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दिल्ली HC का J&K के रीजनल अधिकारी को आदेश, महबूबा मुफ्ती के पासपोर्ट रिन्यूअल पर 3 महीने में करें फैसला

महबूबा मुफ्ती ने सरकार के काम काज के तौर तरीकों पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि उग्रवाद से लड़ने के नाम पर सरकारी कर्मचारियों को मनमाने ढंग से बर्खास्त कर दिया जाता है और परिवारों को कानूनी लाभ उठाने का मौका दिए बिना घरों को कुर्क कर दिया जाता है.

महबूबा मुफ्ती-फाइल फोटो महबूबा मुफ्ती-फाइल फोटो
अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 03 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 6:52 PM IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में रीजनल पासपोर्ट अधिकारी को पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के पासपोर्ट के रिन्यूअल के आवेदन पर तीन महीने के भीतर फैसला करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि तीन महीने के भीतर फैसला किया जाए. उधर, महबूबा मुफ्ती ने सरकार के काम काज के तौर तरीकों पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि उग्रवाद से लड़ने के नाम पर सरकारी कर्मचारियों को मनमाने ढंग से बर्खास्त कर दिया जाता है और परिवारों को कानूनी लाभ उठाने का मौका दिए बिना घरों को कुर्क कर दिया जाता है. यह निर्दोष परिवारों के लिए एक सामूहिक सजा है और इससे उनका जीवन बर्बाद हो जाता है.

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महबूबा मुफ्ती ने कहा कि सरकार की यह नीति देश में भाजपा के वोट बैंक को जरूर बढ़ा सकती है,  लेकिन जम्मू-कश्मीर में यह न केवल जीवन को बर्बाद कर रही है, बल्कि यहां के लोगों को देश के बाकी हिस्सों से अलग कर रही है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार वोट बटोरने के लिए चुनावों में इसका इस्तेमाल करने के लिए कश्मीर को फोकस में रखना चाहती है.

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में रविवार को आतंकवादियों द्वारा एक 40 वर्षीय कश्मीरी पंडित की हत्या पर महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि बीजेपी यहां कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदायों की रक्षा करने में विफल रही है. महबूबा ने कहा था कि जब ऐसी घटनाएं (पुलवामा मर्डर) होती हैं तो उन्हें (भाजपा) ऐसे कृत्यों के लिए मुसलमानों को निशाना बनाकर पूरे भारत में फायदा मिलता है. 

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बता दें कि दक्षिण कश्मीर जिले के अचन इलाके में एटीएम गार्ड के रूप में काम करने वाले संजय शर्मा की रविवार सुबह करीब 11 बजे उनके आवास से बमुश्किल 100 मीटर की दूरी पर सीने में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस घटना को आतंकियों ने अंजाम दिया था. सहयोगियों ने बताया कि संजय अपने समुदाय के सदस्यों पर आतंकी हमलों के बाद ड्यूटी पर नहीं आ रहे थे.

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