Advertisement

डॉक्टर कर्ण सिंह ने दी केंद्र को सलाह, जम्मू-कश्मीर में 35 ए और 370 पर सावधानी बरतें

जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्याधिकारी, सदरे रियासत और राज्यपाल रहे 88 वर्षीय डॉक्टर सिंह ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि इन पर सावधानी बरती जाए, क्योंकि इनमें कानूनी, राजनीतिक, संवैधानिक और भावनात्मक कारक शामिल हैं.

जम्मू कश्मीर के अंतिम शासक महाराजा हरि सिंह के पुत्र डॉक्टर कर्ण सिंह (फोटोः ANI) जम्मू कश्मीर के अंतिम शासक महाराजा हरि सिंह के पुत्र डॉक्टर कर्ण सिंह (फोटोः ANI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 11:28 PM IST

  • 'विलय अंतिम और अटल है. मैं इसके वजूद पर सवाल नहीं उठा रहा हूं: डॉक्टर कर्ण सिंह
  • जम्मू-कश्मीर ने सिर्फ तीन विषयों का समर्पण किया था, जिनमें रक्षा, विदेश और संचार था

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35 ए और 370 हटाए जाने की सुगबुगाहट के बीच जम्मू-कश्मीर के अंतिम शासक महाराजा हरि सिंह के पुत्र डॉक्टर कर्ण सिंह ने सरकार को सतर्कता बरतने की सलाह दी है. जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्याधिकारी, सदरे रियासत और राज्यपाल रहे 88 वर्षीय डॉक्टर सिंह ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि इन पर सावधानी बरती जाए, क्योंकि इनमें कानूनी, राजनीतिक, संवैधानिक और भावनात्मक कारक शामिल हैं.

Advertisement

उन्होंने कहा कि इनकी पूरी समीक्षा की जानी चाहिए.  केंद्र और राज्य सरकार के संबंध से भी संवेदनशीलता का समीकरण बनता है. डॉक्टर सिंह ने कहा कि इस समस्या के चार अहम पहलू हैं. सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय पहलू जुड़ा है, क्योंकि प्रदेश का 45 फीसदी क्षेत्र और 30 फीसदी आबादी (26 अक्टूबर 1947 से) विगत वर्षों में निकल चुकी है.

उन्होंने पाकिस्तान के साथ चीन का भी नाम लेते हुए कहा कि दोनों देशों ने हमारा क्षेत्र हथिया लिया है. हम इनकार की मुद्रा में रह सकते हैं और हर बार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की बात कर सकते हैं, लेकिन गिलगित, बाल्टिस्तान और उत्तरी क्षेत्रों, मुख्य रूप से अक्साई चीन और काराकोरम के पार के क्षेत्र से सटी शाक्सगम और यरकंद नदी घाटी को छोड़ दिया जाता है.

डॉक्टर सिंह ने कहा कि दरअसल 1963 तक अंतिम हिस्से को पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर का हिस्सा माना जाता था. यह कहना आसान है कि कश्मीर हमारा है, लेकिन 50 साल से मैं दिल्ली में हूं और मैंने इस बदनसीब प्रदेश के दर्द को दिल्ली और भारत में नहीं देखा. सिर्फ दिखावटी प्रेम प्रदर्शित किया जाता रहा है.

''विलय अंतिम और अटल है. मैं इसके वजूद पर सवाल नहीं उठा रहा हूं. जम्मू कश्मीर संविधान सभा ने विलय की पुष्टि की और इसे विधिमान्य ठहराया. इसलिए इसकी सत्यता पर कोई सवाल नहीं किया जा सकता. विधिक, नैतिक और संवैधानिक तौर पर प्रदेश भारत का अंग है.''

Advertisement
विलय के दिनों को किया याद

डॉक्टर कर्ण सिंह ने जम्मू कश्मीर के भारत में विलय के दिनों को याद करते हुए कहा कि जब बापूजी (महाराजा हरि सिंह) ने जम्मू में विलय संधि पर हस्ताक्षर किए थे तो उन्होंने सिर्फ तीन मुद्दों पर हस्ताक्षर किए थे. विलय संधि के तहत जम्मू कश्मीर ने सिर्फ तीन विषयों का समर्पण किया था, जिनमें रक्षा, विदेश मामला और भारत के साथ संचार था. उन्होंने भारत से आश्वासन लिया था कि जम्मू-कश्मीर के लोग अपनी संविधान सभा के जरिए अपने संविधान का मसौदा तैयार करेंगे, जो हुआ भी.

''मैंने पंडित नेहरू और शेख अब्दुल्ला के बीच दिल्ली समझौते के आधार पर संविधान सभा बुलाई. प्रदेश की संविधान सभा द्वारा जम्मू-कश्मीर का संविधान बनाया गया और 26 जनवरी 1957 को मेरे हस्ताक्षर से वह कानून बन गया. याद कीजिए, शेख अब्दुल्ला को पहले ही 1953 में गिरफ्तार कर लिया गया था. अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए दोनों अस्तित्व में आए और उनको जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की मंजूरी के बिना बदला नहीं जा सकता है, जिसे उसी समय भंग कर दिया गया.''

72 साल बाद भी एकीकृत नहीं हो सके हैं तीन संभाग

डॉक्टर सिंह ने कहा कि क्षेत्रीय आकांक्षाओं को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता. जम्मू कश्मीर अब तीन स्पष्ट भाषाई और भौगोलिक संभागों में बंटा हुआ है. तीनों संभाग- जम्मू, कश्मीर घाटी और लद्दाख 72 साल की अवधि बीत जाने के बाद भी एकीकृत नहीं हो सके हैं. उन्होंने मानवतावादी पहलू का जिक्र करते हुए कहा कि पूरी घाटी में कब्रिस्तान हैं. हजारों लोग अपनी जानें गंवा चुके हैं.

Advertisement

उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों को अपने घर से पलायन करना पड़ा है और अनेक लोग अभी तक जम्मू और उधमपुर के शिविरों में निवास कर रहे हैं. डोगरा को कभी वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार हैं. सीमावर्ती गांवों में निवास करने वाले लोगों का जीवन नारकीय बना हुआ है, जहां लगातार गोलाबारी चलती रहती है.

गौरतलब है कि मोदी सरकार 2.0 का ध्यान विवादित मसलों के समाधान पर है. अनुच्छेद 370 हटाने का मुद्दा भारतीय जनता पार्टी के चुनाव पूर्व घोषणा पत्र में भी शामिल था. गृह मंत्री अमित शाह विवादित मसलों का हमेशा के लिए समाधान करने की कोशिश में जुटे हैं. जम्मू-कश्मीर में सैन्य बलों की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात किए जाने से अनुच्छेद 35 ए और 370 हटाए जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं.

ऐसे में जम्मू कश्मीर के अंतिम शासक महाराजा हरि सिंह के पुत्र डॉक्टर कर्ण सिंह का बयान महत्वपूर्ण माना जा रहा है. डॉक्टर सिंह 20 जून 1949 को जम्मू कश्मीर के राज्याधिकारी बने और 17 नवंबर 1952 से लेकर 30 मार्च 1965 तक सदर-ए-रियासत के पद पर बने रहे. वह 30 मार्च 1965 को जम्मू-कश्मीर के पहले राज्यपाल बने थे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement