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कश्मीर में 66 दिन बाद खुले कॉलेज-यूनिवर्सिटी, लेकिन हाजिरी ​बेहद कम

जम्मू-कश्मीर सरकार ने बुधवार से सभी कॉलेज, विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा संस्थानों को खोलने का आदेश दिया है. स्कूलों को पहले ही खोल दिया गया था.

प्रतीकात्मक फोटो (ANI) प्रतीकात्मक फोटो (ANI)
शुजा उल हक
  • श्रीनगर,
  • 09 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 3:55 PM IST

  • पाबंदियों के चलते छात्रों की उपस्थिति बेहद कम रही
  • घाटी में दो महीने से ज्यादा समय से पाबंदियां चल रही हैं

जम्मू-कश्मीर सरकार ने बुधवार से सभी कॉलेज, विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा संस्थानों को खोलने का आदेश दिया है. स्कूलों को पहले ही खोल दिया गया था. हालांकि, कश्मीर घाटी में दो महीने से ज्यादा समय से चल रही पाबंदियों के चलते स्कूल और विश्वविद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति फिलहाल बेहद कम रह रही है.

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श्रीनगर में बीकॉम के छात्र रूबान ने ​बताया, “मैं बीकॉम का छात्र हूं. समस्या यह है कि माहौल ठीक नहीं है. कम्युनिकेशन के साधन काम नहीं कर रहे हैं, परिवहन सेवाएं ठप हैं. अभिभावक भी बच्चों को बाहर भेजने से डर रहे हैं.”

रूबान अकेले नहीं हैं जो ऐसा महसूस कर रहे हैं. श्रीनगर के एसपी कॉलेज पहुंचे कुछ और छात्रों ने बताया कि माहौल ठीक नहीं है. एसपी कॉलेज के बाहर एक छात्र ने बताया, “हम यहां हालात का जायजा लेने आए थे. अंदर बहुत से अर्धसैनिक बल के जवान मौजूद हैं. ऐसे में किसी का अंदर जाने का मन नहीं करेगा. ऐसा लग रहा है कि इस वक्त कॉलेज का इस्तेमाल सुरक्षा बलों के लिए किया जा रहा है और आगे भी किया जाता रहेगा. हम निश्चित तौर पर अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं क्योंकि परीक्षाएं नजदीक आ रही हैं, लेकिन हमारे अभिभावक भी डरे हुए हैं.”

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एक और छात्र अकीब मोटरसाइकिल से पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि वे यह देखने आए हैं कि उनकी वार्षिक परीक्षा के बारे में क्या खबर है. अकीब का कहना है, “आज यहां मुश्किल से कोई छात्र दिख रहा है. जो कुछ चल रहा है उससे ज्यादातर लोग चिंतित हैं. कोई मोबाइल नेटवर्क काम नहीं कर रहा है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी बहुत सीमित है.” इसके पहले सरकार ने स्कूलों को खोलने का आदेश दिया था लेकिन बड़ी संख्या में छात्र नदारद रहे. अभिभावकों का कहना है कि माहौल सामान्य  नहीं है और कश्मीरी लोग अभी सदमे से बाहर नहीं निकले हैं.

एक अभिभावक अली मोहम्मद ने कहा, “सबसे पहली बात तो जो कुछ हुआ उससे कश्मीरी खुश नहीं हैं. सरकार को यह (अनुच्छेद 370 ​हटाने का काम) नहीं करना चाहिए था. अगर दिमागी शांति नहीं है तो स्कूल कॉलेज क्या करेंगे? जहां तक छात्रों की बात है तो कोई भी माता पिता किसी तरह का खतरा उठाने को तैयार नहीं हैं.”

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को बड़ा फैसला करते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया था और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया. उसके बाद से घाटी में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. आम जनजीवन भी गंभीर रूप से प्रभावित है.

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