
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में जल संकट गहरा गया है. शहर के कई हिस्सों में पिछले 9 दिनों से पानी नहीं है. शहर के जिन हिस्सों में टैंकर से पानी की आपूर्ति की जा रही है वहां लोग लंबी-लंबी कतारें लगाकर पानी आने का इंतजार कर रहे हैं. हालत यह है कि मंगलवार को पानी की आपूर्ति न होने से नाराज़ लोग सड़कों पर उतार आए लेकिन पानी के एवज में सिर्फ़ पुलिस के थप्पड़ और डंडे ही मिले.
पानी को लेकर स्थानीय लोगों में इस कदर असुरक्षा की भावना फैल गई है कि अब वह नहीं चाहते की गर्मियों में पर्यटक शिमला घूमने आएं. शिमला में ज़रूरत के मुताबिक पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है और जो पानी उपलब्ध है लोग उसे पर्यटकों के साथ बांटना नहीं चाहते. वह चाहते हैं की शिमला आने वाले पर्यटकों को राज्य की सीमा पर ही रोक दिया जाए.
शिमला के बालूगंज में रहने वाले विनोद लखन पाल ने कहा कि शहर में इमरजेंसी लगा देनी चाहिए. पर्यटकों को परवानू बैरियर पर ही रोक दिया जाए. शिमला शहर में सारी कमर्शियल गतिविधियों को रोक देना चाहिए. पीने के पानी के अलावा अब टॉयलेट के इस्तेमाल के लिए भी पानी उपलब्ध नहीं है. हालात काफी खराब हो गए हैं.
जल आपूर्ति न होने से नाराज़
उधर कई दिनों से पानी की किल्लत झेल रहे शिमला के लोगों ने गुस्से में मंगलवार को शहर के कई हिस्सों में धरने प्रदर्शन किए. शहर के मेयर से मिलने गये तो पता चला की मेयर साहब चीन के दौरे पर हैं. लोगों को बदले में पुलिस की धक्का-मुक्की और लात घूंसे सहने पड़े. बेरहम पुलिस कर्मियों ने महिलाओं को भी नहीं बक्शा और जमकर लाठी चलाई.
शिमला में आम जनता पानी के लिए तरस रही है और राजधानी के वीवीआईपी इलाक़ों में पानी की आपूर्ति बेरोकटोक की जा रही है. पानी के लिए पुलिस की मार सहने वाले सिर्फ़ आम आदमी हैं. इनमें न तो सरकारी कर्मचारी, न अधिकारी और न राजनेताओं के परिवार शामिल हैं क्योंकि उनके यहां पानी की किल्लत नहीं है.
शिमला के जल संकट पर नज़र रखे हाई कोर्ट ने शिमला में पानी की बंदर बांट को लेकर सरकार को जमकर फटकार लगाई और मुख्यमंत्री-राज्यपाल के अलावा किसी दूसरे को टेंकर से पानी की आपूर्ति पर रोक लगा दी है.
मुख्यमंत्री ने दिया भरोसा
राज्य के मुख्यमंत्री भी मान रहे हैं की शहर में पानी की आपूर्ति खराब है लेकिन वह सारा दोष कुदरत पर मढ़ रहे हैं. वह पानी लाने की योजना की बात तो कर रहे हैं लेकिन लोगों को पानी कब मिलेगा ये उनको भी मालूम नहीं है. हालांकि वह आश्वासन दे रहे हैं कि जल्द ही हालात सामान्य हो जाएंगे और पानी की आपूर्ति बहाल होगी.
पानी के लिए तरस रही शिमला की जनता को फिलहाल मुख्यमंत्री के कोरे आश्वासनों पर यकीन नहीं है. उनको पानी चाहिए क्योंकि अब हालत बिगड़ रहे हैं. शहर में पानी महंगे दामों पर बेचा जा रहा है जो आम आदमी के बूते से बाहर है. पानी के लिए भूख हड़ताल पर बैठे 65 साल के कुलजीत राणा का मानना है कि प्यासे मरने से अच्छा है की भूखे ही मर जाएं.
शिमला के अलावा राज्य के कई दूसरे शहरों में भी पानी की किल्लत है. साथ लगते सोलन और कसौली में भी कई-कई दिन बाद पानी की आपूर्ति की जा रही है. बारिश न होने से पानी के कुदरती स्रोत सूख गये हैं. आम जनता बहाल है और सरकार हालात सुधारने में नाकाम दिख रही है.