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J-K: क्या अमरनाथ गुफा के पास हुआ हादसा रोका जा सकता था? तस्वीरों से समझें कहां हुई लापरवाही

अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने के बाद यात्रा स्थगित कर दी गई थी. शाम 5 बजकर 30 मिनट बादल फटा था. हादसे के वक्त गुफा के पास करीब 10 हजार श्रद्धालु मौजूद थे. सेना, एनडीआरएफ ने तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया था.

8 जुलाई को गुफा के अचानक फट गया था बादल (फाइल फोटो) 8 जुलाई को गुफा के अचानक फट गया था बादल (फाइल फोटो)
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 11:57 PM IST
  • आपदा में अब तक 16 लोगों की जान चली गई
  • 40 से ज्यादा लापता लोगों की तलाश की जा रही

अमरनाथ गुफा के पास 8 जुलाई की शाम को अचानक बादल फटने से सैलाब आ गया था. इस आपदा में अब तक 16 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 40 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं. हालांकि इस घटना को लेकर अब सरकार-प्रशासन ही सवाल उठने लगे हैं.

जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने सवाल उठाया है कि सैलाब के चलते वहां मौजूद टेंट और लंगर कैसे दबते चले गए. उन्होंने कहा कि आज तक उस जगह (वॉटर बेड) पर कैंप नहीं लगाए गए, इस साल पहली बार हुआ है. पंजतरणी में किसी को कुछ भी लगाने की अनुमति नहीं है. ऐसा हमेशा से चलता आ रहा है. मेरे हिसाब से इसकी जांच होनी चाहिए.

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फारुख अब्दुल्ला के सवालों के बाद आजतक की टीम ने जांच शुरू की. आज तक के पास कुछ तस्वीरें और वीडियो मौजूद हैं, जिससे साफ पता चल रहा है कि जहां से पहाड़ का पानी जाने का रास्ता होता है, उस वॉटर बेड पर टेंट और तंबू लगे हुए हैं. 

पानी वाले रास्ते पर लगा दिए गए टेंट

यह तस्वीर पवित्र अमरनाथ गुफा के दर्शन के दौरान ऊपर से ली गई थी. यहां से साफ दिखाई पड़ रहा है कि अमरनाथ गुफा के नीचे जो वॉटर बेड है, जहां से बारिश के दौरान पानी अलग-अलग रास्तों से होकर गुजरता है. उस रास्ते पर भी ज्यादा संख्या में टेंट लगा दिए गए थे. जानकार बताते हैं कि आम तौर पर ये टेंट वॉटर बेड से ऊंचाई के स्थानों पर लगाए जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया.

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टेंट लगाने में लापरवाही बरती गई

8 जुलाई को जब बादल फटने के बाद जब सैलाब ऊपर से नीचे आया तो इसी रास्ते से गया. इस तस्वीर में दिख रहा है कि वॉटर बेड यानी कि जिस रास्ते से पानी आगे की ओर जाता है, वह सूखा है यहां पर टेंट लगा हुआ है. इस तस्वीर से स्पष्ट है कि टेंट लगाने में लापरवाही बरती गई. इसमें दिख रहा रास्ता वही जगह है, जहां से बादल फटने के बाद पानी तेजी से नीचे आया था. तस्वीर में दिख रहा है कि इसी रास्ते से लोगों का आना जाना था. यही टेंट लगे हुए हैं.

15 हजार तीर्थयात्रियों को निकाल लिया गया

बादल फटने की घटना में घायलों की संख्या करीब 105 है. लापता 40 लोगों के लिए बचाव अभियान जारी है. सेना ने बचाव कार्यों के लिए 4 MI 17 हेलीकॉप्टरों और 4 चेतक हेलीकॉप्टरों को लगाया था. भारतीय वायु सेना के जवान लगातार तलाश में जुटे हैं. डीजी एनडीआरएफ ने भी रविवार को इलाके का दौरा किया था. यहां विभिन्न स्थानों पर फंसे 15000 हजारों तीर्थयात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा चुका है.

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