गुलाब को फूलों का राजा यू ही नहीं कहा जाता है. गुलाब बागीचों की रौनक, गुलदस्तों की शान या मोहब्बत के इजहार का जरिया ही नहीं, बल्कि अच्छी कमाई का साधन भी है. इसके तेल की अंतरराष्ट्रीय मार्केट में खूब डिमांड है, जिसके चलते इसकी कीमत भी आसमान छू रही है. यही वजह है कि इन दिनों जम्मू/कश्मीर में इनकी खेती पर जोर दिया जा रहा है. (फोटो/मोहम्मद इकबाल)
सजावटी गुलाब अलग-अलग रंगों के होने के साथ देखने में खूबसूरत होते हैं, लेकिन खुशबूदार गुलाब देखने में तो इतने आकर्षक नहीं होते, लेकिन इनकी महक दूर से ही किसी भी इंसान को अपनी ओर खींच लाती है. घाटी में गुलाबों के उत्पादन में उसकी सुंदरता से अधिक उसकी खुशबू पर ध्यान दिया जा रहा है. (फोटो/मोहम्मद इकबाल)
इन खुशबूदार गुलाबों का इस्तेमाल Rose Oil यानी गुलाब का तेल बनाने के लिए किया जाता है. इसके लिए पहले गुलाबों को इकट्ठा किया जाता है और उसके बाद एक खास प्रकिया से तेल निकाला जाता है. (फोटो/मोहम्मद इकबाल)
एक लीटर गुलाब का तेल हासिल करने के लिए करीब 4 टन यानी 4000 किलो गुलाब के फूलों की आवश्यकता होती है. गुलाब का यही तेल फिर अलग-अलग तरह के इत्र और दवाएं बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. (फोटो/मोहम्मद इकबाल)
गुलाब जल (Rose Water) भी गुलाब के तेल की बूंदों से ही बनाया जाता है. एक अनुमान के मुताबिक, 1 लीटर गुलाब के तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय मार्केट में करीब 25-30 लाख रुपए है. दुनिया भर में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. (फोटो/मोहम्मद इकबाल)
जानकारों का मानना है कि आने वाले वक्त में किसानों के लिए गुलाब की खेती और मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है. एक हेक्टेयर जमीन में आसानी से 4 टन गुलाब की पैदावार हासिल की जा सकती है. लागत के मुकाबले किसानों को गुलाब की खेती करने पर कई गुना ज्यादा आमदनी हो सकती है. (फोटो/Getty images)
जम्मू और कश्मीर की आबोहवा गुलाब की खेती के लिए काफी मददगार है. किसान भी गुलाब की खेती के आधुनिक तरीकों के बारे में ज्यादा जानने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. (फोटो/Getty images)
आज तक टीम ने इस विषय पर कृषि वैज्ञानिक डॉ. मियां शाहिद रसूल से बात की. वे भारत सरकार के संस्थान CSIR (सेंट्रल साइंस इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च) के प्रोजेक्ट से जुड़े हैं. (फोटो/Getty images)
उन्होंने बताया कि कोविड-19 की वजह से पिछले डेढ़ साल में रोजगार काफी प्रभावित हुए, लेकिन घाटी में फील्ड स्टेशन पर खेती से जुड़े सारे काम जारी रहे. इसके लिए कोविड सुरक्षा प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन किया गया. (फोटो/Getty images)
डॉ. रसूल के मुताबिक, कच्चा एक लीटर गुलाब का तेल नौ से दस लाख रुपए का होता है, लेकिन प्रोसेसिंग के विभिन्न चरणों के बाद इसकी कीमत कई गुणा बढ़ जाती है. (फोटो/Getty images)
डॉ. रसूल ने बताया कि एरोमेटिक गुलाब (खुशबूदार गुलाब) से निकले तेल का इस्तेमाल हायर एंड कॉस्मेटिक्स, फ्लेवर्स, फ्रैंग्रेंस, एरोमा थेरेपी में किया जाता है. (फोटो/Getty images)