
गृह मंत्री का पद संभालते ही अमित शाह लगातार बैठकें कर रहे हैं. इसी दौर में मंगलवार को उन्होंने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर अधिकारियों और सुरक्षा एजेंसियों से बात की. इस बीच खबर है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर नए सिरे से परिसीमन करवा सकती है. घाटी में 2002 से परिसीमन पर रोक लगी हुई थी, लेकिन अब अमित शाह इस फैसले को पलट सकते हैं.
मंगलवार सुबह गृह मंत्रालय में जब अमित शाह ने बैठकों का दौर शुरू किया तो सुगबुगाहट तेज हो गई. इसी बैठक के दौरान पूरे राज्य में नए तरीके से परिसीमन करने पर विचार किया गया और इसके लिए एक आयोग गठन की बात भी सामने आ रही है.
इस बैठक के बाद अमित शाह ने कई केंद्रीय मंत्रियों से बात की और जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सतपाल मलिक से भी फोन पर चर्चा की. सूत्रों के हवाले से जो खबरें बाहर आ रही हैं उनके मुताबिक अगर नया परिसीमन लागू होता है तो कश्मीर रीजन में SC-ST के लिए कुछ विधानसभा सीटें आरक्षित की जा सकती हैं.
इसके अलावा अगर परिसीमन बदलता है तो सिर्फ घाटी ही नहीं, जम्मू रीजन में भी सीटों में कुछ बदलाव आ सकता है. इसमें सीटों की संख्या, सीटों का क्षेत्र, आरक्षित सीटों में बदलाव संभव है. जो परिसीमन आयोग गठित किया जा रहा है उसका लक्ष्य इन्हीं मुद्दों को आगे बढ़ाने का हो सकता है.
दरअसल, जम्मू-कश्मीर विधानसभा को लेकर कई बार सवाल खड़े होते रहे हैं. जम्मू क्षेत्र के लोगों ने कई बार सवाल खड़े किए हैं कि विधानसभा में उनकी उपस्थिति कम है, तो वहीं कश्मीर के लोगों की ओर से शिकायत थी कि वहां गुर्जर, बक्करवाल और गढ़ी समुदाय के लोगों को SC/ST की श्रेणी में डाला गया था लेकिन उनका कोई प्रतिनिधि विधानसभा में ही नहीं है.
राज्य में क्या है परिसीमन का इतिहास?
आपको बता दें कि इससे पहले राज्य में परिसीमन को लेकर 1995 में एक कमीशन का गठन किया गया था. तब रिटायर्ड जस्टिस के. के. गुप्ता की कमेटी ने रिपोर्ट दी थी कि राज्य में हर 10 वर्ष के बाद परिसीमन होना चाहिए, जिसके हिसाब से 2005 में परिसीमन होना था.
लेकिन 2002 में फारूक अब्दुल्ला की सरकार ने राज्य में किसी भी तरीके के परिसीमन पर 2026 तक के लिए रोक लगा दी थी. जम्मू-कश्मीर के पीपल एक्ट 1957 में सेक्शन 47 (3) के तहत परिसीमन किया जा सकता है.
आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 87 सीटें हैं. इनमें 46 सीटें कश्मीर रीजन, 4 सीटें लद्दाख रीजन और 37 सीटें जम्मू रीजन की हैं. इन 87 सीटों के अलावा 2 सीटें नॉमिनेटेड के लिए रिजर्व हैं. (Photo Credit: http://ceojammukashmir.nic.in)
अनुच्छेद 370 और 35ए पर गर्माया है माहौल
आपको बता दें कि बतौर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जब लोकसभा चुनाव में प्रचार कर रहे थे तब वह अनुच्छेद 370, 35(ए) को लेकर काफी आक्रामक थे. शाह का दावा था कि वह कश्मीर से 370 हटा कर रहेंगे. लेकिन अब जब वह गृहमंत्री हैं तो उन्हें हर पहलू को सोचकर आगे बढ़ना होगा.