
पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश इन दिनों मौसम की मार झेल रहा है. लैंडस्लाइड की वजह से सड़कों पर भी जाम की स्थिति पैदा हो रही है. कई जगहों से तो ऐसी तस्वीरें भी सामने आईं जहां पूरी सड़क ही धंस गई. G-20 के मुद्दे पर आयोजित आजतक के खास कार्यक्रम में राज्य के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी आपदा और उससे हुए नुकसान पर खुल कर बात की थी. सीएम के मुताबिक पिछले 50 सालों में ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी गई. उन्होंने बताया था कि राज्य को इस आपदा की वजह से 10 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है और हम इससे उबरने के लिए एक साल के अंदर पहले जैसी स्थिति बहाल करेंगे.
ऐसे में आइए जान लेते हैं कि राज्य में हालात क्या हैं? ग्राउंड रियलटी क्या है? यह पहाड़ी राज्य मौसम की मार को कैसे झेल रहा है और आगे इससे निपटने के लिए क्या तैयारी है?
हाइवे को खोलने की कोशिश में जुटा प्रशासन
दरकते पहाड़, लुढ़कती चट्टानें, जड़ समेत उखड़ते पेड़ और उफनते नदी-नाले हिमाचल की सड़कों पर सफर को जानलेवा बना रहे हैं. उधर कुदरती आपदा से त्रस्त और करीब 10,000 करोड रुपये का आर्थिक नुकसान झेल चुके हिमाचल प्रदेश में अब जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है. राष्ट्रीय राजमार्गों और संपर्क सड़कों को खोलने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं.
केंद्र से मदद की आस लगाए बैठा राज्य
हिमाचल की सड़कों और पुलों को हुआ नुकसान 2200 करोड रुपये के आसपास आंका जा रहा है. केंद्र से राहत पैकेज की उम्मीद लगाए हिमाचल सरकार को 10 जुलाई से अब तक 830 करोड़ रुपये की मदद मिल पाई है, जबकि राज्य सरकार ने केंद्र से 2000 करोड़ रुपये के बाढ़ राहत पैकेज की मांग की थी. खाली खजाने से जूझ रही हिमाचल सरकार के लिए यह मदद ऊंट के मुंह में जीरे सरीखी है, क्योंकि राज्य में कुल नुकसान 10,000 करोड़ रुपए के आसपास हुआ है.
संकरी सड़क में तब्दील हो चुके हैं राज्य के हाइवे
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि सभी लिंक रोड खोल दिए गए हैं. बागवानों का सेब मंडियों तक पहुंच रहा है. सभी स्तर के प्रशासनिक अधिकारी सड़कें खोलने में लगे हुए हैं. सड़कों को जैसे-तैसे यातायात के लिए खोला जा रहा है. फोरलेन सड़कें सिमटकर गांव देहात की संकरी सड़क का रूप ले चुकी हैं.
सड़कें तो खुली लेकिन मुसीबत बरकरार
बताते चलें कि कालका–शिमला एक्सप्रेसवे हो या फिर मनाली–चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग. कहने को दोनों हाइवे परिवहन के लिए खोल दिए गए हैं, लेकिन इन पर वाहन चलाना जान जोखिम में डालने जैसा है. वाहन खतरनाक सड़कों पर रेंगने तो जरूर लगे हैं लेकिन चट्टानें, मलबा और विशालकाय पेड़ गिरने का खतरा बरकरार है. मौसम विभाग ने 22 अगस्त से 25 अगस्त के बीच 10 जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है.
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1400 से ज्यादा सड़कें प्रभावित
मलबा गिरने और फ्लैश फ्लड्स की वजह से राज्य की 1400 से ज्यादा सड़कें प्रभावित हैं. 100 के करीब पुल बह चुके हैं. इनमें से 895 सड़कें अभी भी बंद पड़ी हैं. हिमाचल की खराब सड़कों पर यातायात बहाल करना बड़ी चुनौती है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू खुद कह चुके हैं कि इन सड़कों को दुरुस्त करने में कम से कम एक साल का समय लग सकता है.
हिमाचल के हालात के लिए बेतरतीब निर्माण और खुदाई जिम्मेदार
भूवैज्ञानिक हिमाचल में बाढ़ से हुई खतरनाक तबाही के लिए बेतरतीब निर्माण और अवैज्ञानिक खुदाई को जिम्मेदार मान रहे हैं. वरिष्ठ भूवैज्ञानिक ओ.एन भार्गव कहते हैं कि फ्लैश फ्लड्स और भूस्खलन कोई नई बात नहीं है. लेकिन जिस तरह से सड़कों की खुदाई के बाद मलबा नदियों में गिराया गया, उससे जलस्तर बढ़ गया. लगातार बढ़ रहे भू–क्षरण के मामले जानलेवा साबित हो रहे हैं. सरकार ने निर्माण कार्य करते वक्त भू वैज्ञानिकों की चेतावनी को नजरअंदाज किया.'
इतने हाइवेज को हुआ नुकसान
गौरतलब है कि हिमाचल में राष्ट्रीय राजमार्ग 1628.377 किलोमीटर और स्टेट हाईवेज की लंबाई 2178.988 किलोमीटर है. राष्ट्रीय राजमार्गों का 993.29 किमी और स्टेट हाईवे का 1,111.552 किमी हिस्सा अत्यधिक लैंड स्लाइड्स की जद में आता है. वहीं राष्ट्रीय राजमार्गों का 516.46 किमी और स्टेट हाईवे का 873.24 किमी हिस्सा सामान्य भूस्खलन की जद में है. साल 2015 में की गई लैंडस्लाइड हजर्ड रिस्क एसेसमेंट के मुताबिक हिमाचल प्रदेश की सड़कों का 60 फीसदी हिस्सा भूस्खलन का खतरा झेल रहा है.
राज्य के पर्यटन और सेब उद्योग को करोड़ों रुपये की चपत
हाल ही में हुई मूसलाधार बारिश, फ्लैश फ्लड्स और लैंड स्लाइड्स के कारण राज्य की आर्थिकी की कमर भी टूट गई है. राज्य के पर्यटन, सेब और सामान्य उद्योगों को करोड़ों रुपए की चपत लगी है. एक अनुमान के मुताबिक राज्य के कुल 6000 करोड़ के सेब कारोबार (Apple Business) में से लगभग 1000 करोड़ रुपये के कारोबार को नुकसान पहुंचा है. सड़कें बंद हो जाने के बाद राज्य के पर्यटन कारोबारी भी मंदी की मार झेल रहे हैं.
कारोबारियों को राज्य सरकार से राहत की उम्मीद
परवाणु इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के महासचिव सार्थक तनेजा ने कहा, 'राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों में भी बारिश ने जमकर कहर बरपाया. कई जगहों पर सड़कें और पुल बह गए जिसकी वजह से कच्चा और तैयार माल जगह-जगह फंसा रहा. उद्योगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. राज्य सरकार से अपील है कि वह कर की अदायगी को या तो कुछ समय के लिए टाल दें या फिर टैक्स कम करके कारोबारियों को राहत दें.' सामान्य उद्योगों के अलावा राज्य का सेब कारोबार भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. राष्ट्रीय राजमार्ग बाधित होने के कारण बड़े ट्रक राज्य के अंदरूनी हिस्सों में नहीं पहुंच पाए, जिसके चलते बागवानों को अपनी फसल कार या छोटे वाहनों का इस्तेमाल करके मंडियों में पहुंचने पर मजबूर होना पड़ा.
उधर मौसम विज्ञान विभाग ने 22 अगस्त से 25 अगस्त के बीच राज्य के 10 जिलों में भारी बारिश की चेतावनी दी है. लोगों को आगाह किया गया है कि वह अनावश्यक रूप से यात्रा न करें और बाढ़ग्रस्त इलाकों से सुरक्षित जगहों पर चले जाएं. राज्य के ज्यादातर हिस्सों में पहले ही सामान्य से 157 फीसदी ज्यादा बारिश हो चुकी है. मौसम विभाग की चेतावनी से बिल्कुल साफ है कि अभी राज्य के लोगों को कुदरत की आफत से राहत मिलने के आसार नहीं हैं.