
जम्मू कश्मीर में इस साल के अंत तक चुनाव की उम्मीद है. परिसीमन आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट 5 एसोसिएट सदस्यों को सौंप दी है. अब उनसे इस पर सुझाव और सलाह आमंत्रित किया गया है. इसके लिए उन्हें 14 फरवरी तक का वक्त दिया गया है. इसके बाद रिपोर्ट के फाइनल प्रारूप पर आम जनता से सुझाव, सलाह और आपत्तियां मांगी जाएंगी. फिर इसके आधार पर आयोग अंतिम रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपेगा. आयोग का कार्यकाल 6 मार्च 2022 तक है. यानी इससे पहले रिपोर्ट सौंप दी जाए तो ठीक, नहीं तो कार्यकाल को एक और बार बढ़ाना होगा. लेकिन ये तो तय है कि ऐसी नौबत आई भी तो परिसीमन आयोग का कार्यकाल अब आखिरी बार अधिकतम तीन महीने से ज्यादा बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
सूत्रों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर परिसीमन की जो रिपोर्ट पांचों सांसदों यानी आयोग के एसोसिएट सदस्यों को सौंपी गई है उसमें विधानसभा की कुल 114 सीटों का जिक्र है, जिनमें से 90 पर फिलहाल चुनाव होंगे. बाकी सीटें पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर वाली हैं. सूत्र बताते हैं कि 14 फरवरी तक आयोग के सहयोगी सदस्य अपनी राय, सुझाव और आपत्ति दर्ज करा देते हैं तो आम जनता के सामने इसके प्रारूप को रखे जाने के बाद कम से कम 42 दिन और चाहिए उनका अध्ययन कर उसके मुताबिक रिपोर्ट में जोड़ घटाव करने को. यानी आयोग के कार्यकाल को एक्सटेंशन देने की जरूरत दिख रही है.
6 मार्च 2020 को किया गया था परिसीमन आयोग का गठन
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त जज जस्टिस रंजना देसाई के नेतृत्व में 6 मार्च 2020 को परिसीमन आयोग का गठन किया था. आयोग को राज्य की नए स्वरूप के मुताबिक, विधानसभा क्षेत्र पुनर्गठित करने, युक्तिसंगत बनाने, अनुसूचित जनजातियों व जातियों के लिए आरक्षित सीटें तय करने का जिम्मा सौंपा था.
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने से पूर्व एकीकृत जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 111 सीटें थीं. इनमें से 24 पाक अधिकृत कश्मीर के लिए आरक्षित थी जिन पर चुनाव नहीं हो पाता था. शेष 87 सीटों में से चार लद्दाख, 37 जम्मू और 46 सीटें कश्मीर संभाग में थीं. अब केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में 107 सीटें हैं. इनमें प्रस्तावित नए परिसीमन के तहत सात सीटों का इजाफा कर 114 किया जाएगा. इसमें 90 सीटों पर चुनाव होगा और 24 सीटें पहले की तरह पाक अधिकृत इलाकों के लिए होंगी जिन पर चुनाव नहीं हो सकेगा.
एसोसिएट सदस्यों में ये सांसद शामिल
परिसीमन आयोग ने अपने सहयोगी सदस्यों (जम्मू कश्मीर के पांचों सांसद) नेशनल कांफ्रेंस के डा. फारूक अब्दुल्ला, जस्टिस (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी, मोहम्मद अकबर लोन और भाजपा के जुगल किशोर शर्मा और पीएमओ में राज्य मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी. आयोग में जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी यानी सीईओ केके शर्मा और देश के मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा भी शामिल हैं.
सूत्रों के मुताबिक, आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में परिसीमन के प्रथम प्रारूप के मुताबिक जम्मू संभाग में छह और कश्मीर संभाग में एक नए विधानसभा क्षेत्र को गठित करने की सिफारिश की है. आयोग ने परिसीमन की प्रथम प्रारूप रिपोर्ट 20 दिसंबर 2021 को नई दिल्ली में हुई अपनी दूसरी बैठक में सभी सदस्यों के साथ साझा की थी. इस बैठक में नेशनल कांफ्रेंस के तीनों सदस्य शामिल हुए थे, लेकिन 2021 फरवरी में हुई पहली बैठक का नेशनल कांफ्रेंस ने बहिष्कार किया था.
दूसरी बैठक में प्रथम प्रस्तावित प्रारूप में सीटों के इजाफे वाले अनुपात पर नेशनल कांफ्रेंस ने कड़ा एतराज जताया था. इस पर आयोग ने सभी सदस्यों को अपना अपना पक्ष रखने के लिए 31 दिसंबर 2021 तक का समय दिया था. इसके बाद सभी पक्षकारों ने अपने सुझाव, अपत्तियों और सलाह लिखित तौर पर आयोग को दी थी. लिहाजा अंतरिम रिपोर्ट में जम्मू संभाग में छह नए विधानसभा क्षेत्रों के सृजन की सिफारिश के आधार पर पता चलता है कि आयोग ने इस संदर्भ में नेशनल कांफ्रेंस की सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया है.
जम्मू और कश्मीर संभाग में इतनी सीटें बढ़ाई जा सकती हैं
कश्मीर संभाग में बढ़ाई जाने वाली सीटों में उत्तरी कश्मीर के जिला कुपवाड़ा में बताई जा रही है, जबकि जम्मू संभाग के सांबा, कठुआ, राजौरी, किश्तवाड़, डोडा और ऊधमपुर जिलों में एक-एक विधानसभा सीट बढ़ाई जाएगी. विस्थापित कश्मीरी पंडितों और गुलाम कश्मीर के शरणार्थियों के लिए कोई सीट अब तक तो चिह्नित नहीं की गई है.
सूत्रों के मुताबिक, जम्मू संभाग के जिले सांबा में बड़ी ब्राह्मणा व रामगढ़ के कुछ हिस्सों को मिला कर एक नया विधानसभा क्षेत्र तैयार बनाए जाने की योजना है. साथ ही इस अंतरिम रिपोर्ट में जम्मू संभाग के दो अनुसूचित जनजाति बहुल जिलों पुंछ में तीन और राजौरी में दो सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित किए जाने की सिफारिश भी शामिल है. 2020 में बनाए गए परिसीमन आयोग का कार्यकाल बीते साल 6 मार्च को पूरा होना था, लेकिन कोरोना से उपजे हालात में आयोग अपना काम पूरा नहीं कर पाया. लिहाजा सरकार ने कार्यकाल को सालभर का विस्तार देते हुए 6 मार्च 2022 तक कर दिया. लेकिन अब शायद एक बार और सीमित अवधि के लिए आयोग का कार्यकाल बढ़ाना पड़े, क्योंकि जनता की आपत्तियों सुझावों के लिए संविधान में तय न्यूनतम अवधि के लिए ये आवश्यक हो सकता है.
फिलहाल केंद्रीय गृह मंत्रालय परिसीमन आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद उसके अनुसार ही अधिसूचना जारी कर फिर किसी भी समय जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने की कार्ययोजना पर काम कर रहा है। यानी अगस्त के बाद कभी भी चुनाव कराए जाने की उम्मीदें परवान चढ़ सकती हैं.