
जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के बीच 2 अगस्त को आई एक एडवाइजरी से कुछ-कुछ ऐसा संकेत आया था कि ये मामला सुरक्षा का नहीं, बल्कि कुछ और है. अगले दो-तीन दिनों तक जम्मू-कश्मीर में गतिविधि बढ़ गई. राज्य में लगभग 50000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए. अमरनाथ यात्रा बीच में ही रोक दी गई और सभी यात्रियों को आनन-फानन में राज्य से निकाला गया.
यही नहीं राज्य में मौजूद सभी सैलानियों को जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर छोड़ देने को कहा गया. लोगों की सांसें फूलने लगी. एक आम कश्मीरी अनहोनी की आशंका से सिहर उठा. पेट्रोल पंपों पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. लोग खाने-पीने के सामान इकट्ठा कर रहे थे. कई तरह की चर्चाएं और अफवाहें गर्म थीं. कुछ लोग कयास लगा रहे थे कि सरकार जम्मू-कश्मीर से धारा-35ए हटाने वाली है, कुछ का कहना था कि राज्य को तीन भागों में बांटा जा रहा है.
एक घंटा पहले मोदी के घर पहुंचे अमित शाह
4 और 5 अगस्त की आधी रात को प्रशासन ने राज्य की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला को नजरबंद कर दिया गया. यूनिवर्सिटी में परीक्षाएं रद्द कर दी गईं और राज्य के सभी अहम शिक्षण संस्थान खाली करा लिए गए. सोमवार को भारत की संसद के उच्च सदन में तनावभरे माहौल का क्लाईमेक्स शुरू हुआ.
इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह लगभग सुबह 8.30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात कर चुके थे. शाह के साथ NSA अजित डोभाल भी मौजूद थे. प्रधानमंत्री के निवास पर पहले कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्युरिटी (CCS) की बैठक हुई, इसके बाद कैबिनेट की मीटिंग हुई. सुबह लगभग 9.30 कैबिनेट की मीटिंग शुरू हुई और सवा दस बजे तक चली.
LIVE: राज्यसभा में बोले चिदंबरम- कश्मीर जैसे बांट सकते हैं कोई भी राज्य
कैबिनेट की मीटिंग के बाद अमित शाह सीधे संसद पहुंचे. इस बीच खबर आई कि अमित शाह 11 बजे राज्यसभा में और 12 बजे लोकसभा में जम्मू-कश्मीर की हालात पर बयान देंगे. तब तक राज्यसभा में कश्मीर के हालात पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत कई पार्टियां नोटिस दे चुकी थीं.
राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही सुबह ठीक 10 बजकर 40 पर बीजेपी के तमाम सांसद अपनी-अपनी सीटों पर बैठे हुए थे. वहीं, विपक्ष की कई सीटें खाली थीं. करीब 15 मिनट बाद गृह मंत्री अमित शाह जैसे ही सदन में दाखिल हुए तो सत्ता पक्ष के सांसदों ने तालियों से उनका स्वागत किया. अमित शाह पहली कतार में आकर बैठे तो उनके साथ राम विलास पासवान, रविशंकर प्रसाद और सुरेश प्रभु मौजूद थे. बीच में जेपी नड्डा भी आ गए. नड्डा ने पासवान के साथ सीट की अदला-बदली की.
सदन में लामबंद हुआ विपक्ष
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष इस बात को लेकर लामबंद हो गया कि पहले नियम 267 के अंतर्गत कश्मीर के हालात पर चर्चा हो. विपक्षी सदस्य अपनी सीटों पर खड़े होकर अपनी मांग को लेकर हंगामा करने लगे. इस दौरान बीएसपी के सदस्य खामोश बैठे रहे.
कश्मीर से जुड़ा Article 370 स्थायी है या अस्थायी? जानें संविधान विशेषज्ञों की राय
चेयरमैन वैंकेया नायडू ने साफ किया कि उन्होंने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए फैसला किया है कि गृहमंत्री ने जो पत्र उन्हें लिखा है, वह भी जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में है. इसलिए पहले गृहमंत्री को ही सुना जाएगा. इस बीच पूरा विपक्ष लामबंद हो गया. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में युद्ध जैसे हालात हैं. पहले वहां के हालात पर चर्चा होनी चाहिए.
सदन में अमित शाह का ऐतिहासिक संकल्प
गृहमंत्री अमित शाह ने दो संकल्प राज्यसभा में प्रस्तुत किए. पहले अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने का संकल्प पेश किया. इसके बाद उन्होंने जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन विधेयक 2019 पेश किया. इस संकल्प की वजह से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त हो जाएगा. साथ ही जम्मू-कश्मीर राज्य को दो भागों में बांटने का संकल्प शामिल है.
जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश होगा. यहां पर विधानसभा होगी. जबकि लद्दाख जम्मू-कश्मीर से अलग एक केंद्र शासित प्रदेश होगा. लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी. नरेंद्र मोदी सरकार की इस फैसले की वजह से धारा-35ए का वजूद भी खत्म हो जाएगा, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में अब अनुच्छेद 370 ही नहीं रहेगी. धारा-35ए अनुच्छेद 370 का ही हिस्सा है.
जानिए 35A का इतिहास, आखिर जम्मू-कश्मीर में क्यों मचा है इस पर बवाल
गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा, "महोदय, मैं संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि यह सदन अनुच्छेद 370 (3) के अंतर्गत भारत के राष्ट्रपति द्वारा जारी की जाने वाली निम्नलिखित अधिसूचनाओं की सिफारिश करता है, संविधान के अनुच्छेद 370 (3) के अंतर्गत भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 खंड 1 के साथ पठित अनुच्छेद 370 के खंड 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति संसद की सिफारिश पर यह घोषणा करते हैं कि यह दिनांक जिस दिन भारत के राष्ट्रपति द्वारा इस घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए जाएंगे और इसे सरकारी गैजेट में प्रकाशित किया जाएगा, उस दिन से अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे, सिवाय खंड 1 के"
राष्ट्रपति का गजट
गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा संकल्प को दी गई मंजूरी को भी पेश किया. अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रपति को अनुच्छेद 370 (3) के तहत पब्लिक नोटिफिकेशन से धारा 370 को खत्म करने का अधिकार है. गृह मंत्री ने बताया कि जम्मू कश्मीर में अभी राष्ट्रपति शासन है, इसलिए जम्मू-कश्मीर असेंबली के सारे अधिकार संसद में निहित हैं. राष्ट्रपति के आदेश को हम बहुमत से पारित कर सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक अब लोकसभा और राज्यसभा में सामान्य बहुमत के साथ सरकार इन दोनों बिलों को पास करा सकती है.
फाड़ी गई संविधान की कॉपी
अमित शाह जब संसद में अपना संकल्प पेश कर रहे थे उस वक्त कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां इसका जोरदार विरोध कर रही थीं. टीएमसी सदस्य डेरेक ओ ब्रायन रोल बुक लेकर जोर-जोर से कुछ बोलते रहे. गुलाम नबी आजाद समेत कई सांसद विरोध करते रहे. गुलाम नबी आजाद से इसे लोकतंत्र का काला दिन करार दिया.
इसी बीच पीडीपी के सांसद फैयाज ने अपना कुर्ता फाड़ दिया. पीडीपी के सांसद जोर-जोर से नारेबाजी कर रहे थे और तमाम विपक्षी नेता उनके साथ सुर में सुर मिला रहे थे. चेयरमैन नायडू ने कहा कि जम्मू कश्मीर रिजर्वेशन बिल को पेश किया जा रहा है पर विपक्ष उन्हें सुनने के मूड में नहीं था. इसी बीच पीडीपी सांसद लावे और बीजेपी सांसद विजय गोयल आपस में संविधान की कॉपी को लेकर खींचातान करते हुए नजर आए. इसी धक्कामुक्की में पीडीपी सांसद ने संविधान की कॉपी फाड़ दी, इसके बाद मार्शल दोनों पीडीपी सांसदों को सदन से बाहर ले गए.
BSP, AAP, BJD, TDP, AIADMK, YSRCP का समर्थन
बीजेपी को इस बिल पर संसद में कई विपक्षी पार्टियों का समर्थन मिला. बीएसपी सांसद सतीशचंद्र मिश्रा ने बिल का समर्थन करते हुए कहा अब देश के दूसरे हिस्से के मुसलमान भी वहां जायदाद खरीद पाएंगे. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, बीजेडी, टीडीपी, AIADMK और YSRCP ने भी सरकार के इस फैसले का समर्थन किया.
महबूबा-उमर ने बताया विनाशकारी कदम
नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले का जम्मू-कश्मीर की पार्टियां जोरदार विरोध कर रही हैं. राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि आज भारतीय लोकतंत्र का काला दिन है. अनुच्छेद 370 निरस्त करने का भारत सरकार का लिया गया एकतरफा फैसला गैर कानूनी और असंवैधानिक है. महबूबा ने कहा कि ये धार्मिक आधार पर एक और बंटवारा है. हमारा विशेष राज्य का दर्जा कोई गिफ्ट नहीं है, ये अधिकार भारत के संसद द्वारा गारंटी में दिया गया है. इसके लिए जम्मू-कश्मीर नेतृत्व और भारत के बीच समझौता हुआ था. महबूबा ने कहा कि इस समझौते का उल्लंघन हुआ है.
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि अनुच्छेद-370 को हटाना जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ एक धोखा है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर 1947 में जिस भरोसे के साथ भारत से जुड़ा था, आज वह टूट गया है. भारत सरकार के इस फैसले से भयानक नतीजे सामने आएंगे.