
शोपियां मुठभेड़ को लेकर सेना की कार्रवाई पर सवाल उठे हैं. जांच में पाया गया है कि मुठभेड़ के दौरान सेना के जवानों ने नियमों की अवहेलना की. कोर्ट ऑफ इन्क्वारी में जवानों को दोषी मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की गई है. इस बारे में सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे का भी बयान आया है. जनरल नरवणे ने आजतक/इंडिया टुडे से कहा कि सेना ऐसी किसी गलती पर जीरो टोलरेंस की नीति अपनाती है.
जनरल नरवणे ने शुक्रवार को कहा कि अम्शीपोरा केस की जांच पूरी पारदर्शिता के साथ की जाएगी और उसे हर हाल में अंजाम तक पहुंचाया जाएगा. भारतीय सेना अपने पेशेवर अंदाज के लिए जानी जाती है और वह इसके लिए प्रतिबद्ध है. हिंसा प्रभावित इलाकों के लिए जो भी गाइडलाइंस बनाई गई है, उसमें हमारी जीरो टोरलेंस की नीति है. ऐसी गलती बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
बता दें, सेना ने अम्शीपोरा (शोपियां) मुठभेड़ को लेकर अपनी जांच कराई है. इसमें प्रथम दृष्टया कुछ संकेत मिले हैं कि सेना के ऑपरेशन के दौरान अफस्पा 1990 के कानूनों का उल्लंघन किया गया. चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) की तरफ जो निर्देश दिए गए हैं, उनका उल्लंघन किया गया है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्देश दिए हैं, जिन्हें नजरअंदाज किया गया है. शुरुआती जांच में जो लोग दोषी पाए गए हैं, उनके खिलाफ सेना प्रमुख ने अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए हैं.
जांच के दौरान जो सबूत जुटाए गए, उससे पता चला है कि अम्शीपोरा में सेना के ऑपरेशन में जो तीन अंजान आतंकी मारे गए वे राजौरी के इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मोहम्मद इबरार थे. उनके डीएनए जांच की रिपोर्ट अभी नहीं आई है. पुलिस फिलहाल यह जांच कर रही है कि उन तीनों मृतकों के आतंकियों या आतंकी गतिविधि में कोई संलिप्तता थी या नहीं.
बता दें, इस घटना के पीड़ितों ने सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाया था और तीन लोगों के पीड़ित परिवार का आरोप है कि यह फर्जी एनकाउंटर था. इस घटना में जिन लोगों को मारा गया उनका आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं था. जो तीन लोग मारे गए थे उनका डीएनए रिपोर्ट भी अभी आना बाकी है. अब प्रथम दृष्टया जो लोग दोषी पाए गए हैं, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं.