Advertisement

जम्मू-कश्मीर: 370 हटने के बाद घुसपैठ हुई मुश्किल, ड्रोन है आतंकियों का नया हथियार

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही पाकिस्तान से आतंकी घुसपैठ नहीं कर पा रहे थे. इस वजह से आतंकियों और पाकिस्तानी सेना ने ड्रोन के जरिए हमला करने की रणनीति अपनाई है.

आतंकियों का नया हथियार बन रहा है ड्रोन (फोटो-PTI/प्रतीकात्मक तस्वीर) आतंकियों का नया हथियार बन रहा है ड्रोन (फोटो-PTI/प्रतीकात्मक तस्वीर)
जितेंद्र बहादुर सिंह/Priyank Dwivedi
  • नई दिल्ली,
  • 28 जून 2021,
  • अपडेटेड 7:40 PM IST
  • घुसपैठ नहीं होने से बौखलाए आतंकी
  • ड्रोन को बना रहे अपना नया हथियार
  • पीओके में आतंकियों ने बैठक भी की थी

एयरफोर्स स्टेशन पर शनिवार रात को ड्रोन से दो धमाके किए गए. देश में ये पहली बार था जब आतंकियों ने सैन्य ठिकाने पर हमले के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया. इसके बाद अगले ही दिन रविवार रात को एक बार फिर मिलिट्री स्टेशन पर दो ड्रोन देखे गए. सेना के जवानों ने इन्हें देखते ही फायरिंग शुरू कर दी, लेकिन ये ड्रोन कहीं गायब हो गए, जिनकी तलाश की जा रही है.

Advertisement

पिछले दो दिन में हुई ये दो घटनाएं इस बात की ओर इशारा कर रही हैं कि आतंकियों के लिए ड्रोन अब बड़ा हथियार बनता जा रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सुरक्षाबलों की कड़ाई के चलते आतंकी एलओसी और इंटरनेशनल बॉर्डर से घुसपैठ करने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं और इसलिए अब उन्होंने हमले के लिए 'ड्रोन' को अपना नया हथियार चुन लिया है. 

असल में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद केंद्र सरकार ने सुरक्षाबलों को फ्री हैंड कर दिया था. इसके बाद सेना और सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ पुरजोर तरीके से ऑपरेशन चलाया और उनका सफाया किया.

जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने बताया था कि 2020 में 225 आतंकी मारे गए थे, इनमें से 46 टॉप कमांडर थे. सूत्रों के मुताबिक, 370 हटने के बाद से अब तक 300 से ज्यादा आतंकी मारे जा चुके हैं, जिससे बौखलाकर आतंकी ड्रोन से देश के महत्वपूर्ण सुरक्षा ठिकानों को निशाना बनाने का प्लान कर रहे हैं. 

Advertisement

जम्मू अटैक: एयर बेस के करीब से लॉन्च किए गए थे ड्रोन, जानिए क्या था आतंकियों का मकसद

वहीं, सरकार के आंकड़े बताते हैं कि 370 हटने के बाद से पाकिस्तान की ओर से सीजफायर वॉयलेशन के मामले तेजी से बढ़े, लेकिन उसके बावजूद आतंकी घुसपैठ करने में नाकाम रहे. अक्सर यही बातें सामने आती हैं कि गोलीबारी की आड़ में पाकिस्तानी सेना आतंकियों को भारत में घुसपैठ कराने में मदद करती है, लेकिन पिछले साल ऐसा नहीं हो सका. 

राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया था कि 2020 में पाकिस्तानी सेना ने 5,133 बार सीजफायर तोड़ा, लेकिन सिर्फ 99 बार ही घुसपैठ की कोशिश हुई. जबकि, 2019 में 3,479 बार सीजफायर का उल्लंघन किया गया था और आतंकियों ने 216 बार घुसपैठ की कोशिश की. यानी, पिछले साल पाकिस्तानी सेना गोलीबारी की आड़ में भी घुसपैठ नहीं करा सकी थी. 

बौखला गई पाकिस्तानी सेना और आतंकी!

बार-बार कोशिशों के बाद भी जब घुसपैठ की कोशिश कामयाब नहीं हो सकी तो पाकिस्तानी सेना और आतंकी बौखला गए और उन्होंने ड्रोन के जरिए हमले करने की तरकीब अपना. खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान की आर्मी और आईएसआई कश्मीर घाटी में ऐसे छोटे ड्रोन को लाने की कोशिश में जुटी हुई है, जिसका इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में मौजूद लश्कर और हिज्बुल के आतंकी सुरक्षाबलों के ऊपर आईईडी से हमले के लिए कर सकते हैं.

Advertisement

आजतक को सूत्रों ने एक्सक्लूसिव जानकारी दी है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आर्मी ने आतंकियों के साथ एक बड़ी बैठक की थी. ये बैठक पीओके के तेजिन में हुई है, जिसे पाकिस्तान ने आतंकियों को ट्रेनिंग के लिए दे दिया है. इस बैठक में लश्कर का जोनल कमांडर सैफुल्लाह साजिद जट्ट, हिज्बुल मुजाहिद्दीन का चीफ सैयद सलाउद्दीन और हिज्बुल का ही जोनल कमांडर अबु अल बकर मौजूद था. 

इसमें तय हुआ कि कश्मीर में लश्कर और हिज्बुल के आतंकियों को ऐसे छोटे ड्रोन दिए जाएंगे, जिसका इस्तेमाल आतंकी सुरक्षाबलों के खिलाफ कर सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, ये छोटे ड्रोन 4 से 5 किलो आईईडी को 1.5 से 2 किलोमीटर तक ले जा सकते हैं.

जम्मू: देश में पहली बार ड्रोन से हमला, 2 संदिग्ध हिरासत में, 10 प्वाइंट्स में जानिए अब तक क्या-क्या हुआ

ड्रोन का ऐसे इस्तेमाल कर सकती है पाक सेना और आतंकी?
1. आतंकियों के पास हथियारों की कमी को दूर करने के लिए ड्रोन के जरिए पंजाब, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, गुजरात के इंटरनेशनल बॉर्डर और एलओसी के जरिए हथियार भेजने की तैयारी की है. हाल ही में पंजाब और जम्मू-कश्मीर के कठुआ और सांबा बॉर्डर पर सुरक्षाबलों ने चीन निर्मित पाकिस्तान के कई ड्रोन अपने कब्जे में किए हैं, जिसमें हथियार और गोलाबारूद काफी मात्रा में मिला है.

Advertisement

2. पाकिस्तान इस ड्रोन का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर इंटरनेशनल बॉर्डर और एलओसी पर आतंकी घुसपैठ कराने के लिए पहाड़ी इलाकों के गैप पर नजर रखने के लिए कर सकता है.

3. आजतक को सुरक्षा एजेंसियों ने ये जानकारी दी है कि इस ड्रोन का इस्तेमाल पाकिस्तान की आर्मी जम्मू-कश्मीर में लश्कर और हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों को दूर से सुरक्षाबलों पर बम या आईईडी गिराने के लिए कर सकती है. जानकारों की मानें तो हाल ही में अज़रबैजान और आर्मेनिया में ऐसे आर्मी ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था.

भारत की खुफिया एजेंसियां भी अलर्ट पर
ड्रोन हमले को लेकर पहले से ही कई महीनों से आशंका जताई जा रही थी. खुफिया एजेंसियों ने इस बात को लेकर सुरक्षाबलों को अलर्ट भी किया था. सुरक्षा एजेंसियां जो जांच कर रही हैं उनको इस बात की चिंता है कि ड्रोन अगर बड़े स्तर पर हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है तो उससे खतरा और बढ़ सकता है. यही वजह है कि एंटी ड्रोन सिस्टम को जल्द से जल्द अलग-अलग जगहों पर इंस्टॉल करने की बड़ी प्लानिंग चल रही है.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement