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J-K: बेमौसम बारिश और कोरोना से सेब की फसल खराब, मदद की मांग

जम्मू-कश्मीर में पर्यटन के बाद फल उत्पादन रोजगार और आय का दूसरा सबसे बड़ा साधन है. इस व्यवसाय से 25 लाख लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुटे हुए हैं.

कोरोना संक्रमण का असर सेब की पैदावार पर (फोटो-आजतक) कोरोना संक्रमण का असर सेब की पैदावार पर (फोटो-आजतक)
शुजा उल हक
  • श्रीनगर ,
  • 01 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 2:24 PM IST
  • कोरोना की वजह से सेब की फसल प्रभावित
  • लगातार दूसरे साल किसानों के सामने मुश्किलें
  • केंद्र और स्थानीय प्रशासन से मदद की मांग

जम्मू-कश्मीर के सेब किसानों की दुश्वारियां खत्म नहीं हो रही है. पिछले साल सरकार की पाबंदियों की वजह से सेब किसानों को परेशानी हुई थी तो इस बार कोरोना संक्रमण किसानों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है. 

सेंट्रल कश्मीर के सेब किसान अली मोहम्मद कहते हैं कि इस बार फसल अच्छी नहीं है. उन्होंने कहा, "आप खुद देख लीजिए, सेबों पर दाग है, घटिया कीटनाशक, खराब मौसम और कोरोना संक्रमण की वजह से पैदा हुई मुश्किलों की वजह से सेब की किस्म अच्छी नहीं हो पाई है. हमें इस बार नुकसान होने वाला है. 

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अली मोहम्मद जैसे कई दूसरे किसान भी इस बार परेशान हैं. अब्दुल हमीद ने कहा, "कई सारी परेशानियां हैं, मजदूर नहीं है, उपज कम हुई है, इस बार दाम भी कम है, खरीदार डरे हुए हैं."

अधिकारियों का कहना है कि इस साल सेब के उत्पादन में कुल 20 से 30 फीसदी की कटौती हो सकती है. 2019 में 20 से 22 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हुआ था. इस बार अगर दक्षिण कश्मीर छोड़ दें तो सभी फल उत्पादकों को नुकसान होना तय है. 

हॉर्टिकल्चर डायरेक्टर एजाज़ अहमद कहते हैं कि इस साल पिछले दो सालों से कम फसल है. इसकी पहली वजह तो ये है कि इस बार बेमौसम बारिश हो रही है, दूसरी बात ये है कि दूसरी जगह से यहां पर मधुमक्खियों का झुंड आ गया था. कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार इन मधुमक्खियों को हटाया नहीं जा सका. 

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बता दें कि जम्मू-कश्मीर में पर्यटन के बाद फल उत्पादन रोजगार और आय का दूसरा सबसे बड़ा साधन है. इस व्यवसाय से 25 लाख लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुटे हुए हैं. इन किसानों की उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन इनकी मदद करने के लिए आएगा. 

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