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जम्मू: नक्सलियों के चंगुल से आजाद हुए राकेश्वर का अपने गांव में होगा भव्य स्वागत, कल पहुचेंगे

राकेश्वर सिंह मन्हास वही जवान हैं जिन्हें बीते दिनों बीजापुर में हुए नक्सली हमले में नक्सलियों द्वारा बंधक बना लिया गया था. इसके बाद उन्हें नक्सलियों द्वारा छोड़ भी दिया गया था. बताया जा रहा है कि नक्सलियों से राकेश्वर सिंह मन्हास को छुड़ाने में मध्यस्तता करने वाले पत्रकार भी कल जम्मू पहुंचेंगे.

कोबरा जवान राकेश्वर सिंह मन्हास (फाइल फोटो) कोबरा जवान राकेश्वर सिंह मन्हास (फाइल फोटो)
सुनील जी भट्ट
  • जम्मू ,
  • 15 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 9:22 AM IST
  • कोबरा 210वीं वाहिनी के जवान हैं राकेश्वर
  • बीजापुर हमले में नक्सलियों ने बना लिया था बंधक
  • स्थानीय पत्रकारों की मध्यस्तता से मिली आजादी
  • जम्मू के अपने गांव में कल पहुचेंगे राकेश्वर

CRPF के जवान राकेश्वर सिंह मन्हास के भव्य स्वागत के लिए उनके गांव में तैयारियां चल रही हैं. उन्हें आज जम्मू स्थित अपने गांव में पहुंच जाना था लेकिन किन्हीं कारणों से वे आज जम्मू में अपने गांव नहीं पहुंच सकेंगे. CRPF के अधिकारियों के अनुसार जवान राकेश्वर सिंह मन्हास कल अपने घर पहुंच सकेंगे. उनकी प्लानिंग में कुछ बदलाव कर दिया गया है.

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राकेश्वर सिंह मन्हास वही जवान हैं जिन्हें बीते दिनों बीजापुर में हुए नक्सली हमले में नक्सलियों द्वारा बंधक बना लिया था. इसके बाद उन्हें नक्सलियों द्वारा छोड़ भी दिया गया था. बताया जा रहा है कि नक्सलियों से राकेश्वर सिंह मन्हास को छुड़ाने में मध्यस्तता करने वाले पत्रकार भी कल जम्मू पहुंचेंगे.

राकेश्वर के गांव-परिवार के लोग एक भव्य स्वागत का आयोजन करना चाहते हैं. राकेश्वर नक्सलियों द्वारा बंधक बनाए जाने के बाद पहली बार अपने घर जा रहे हैं.

आपको बता दें कि राकेश्वर को नक्सलियों ने 6 दिन बंधक बनाए रखा था. राकेश्वर को नक्सलियों से छुड़ाने के लिए सरकार ने मध्यस्थता टीम गठित की थी जिसमें पद्मश्री से सम्मानित धर्मपाल सैनी, गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलम बोरैया शामिल थे. बीते दिनों 8 अप्रैल के दिन सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में राकेश्वर सिंह मन्हास को रिहा किया गया था.

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जगदलपुर में बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. के अनुसार जवान को रिहा कराने में सैनी और बोरैंया के अलावा माता रुक्मणि आश्रम जगदलपुर, आदिवासी समाज के कई लोगों और बीजापुर के पत्रकार गणेश मिश्रा और मुकेश चंद्राकर का सराहनीय योगदान रहा था. राकेश्वर कोबरा 210वीं वाहिनी के जवान हैं.

आपको बता दें कि राकेश्वर की रिहाई के लिए मध्यस्थता कराने गयी दो सदस्यीय टीम यानी सैनी और बोरैंया ने बस्तर के 7 पत्रकारों को भी नक्सलियों के कब्जे से छुड़वाया है.

 

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