
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने कश्मीरी पंडितों पर हो रहे अत्याचार के लिए फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और गांधी-नेहरू के परिवारों को जिम्मेदार ठहराया. चुघ ने आरोप लगाया कि इन परिवारों ने पंडितों की बड़े पैमाने पर हत्याएं करने और उन्हें 90 के दशक में राज्य छोड़ने के लिए पाकिस्तान की एजेंसी ISI के साथ हाथ मिलाया था.
संसद में फारूक अब्दुल्ला के इस तर्क पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि उनकी सरकार ने 1989 में कश्मीरी पंडितों की रक्षा करने की कोशिश की थी, चुघ ने कहा कि यह झूठ का पुलिंदा है जो अब्दुल्ला कह रहे हैं. उन्होंने कहा कि तथ्य ये है कि अब्दुल्ला ने कश्मीरी पंडितों को प्रताड़ित करने, हत्याओं और बलात्कारों द्वारा उन पर अत्याचार करने और उन्हें राज्य छोड़ने के लिए मजबूर करने की योजना बनाई थी.
उन्होंने कहा कि अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार की राष्ट्र-विरोधी राजनीति ने जम्मू-कश्मीर को पतन के कगार पर पहुंचा दिया था. अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए चुघ ने कहा कि तब से जम्मू-कश्मीर में एक नए युग की शुरुआत हुई है और लोगों ने विकास और प्रगति का एक नया जीवन जीना शुरू कर दिया है. वे कर्फ्यू और पत्थरों की बात नहीं करते, वे प्रगति और विकास की बात करते हैं.
उन्होंने कहा कि अब्दुल्ला और मुफ्ती जम्मू-कश्मीर को फिर से हिंसा और अशांति के स्तर पर ले जाने पर आमादा हैं, लेकिन अब उनके राष्ट्र-विरोधी मंसूबे सफल नहीं होंगे, क्योंकि लोग उनकी राजनीतिक साजिशों के प्रति जाग गए हैं.
नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के मुखिया और लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला ने बुधवार को केंद्र सरकार पर हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि स्मृति इरानी ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने से पहले तक वहां नाबालिग लड़कियों की शादी पर कोई रोक नहीं थी. इसपर जवाब देते हुए सांसद फारूक अब्दुल्ला ने लोकसभा में कश्मीरी पंडितों का जिक्र किया. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र की मंत्री ने कहा कि जब से उनकी सरकार आई है, जम्मू कश्मीर में बाल विवाह रुक गए हैं. लेकिन वह पूरी तरह गलत हैं. महाराजा हरि सिंह ने 1928 में एक एक्ट बनाया था जिसके तहत वहां बाल विवाहों पर पूरी तरह रोक लगी थी.