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हिमाचल में अयोग्य विधायकों को पेंशन नहीं! सुक्खू सरकार ने विधानसभा में पेश किया संशोधन विधेयक

हिमाचल प्रदेश में दलबदल के कारण अयोग्य विधायकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सुक्खू सरकार ने ऐसे विधायकों की पेंशन नहीं रोकने के लिए मंगलवार को सदन के पटल पर संशोधित विधेयक पेश किया है. इस विधेयक पर चर्चा होगी और फिर पारित होने के बाद मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा.

हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अयोग्य विधायकों से जुड़ा बिल सदन में पेश किया है. हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अयोग्य विधायकों से जुड़ा बिल सदन में पेश किया है.
aajtak.in
  • शिमला,
  • 04 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 10:27 AM IST

हिमाचल प्रदेश में अब विधायकों को पार्टी बदलने का निर्णय लेना आसान नहीं होगा. विधानसभा में एक विधेयक पेश किया गया है, जिसमें दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराए गए विधायकों की पेंशन रोकने का प्रस्ताव रखा गया है. इस विधेयक के दायरे में इस साल कांग्रेस से बागी होने वाले छह विधायक भी आएंगे, जिन्होंने सुक्खू सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था और पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे.

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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक 2024 पेश किया है. अब इस विधयेक पर चर्चा होगी और पारित किया जाएगा. उसके बाद राज्यपाल को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. अगर राज्यपाल की मंजूरी मिलती है तो यह कानून बन जाएगा. 68 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 40 विधायक हैं. BJP के 28 विधायक हैं.

नए विधेयक के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी भी समय संविधान की दसवीं अनुसूची (दलबदल विरोधी कानून) के अंतर्गत अयोग्य घोषित कर दिया गया हो तो वो अधिनियम के अंतर्गत पेंशन का हकदार नहीं होगा.

सरकार ने क्या तर्क दिया है?

सरकार ने विधेयक में संशोधन के उद्देश्य और कारणों का भी जिक्र किया है. प्रस्तावित संशोधन में कहा गया है कि विधेयक की इसलिए जरूरत थी, क्योंकि 1971 के अधिनियम में सदस्यों के दलबदल को हतोत्साहित करने, उन्हें संवैधानिक पाप करने से रोकने, लोगों द्वारा दिए गए जनादेश की रक्षा करने और लोकतांत्रिक मूल्यों को संरक्षित करने के लिए कोई प्रावधान नहीं था.

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बता दें कि इसी साल फरवरी में 2024-25 के लिए बजट पारित करने और कटौती प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदन से अनुपस्थित रहकर पार्टी व्हिप का उल्लंघन किए जाने पर 6 सदस्यों को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया गया था. इनमें कांग्रेस के बागी विधायक सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजिंदर राणा, इंदर दत्त लखनपाल, चेतन्य शर्मा और देविंदर कुमार का नाम शामिल था. बाद में उपचुनाव हुए तो सुधीर शर्मा और इंदर दत्त लखनपाल जीतकर सदन में लौट आए. हालांकि, चार अन्य सदस्य उपचुनाव हार गए. इसके अलावा, इन छह बागी कांग्रेस विधायकों ने 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में BJP उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान किया था और पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया था. नए विधेयक पर मुहर लगने पर ये बागी विधायक भी संशोधित अधिनियम के दायरे में आएंगे. 

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