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Exclusive: जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद-आतंकवाद पार्ट-2 शुरू करने की साजिश, सामने आया ISI का प्लान

पाकिस्तान के आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर में आतंक और अलगाववाद दोबारा फैलाने में जुटे हुए हैं. खुफिया एजेंसियों ने गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी दी है. आजतक, इंडिया टुडे के पास भी गृह मंत्रालय का नोट उपलब्ध है.

जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने की साजिश (सांकेतिक फोटो) जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने की साजिश (सांकेतिक फोटो)
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 12 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 1:32 PM IST
  • आतंक और अलगाववाद दोबारा फैलाने की साजिश
  • खुफिया एजेंसियों ने गृह मंत्रालय को दी जानकारी
  • दुबई, तुर्की के रास्ते फंडिंग मुहैया करा है आईएसआई

पाकिस्तान के आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर में आतंक और अलगाववाद दोबारा फैलाने में जुटे हुए हैं. खुफिया एजेंसियों ने गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी दी है. आजतक, इंडिया टुडे के पास भी गृह मंत्रालय का नोट उपलब्ध है. 

गृह मंत्रालय के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में जम्मात-ए-इस्लामी लश्कर, जैश, हिजबुल मुजाहिदीन को भारी फंड मुहैया कराने में जुटा हुआ है. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के जरिये, दुबई तुर्की के रास्ते फंडिंग मुहैया कराई जा रही है. गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि जम्मू कश्मीर में अलगाववाद पार्ट-2 शुरू करने का प्लान है. 

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जकात, मौदा (Mowda), बैत-उल-माल (Bait-Ul-Mal), विदेशों से आई चैरिटी, हेल्थ और एजुकेशन के नाम पर आईएसआई दुबई, तुर्की और दूसरे रास्तों से फंडिंग मुहैया कराई जा रही है. 

गृह मंत्रालय को खुफिया एजेंसियों ने जानकारी दी है कि 370 हटने के बाद आतंकवाद और पत्थरबाजी में कमी आई है, लेकिन जमात-ए-इस्लामी फंडिंग के जरिये कश्मीर में दोबारा इन सब चीजों को बढ़ाना देना चाहता है. जमात-ए-इस्लामी ने नए अलगाववादियों और आतंकियों की नई भर्ती के लिए सीक्रेट मीटिंग भी की है.

गृह मंत्रालय ने जमात-ए-इस्लामी के आतंक फैलाने के मामले की जिम्मेदारी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपी है. NIA अब इसकी फंडिंग की जांच करेगी. आतंकियों को समर्थन देने की वजह से गृह मंत्रालय ने जमात-ए-इस्लामी को बैन किया था. गृह मंत्रालय ने इस संगठन पर मार्च 2019 में प्रतिबंध लगाया था.

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MHA ने क्यों लगाया था जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध

1. गृह मंत्रालय के मुताबिक जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी विचारधारा और आतंकवादी मानसिकता के प्रसार के लिए प्रमुख जिम्मेदार संगठन है.

2. यह जमात-ए-इस्लामी हिंद से बिल्कुल अलग संगठन है. वर्ष 1953 में इसने अपना अलग संविधान भी बना लिया था.

3. कश्मीर के सबसे बड़े आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन को जमात-ए-इस्लामी ने ही खड़ा किया था. हिज्बुल मुजाहिदीन को जमात-ए-इस्लामी की तरफ से हर तरह की सहायता मुहैया कराई जाती है. गृह मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आतंकियों को ट्रेंड करना, उनको फंडिंग देना, शरण देना, लॉजिस्टिक मुहैया कराना आदि काम जमात-ए-इस्लामी संगठन लगातार हिज्बुल मुजाहिदीन के लिए कर रहा था. एक प्रकार से जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर का मिलिटेंट विंग है.

4.हिज्बुल मुजाहिदीन पाकिस्तान द्वारा उपलब्ध कराए गए हथियारों और प्रशिक्षण के बल पर कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में सक्रिय रूप से शामिल है. इसके लिए जमात-ए-इस्लामी बहुत हद तक जिम्मेदार है.

5. हिज्बुल मुजाहिदीन का मुखिया सैयद सलाउद्दीन जम्मू-कश्मीर के पाकिस्तान में विलय का समर्थक है. आतंकवादी संगठनों के समूह यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का अध्यक्ष सैयद सलाउद्दीन पाकिस्तान में छिपा हुआ है. 

6. जमात-ए-इस्लामी अपनी अलगाववादी विचारधारा और पाकिस्तानी एजेंडे के तहत कश्मीर घाटी के अलगाववादी और आतंकवादी तत्वों को वैचारिक समर्थन तथा उनकी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए भरपूर मदद देता रहा है.

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7. जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर में हमेशा लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया का बहिष्कार करवाने तथा विधि द्वारा स्थापित सरकार को हटाकर भारत से अलग धर्म आधारित एक स्वतंत्र इस्लामिक राज्य की स्थापना के लिए प्रयत्न करता रहा है.

8. अलगाववादी और उग्रवादी विचारधारा के संगठनों के गठबंधन ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को खड़ा करने के पीछे जमात-ए-इस्लामी का ही हाथ रहा है. आरोप है कि जमात-ए-इस्लामी ने इसे पाकिस्तान के समर्थन से खड़ा किया है. 

9. इससे पहले दो बार इस संगठन की गतिविधियों के कारण इसे प्रतिबंधित किया जा चुका है. पहली बार जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा 1975 में 2 वर्षों के लिए और दूसरी बार केंद्र सरकार द्वारा 1990 में जो दिसंबर 1993 तक जारी रहा.

10. आरोप है कि जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ता बड़ी संख्या खुले तौर पर उग्रवादी संगठनों विशेषकर हिज्बुल मुजाहिदीन के लिए काम करते हैं. इन कार्यकर्ताओं की हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी गतिविधियों में उनको पनाह देने से लेकर हथियारों की आपूर्ति तक सक्रिय भूमिका रहती है.

11.जमात-ए-इस्लामी के प्रभाव में आने वाले क्षेत्रों में हिजबुल मुजाहिदीन की मजबूत उपस्थिति जमात-ए-इस्लामी की अलगाववादी और उग्रवादी विचारधारा का प्रत्यक्ष उदाहरण है.

12. जमात-ए-इस्लामी धार्मिक गतिविधियों के नाम पर फंड एकत्र कर उसका इस्तेमाल राष्ट्र विरोधी अलगाववादी गतिविधियों के लिए करता है. जमात-ए-इस्लामी सक्रिय रूप से हिज्बुल मुजाहिदीन के लिए अपने संसाधनों का इस्तेमाल कर जम्मू कश्मीर के युवाओं विशेष तौर पर ग्रामीण युवाओं का ब्रेनवाश कर भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करने के कार्य करता है.

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13. आरोप है कि जमात-ए-इस्लामी के नेता हमेशा से ही जम्मू-कश्मीर राज्य के भारत में विलय को चुनौती देते रहे हैं जो उनके अलगाववादी इरादों गतिविधियों का प्रत्यक्ष प्रमाण है.

 

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