
सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास आज शुक्रवार को जम्मू पहुंचे. इस मौके पर परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों ने उनका भव्य स्वागत किया. इस मौके पर सैकड़ों स्थानीय लोगों ने भी उनका स्वागत किया.
राकेश्वर सिंह मन्हास ने आजतक से बात करते हुए सरकार को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि उनकी सकुशल रिहाई के लिए सरकार और जिन लोगों ने प्रयास किया उनका दिल से धन्यवाद. इस मौक पर वह टीम भी जम्मू पहुंची थी जिन्होंने जवान की रिहाई के लिए नक्सलियों से बातचीत की थी.
स्थानीय पत्रकार गणेश मिश्रा ने आजतक से बात करते हुए कहा कि जब राकेश्वर सिंह को रिलीज किया जा रहा था तो एक नक्सली नेता ने कहा कि वो सीआरपीएफ जवान को इसलिए फ्री कर रहे हैं क्योंकि वो जम्मू-कश्मीर से हैं. नक्सली नेता ने कहा कि बस्तर और कश्मीर में हालात एक जैसे ही हैं. इसलिए वो राकेश्वर सिंह मन्हास को छोड़ रहे हैं.
91 साल के धर्मपाल ने किया प्रयास
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सली हमले के बाद बंधक बनाए गए सीआरपीएफ के जवान राकेश्वर सिंह मनहास को छुड़ाने के लिए सरकार ने पद्मश्री धर्मपाल सैनी को चुना था. 91 साल के सैनी ने बखूबी इस काम को अंजाम तक पहुंचाया. धर्मपाल सैनी को 6 अप्रैल की शाम पुलिस-प्रशासन की तरफ फोन गया. जिसके बाद वह जवान को छुड़ाने के लिए नक्सलियों से मध्यस्थता के लिए तैयार हो गए.
धर्मपाल सैनी, गोंडवाना समाज के अध्यक्ष समेत एक महिला सदस्य को लेकर जगदलपुर से बीजापुर जिले के लिए निकल पड़े. रात करीब 12 बजे तररेम थाने पहुंचे और वहीं रात बिताई. फिर दूसरे दिन बीजापुर के पत्रकारों के साथ नक्सलियों द्वारा आयोजित जन अदालत के लिए निकल पड़े.
धर्मपाल सैनी ने 'आजतक' से कहा कि नक्सलियों ने जवान को छोड़ने के लिए किसी भी प्रकार की कोई शर्त नहीं रखी थी. बस उन्होंने यह कहा कि जब जवान अपने परिवार के बीच पहुंच जाए तो उन्हें उसकी एक तस्वीर चाहिए.
नक्सलियों ने धर्मपाल सैनी से यह भी कहा कि हम जवान को सकुशल छोड़ रहे हैं, लेकिन सरकार को भी चाहिए कि नक्सली मामलों में वर्षों से जेलों में बंद आदिवासियों को छोड़ने पर विचार करे.