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कश्मीर में अलगाववादियों के साथ नहीं होगी बात, हिंसा के साथ सख्ती से निपटेंगे: राम माधव

राम माधव ने दोहराया कि कश्मीर पर सरकार का रुख साफ है. आतंकी और उनके प्रायोजकों के साथ सख्ती से निपटने की कोशिश की जा रही है. साथ ही सड़कों पर पत्थरबाजी करने वाले भटके हुए युवाओं के खिलाफ भी दृढ़ता दिखाई जा रही है.

कश्मीर में सराहनीय काम कर रहे सुरक्षाबल-राम माधव कश्मीर में सराहनीय काम कर रहे सुरक्षाबल-राम माधव
लव रघुवंशी
  • नई दिल्ली,
  • 30 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 8:47 AM IST

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने साफ किया है कि मोदी सरकार कश्मीर के अलगाववादियों के साथ कोई बातचीत नहीं करेगी. उन्होंने आरोप लगाया कि अलगाववादी कश्मीरियों को हिंसा की राजनीति में बलि का बकरा बना रहे हैं. राम माधव बीजेपी के जम्मू-कश्मीर मामलों के प्रभारी भी हैं.

'लाशों पर सियासत कर रहे अलगाववादी'
सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए संदेश में माधव ने कहा, 'अलगाववादियों का सिर्फ एक मकसद है: वादी में हर रोज कम से कम एक लाश उठे ताकि वो लाशों पर जज्बातों की सियासत कर सकें. ये लोग कश्मीर के लोगों को हिंसा और अलगाववाद की घृणित राजनीति के लिए बलि का बकरा बना रहे हैं. दूसरी ओर, सरकार और सुरक्षाबल ये लगातार सुनिश्चित कर रहे हैं कि ये नापाक इरादे कामयाब ना हों. सरकार और सुरक्षाबल पूरी संजीदगी से इस कठिन जिम्मेदारी को निभा रहे हैं.'

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'साफ है सरकार की नीति'
राम माधव ने दोहराया कि कश्मीर पर सरकार का रुख साफ है. आतंकी और उनके प्रायोजकों के साथ सख्ती से निपटने की कोशिश की जा रही है. साथ ही सड़कों पर पत्थरबाजी करने वाले भटके हुए युवाओं के खिलाफ भी दृढ़ता दिखाई जा रही है ताकि हिंसा पर लगाम लगाई जा सके. लेकिन साथ ही इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि कम से कम लोगों की जानें जाएं.

सुप्रीम कोर्ट में साफ किया था रुख
शुक्रवार को केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि अलगाववादियों के साथ बातचीत करने का उसका कोई इरादा नहीं है. जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकारी वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया था कि कश्मीर की आजादी का नारा लगाने वालों के साथ बातचीत मुमकिन नहीं है. उन्होंने साफ किया था कि हालात सुधारने के लिए वार्ता सिर्फ कानूनी तौर पर वैध पक्षों से ही हो सकती है. बार एसोसिएशन ने याचिका में पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि रोक तभी मुमकिन है अगर याचिकाकर्ता ये सुनिश्चित कर सकें कि कश्मीर में पत्थरबाजी नहीं होगी.

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