
जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले में सेना के वाहन पर ग्रेनेड से आतंकी हमले में अफसर समेत 5 जवान शहीद हो गए हैं. 5 अन्य जवान घायल हुए हैं. हमले से पहले आतंकियों ने रेकी की और फिर घात लगाकर अंधाधुंध गोलीबारी कर दी. सूत्रों का कहना है कि पहाड़ी पर छिपे आतंकियों ने सेना के वाहन पर दो साइड से फायरिंग की थी और फिर ग्रेनेड भी चलाया. घायल जवानों को इलाज के लिए कठुआ से पठानकोट शिफ्ट किया गया है. खबर है कि 5 हफ्ते पहले इंटरनेशनल बॉर्डर से आतंकियों ने घुसपैठ की थी. बाद में ये आतंकी दो ग्रुप में बंट गए. हालांकि, एक ग्रुप का डोडा एनकाउंटर में सफाया हो गया. जबकि दूसरे ग्रुप ने कठुआ में सेना की गाड़ी पर अटैक किया है.
घटना सोमवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे की है. आतंकियों ने कठुआ शहर से करीब 150 किलोमीटर दूर लोहाई मल्हार के बदनोटा गांव के पास सेना के ट्रक को निशाना बनाया था. हमले में जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) भी शहीद हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक, सेना के वाहन पर पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमला किया था. आतंकियों ने ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए हाईटेक हथियारों का इस्तेमाल किया था. इसमें गोला-बारूद के अलावा M4 कार्बाइन राइफलें और विस्फोटक उपकरण शामिल थे. सूत्रों का कहना है कि आतंकवादियों ने संभवत: स्थानीय लोगों की मदद से इलाके की रेकी की थी ताकि योजनाबद्ध तरीके से हमला किया जा सके.
सर्च ऑपरेशन में पहाड़ी इलाका बना बड़ी बाधा
घटना के बाद सेना और पुलिस ने संयुक्त रूप से मोर्चा संभाल लिया है. आतंकियों की तलाश में ऑपरेशन तेज हो गया है. जवान जंगल में चप्पे-चप्पे पर आतंकवादियों के निशान तलाश रहे हैं. पैरा कमांडो भी तैनात किए गए है. चारों तरफ से घेराबंदी की गई है. ग्राउंड सर्च टीमें हेलिकॉप्टर की मदद ले रही हैं. बेल्ट के कुछ घने वन क्षेत्रों में खोजी कुत्तों और मेटल डिटेक्टरों को लगाया गया है. सेना, पुलिस और सीआरपीएफ ने माचेडी, बदनोट, किंडली और लोहाई मल्हार इलाकों में संयुक्त घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया है. एक बड़े क्षेत्र को घेरे में ले लिया है. हालांकि, पहाड़ी इलाका, कोहरा और घना जंगल सर्च अभियान में बड़ी बाधा बन गया है. हमले में पाकिस्तानी आतंकी शामिल थे, ये बात भी साफ हो गई है. एक से दो लोकल गाइड ने उनकी मदद की थी. खुफिया जानकारी के मुताबिक, जंगल में दो से तीन आतंकी छिपे हुए हैं.
आतंकियों ने पहले ग्रेनेड फेंके, फिर गोलीबारी की
सूत्रों ने बताया कि बदनोटा गांव में जहां हमला हुआ, वहां सड़क संपर्क मार्ग का अभाव है. ऐसे में वाहन 10-15 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की स्पीड से नहीं चल सकते हैं. चूंकि सेना के वाहन बहुत धीमी स्पीड से चल रहे थे, इसलिए आतंकवादियों ने इसका फायदा उठाया. सूत्रों का कहना है कि 2-3 आतंकवादी और 1-2 स्थानीय गाइड पहाड़ियों के ऊपर पोजीशन लिए खड़े थे. आतंकवादियों ने पहले सेना के वाहनों पर ग्रेनेड फेंके और फिर उन पर गोलीबारी की. पिछले आतंकी हमलों की तरह ड्राइवर को पहला निशाना बनाया गया. सूत्रों ने आगे बताया, एक स्थानीय गाइड ने आतंकवादियों को इलाके की रोकी करने में मदद की और उन्हें भोजन और आश्रय भी दिया. हमले के बाद उसने आतंकियों को उनके ठिकानों तक पहुंचने में मदद की.
इंटरनेशनल बॉर्डर से घुसे थे आतंकी, दो ग्रुप में बंटे?
जम्मू कश्मीर के पूर्व पुलिस प्रमुख शेष पॉल वैद ने ट्वीट किया और बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा, बेहद शांतिपूर्ण जिले कठुआ के तहसील बिलावर के माचेडी गांव में सेना के वाहन पर ग्रेनेड हमला बहुत परेशान करने वाला है. हमें नुकसान का सामना करना पड़ा है. मुझे यकीन है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस, भारतीय सेना और केंद्रीय सशस्त्र बलों के साथ मिलकर इन बचे हुए आतंकवादियों को मार गिराएगी. बस, यह समय की बात है. खबर मिली है कि करीब 4-5 हफ्ते पहले आतंकवादियों का ग्रुप इंटरनेशनल बॉर्डर से पार होकर घुसा था. उसके बाद उधमपुर में वीडीसी (जहां हमने एक वीडीसी सदस्य को खो दिया था) के साथ एनकाउंटर के बाद आतंकवादियों का यह ग्रुप दो हिस्सों में बंट गया था. एक ग्रुप का डोडा में पहले ही सफाया हो चुका है. अब यह दूसरा ग्रुप बचा है. जल्द इसे खत्म कर दिया जाएगा.
पाकिस्तानी रणनीति का हिस्सा है आतंकी हमला
अधिकारियों का कहना है कि यह आतंकी हमला पाकिस्तानी रणनीति का हिस्सा है. पाकिस्तानी सेना जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में आतंक का दायरा बढ़ाने की रणनीति बना रही है, ताकि उत्तरी दिशा में एलओसी और एलएसी दोनों पर पहले से ही ऑपरेशन में लगे भारतीय सेना के जवानों पर दबाव डाला जा सके.
एक महीने में यह पांचवां आतंकी हमला
जम्मू क्षेत्र में एक महीने में यह पांचवां आतंकी हमला है. कठुआ इलाके में यह हमला पंजाब-हिमाचल प्रदेश बॉर्डर के पास हुआ है. इस इलाके में पिछले दो दशकों से आतंकवादी गतिविधि नहीं देखी गई हैं. हमले की जिम्मेदारी प्रतिबंधित पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के छाया संगठन कश्मीर टाइगर्स ने ली है. 12 और 13 जून को इसी तरह के टकराव के बाद कठुआ जिले में एक महीने के भीतर यह दूसरी बड़ी आतंकी घटना है, जिसमें दो आतंकवादी मारे गए थे और एक सीआरपीएफ जवान शहीद हो गया था.
सूत्रों का यह भी कहना है कि ये आतंकी उसी ग्रुप का हिस्सा हैं जो बसनगढ़ हमले में शामिल थे. 28 अप्रैल को पनारा गांव में आतंकवादियों के साथ एनकाउंटर हो गया था, जिसमें गांव के रक्षा रक्षक मोहम्मद शरीफ की मौत हो गई थी. जून में सुरक्षा बलों को कठुआ जिले के बानी, डग्गर और किंडली इलाकों के ऊपरी इलाकों में एक आतंकी ग्रुप की गतिविधियों के बारे में इनपुट मिला था, जिसके बाद तलाशी अभियान चलाया गया था.
'जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा'
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना के जवानों के शहीद होने पर शोक जताया है. राजनाथ ने कहा, घटना से मुझे गहरा दुख हुआ है. शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है. इस कठिन समय में राष्ट्र उनके साथ मजबूती से खड़ा है. आतंकवाद विरोधी अभियान चल रहे हैं. हमारे जवान क्षेत्र में शांति और व्यवस्था कायम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. घायल हुए लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, हमारी सेना पर ये कायरतापूर्ण हमले बेहद निंदनीय हैं. रक्षा सचिव भारत भूषण बसु ने एक्स पर पोस्ट किया और लिखा, मैं कठुआ के बदनोटा में आतंकवादी हमले में पांच बहादुर जवानों के शहीद होने पर गहरा दुख व्यक्त करता हूं और शोक संतप्त परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं. राष्ट्र के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा को हमेशा याद किया जाएगा. उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और भारत हमले के पीछे की बुरी ताकतों को परास्त करेगा. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व मुख्यमंत्री नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती और गुलाम नबी आजाद ने घटना पर दुख जताया और क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति पर चिंता व्यक्त की.