॉप्टर के साथ ठीक ट्राली के ऊपर पहुंचे और एक रस्सी की सहायता से छत पर उतरे.
एक-एक करके सभी को रस्सी की सहायता से हेलीकॉप्टर तक पहुंचाकर वहां से सुरक्षित बाहर निकाला गया. बचाव अभियान में शामिल तत्कालीन मेजर इवान जोसेफ क्रैस्टो, ग्रुप कैप्टन फली होमी, विग कमांडर सुभाष चंद्र, फ्लाइट लेफ्टिनेंट पी उपाध्याय को सम्मानित भी किया गया था.