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हिमाचल चुनाव: पुरानी पेंशन स्कीम का मुद्दा गरमाया, बीजेपी के लिए बनी चिंता

विधानसभा चुनाव से पहले हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. शिमला में सरकारी कर्मचारी अनशन कर रहे हैं. कांग्रेस ने पेंशन योजना को लागू करने का वादा पहले ही कर दिया है, जिससे बीजेपी की चुनौती बढ़ गई है. अब देखना है कि बीजेपी कांग्रेस के इस दांव से कैसे पार पाती है.

झारखंड सीएम जयराम ठाकुर झारखंड सीएम जयराम ठाकुर
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 07 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:24 AM IST

हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. साढ़े तीन दशक के सत्ता परिवर्तन की रवायत को बीजेपी तोड़ना चाहती है तो कांग्रेस अपनी वापसी के लिए बेताब है. चुनावी सरगर्मी के बीच पुरानी पेंशन बहाल के मुद्दे ने सियासी तपिश बढ़ा दी है और ये बीजेपी के लिए चिंता का सबब गया है. कांग्रेस ने घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का वादा करके बीजेपी का सिरदर्द बढ़ा दिया है. ऐसे में बीजेपी और सीएम जयराम ठाकुर ओपीएस का हल निकालने की कवायद में जुट गए हैं. 

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बीजेपी के लिए सियासी चुनौती

विधानसभा चुनाव से पहले हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना की मांग बढ़ती जा रही है. नई पेंशन योजना कर्मचारी संघ (एनपीएसईए) के बैनर तले सरकारी कर्मचारियों ने पिछले दिनों पुरानी पेंशन योजना की मांग को लेकर नौ दिन की पदयात्रा की थी. उस समय जयराम ठाकुर सरकार ने पूरी तरह चुप्पी साध रखी थी, लेकिन कांग्रेस के वादे के बाद बीजेपी चिंतित हो गई है. जयराम सरकार में कैबिनेट मंत्री बिक्रम ठाकुर ने शिक्षक दिवस के मौके पर सोमवार को सरकारी कर्मचारियों को ओपीएस के मुद्दे को हल करना का आश्वासन दिया. 

बिक्रम ठाकुर ने कहा कि सभी पार्टियां पुरानी पेंशन बहाल के मामले में आप सभी को गुमराह कर रही हैं. उन्होंने कहा कि ओपीएस पर सौहार्दपूर्ण वातावरण, सौहार्दपूर्ण विषय और कमिटमेंट बीजेपी ही करेगी, बाकी लोग झूठ बोल रहे हैं. ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ओपीएस का हल निकालने के लिए हाल ही में दिल्ली गए थे. सरकारी कर्मचारियों को विश्वास दिलाते हुए कहा कि ओपीएस का हल बीजेपी ही निकालेगी.

पुरानी पेंशन को लेकर आंदोलन

हिमाचल विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी के बीच पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के लिए प्रदेश भर के कर्मचारी क्रमिक अनशन कर रहे हैं. बीते तीन सप्ताह से शिमला में क्रमिक अनशन चल रहा है. लगातार सूबे के सरकारी कर्मचारी धरना दे रहे हैं. मंडी और हमीरपुर में भी कर्मचारी अनशन पर बैठे हैं. हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके चलते बीजेपी के लिए पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा बड़ी चुनौती बन गया है. 

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कर्मचारियों का आरोप है कि जब विधायकों को वित्तीय लाभ की बात आती है तो सरकार जल्दी फैसला लेती है लेकिन जब पुरानी पेंशन के लाभ की बात आती है तो वही सरकार फंड की कमी को लेकर रोने लगती है. हिमाचल प्रदेश में विधायकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलता है, जबकि सरकारी कर्मचारियों को नई पेंशन योजना के तहत लाभ दिया जाता है, जिसे लेकर कर्मचारियों ने आक्रामक रुख अपना रखा है.  

झारखंड में सियासी ताकत

बता दें कि हिमाचल प्रदेश में दो लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं. कर्मचारियों की सियासी ताकत को देखते हुए कांग्रेस पहले ही हिमाचल प्रदेश में सत्ता में आने पर पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का आश्वासन दे चुकी है. इतना ही नहीं, कांग्रेस ने भरोसा दिलाया है कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकार सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का कदम उठा चुकी है. ऐसे में हिमाचल की जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार पर भारी दबाव है. 

यूपी में दिखा था असर

उत्तर प्रदेश में इसी साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान सपा ने सरकारी कर्मचिरियों से पुरानी पेंशन बहाल का वादा किया था. ये माना गया कि सरकारी कर्मचारियों ने बड़ी संख्या में बीजेपी के खिलाफ मतदान किया था. इसका नतीजा यह था कि बैलेट पेपर की वोटिंग में सपा को 304 सीटों पर जीती मिली थी जबकि बीजेपी को 99 सीट पर बढ़त थी. हालांकि, ईवीएम की गिनती में बीजेपी चुनाव जीती थी. माना गया था कि यूपी में बैलेट पेपर में सपा की बढ़त में पुरानी पेंशन बहाल ने अहम रोल अदा किया था. यही वजह है कि बीजेपी हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन की मांग को लेकर चिंतित नजर आ रही है? 

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