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केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में पुलिस और कानून व्यवस्था कंट्रोल करेगी केंद्र सरकार

धारा 370 हटाए जाने के बाद 31 अक्टूबर से जम्मू कश्मीर एक केन्द्र शासित प्रदेश बन जाएगा. जम्मू कश्मीर प्रदेश के प्रशासन में ठीक उसी तरह के प्रशासनिक उपाय अपनाए जाएंगे, जिस तरह केंद्र शासित राज्य दिल्ली और पुडुचेरी में अपनाए जाते हैं.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (फाइल फोटो) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 11:58 AM IST

धारा 370 हटाए जाने के बाद 31 अक्टूबर से जम्मू कश्मीर एक केन्द्र शासित प्रदेश बन जाएगा. जिसके पास अपनी निर्वाचित विधानसभा तो होगी लेकिन अन्य राज्यों की तरह इसे फैसले लेने का संपूर्ण अधिकार नहीं होगा. जबकि प्रदेश से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण विषय केन्द्र सरकार के पास रहेंगे.

समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक इस नए केंद्र शासित प्रदेश में जम्मू कश्मीर पुलिस और कानून-व्यवस्था प्रदेश के उपराज्यपाल के जरिए केंद्र सरकार के नियंत्रण में होगा. जबकि जमीन संबंधित मुद्दों को चुनी हुई सरकार देखेगी. जम्मू कश्मीर प्रदेश के प्रशासन में ठीक उसी तरह के प्रशासनिक उपाय अपनाए जाएंगे, जिस तरह केंद्र शासित राज्य दिल्ली और पुडुचेरी में अपनाए जाते हैं. यह जानकारी जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा के मद्देनजर केंद्र द्वारा लागू बंदिशों के बीच आई है.

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दिल्ली में भूमि से जुड़े मुद्दों पर दिल्ली सरकार का अधिकार नहीं हैं लेकिन जम्मू कश्मीर की निर्वाचित सरकार को भूमि अधिकार, कृषि भूमि ट्रांसफर, लैंड डेवलपमेंट, कृषि ऋण, लैंड रेवेन्यू, लैंड रिकॉर्ड का मेनटेनेंस, राजस्व उद्देश्य से सर्वे और अधिकारों के रिकॉर्ड से जुड़े मुद्दों का अधिकार होगा. जबकि दिल्ली में ये सारे अधिकार दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के जरिए उपराज्यपाल के पास होते हैं. डीडीए केंद्र सरकार की ही एक संस्था है.

आपको बता दें कि बीते शुक्रवार को ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के कानून को अपनी मंजूरी दे दी थी. इसके अनुसार जम्मू कश्मीर में सीमित अधिकारों के साथ विधानसभा होगी जबकि लद्दाख केन्द्र शासित प्रदेश होगा जिसमें विधानसभा नहीं होगी. बता दें जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल, 2019 संसद में पिछले मंगलवार को पारित किया गया था, जिसके बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया था. अब राष्ट्रपति कोविंद से स्वीकृति मिलने के बाद दोनों केंद्र शासित प्रदेश 31 अक्टूबर से अस्तित्व में आ जाएंगे. जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के अनुसार, केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में एक उपराज्यपाल, एक निर्वाचित मुख्यमंत्री के साथ विधानसभा होगी.

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विधानसभा में अधिकतम 107 सीटें होंगी, जिसे परिसीमन के बाद बढ़ाकर 114 तक किया जा सकता है. विधानसभा में 24 सीटें खाली रहेंगी, क्योंकि वे पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में पड़ती हैं. दूसरी ओर केंद्र शासित लद्दाख में कानून-व्यवस्था और भूमि का मुद्दा, दोनों उपराज्यपाल के सीधे नियंत्रण में रहेंगे, जिनके जरिए केंद्र इस क्षेत्र पर शासन करेगा.

31 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय, जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लिए एक संयुक्त उच्च न्यायालय होगा. भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो (एसीबी) जैसी अखिल भारतीय सेवाओं के सभी शीर्ष प्रशासनिक पद उपराज्यपाल के नियंत्रण में होंगे.

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