
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद राजनीतिक दलों के बीच गतिविधियां बढ़ गई हैं. कहीं गठबंधन की दरकार है तो कहीं अकेले ही हुंकार भरने की तैयार चल रही है. यहां आखिरी बार 2014 में विधानसभा चुनाव हुआ था. तब से अब तक दस साल के दरमियान काफी कुछ बदल गया है. खासतौर पर धारा 370 और 35-ए के निरस्त किए जाने के बाद से माहौल काफी बदला है.
जम्मू कश्मीर अब एक राज्या नहीं है, बल्कि यह एक केंद्रशासित प्रदेश है. हालांकि, यह स्टेटस अस्थायी है लेकिन आने वाले समय में इसे दोबारा राज्य बनाने की कोई संभावना नजर नहीं आती. 2019 के इसी अगस्त महीने में केंद्र सरकार ने 5-6 अगस्त को अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के लिए विधेयक पारित किया था, और इस दो हिस्सों में बांटकर केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया था.
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विधानसभा में बढ़ाई गई सात सीटें
केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के बाद भी विधानसभा सीटों की सीमाएं नहीं बदली गई हैं. हालांकि, सात सीटें विधानसभा में जोड़ी गई हैं, जिनमें छह जम्मू डिवीजन में हैं और एक सीट कश्मीर घाटी में बढ़ाई गई है. एक राज्य के तौर पर जम्मू कश्मीर विधानसभा में 87 सीटें थीं, और दो महिला सदस्यों को नामित करने का प्रावधान था. साथ ही, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 24 विधानसभा की सीटें फ्रीज और खाली थीं.
जम्मू कश्मीर विधानसभा (एक राज्य के तौर पर)
कहां, कितनी सीटें?
जम्मू कश्मीर विधानसभा (केंद्रशासित प्रदेश के तौर पर)
विस्थापित कश्मीरी पंडितों को भी मिलेगा मौका
विधानसभा सीटें बढ़ाए जाने के साथ ही केंद्र सरकार ने दो विस्थापित कश्मीरी पंडितों को भी विधायक के तौर पर नामित किए जाने का प्रावधान किया है. इनके अलावा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से विस्थापित समुदाय के एक सदस्य और दो महिलाओं को भी विधायक के तौर पर नामित करने का प्रावधान है.
मसलन, इस हिसाब से अब यहां विधानसभा में 90+2+1+2=95 सीटें हो गई हैं. साथ ही पीओके की 24 सीटें, जो खाली और फ्रीज हैं. जहां तक, जम्मू डिवीजन की बात है, तो हालिया लोकसभा चुनाव में बीजेपी यहां नंबर एक पार्टी रही है. पार्टी ने 29 विधानसभा सीटों में बढ़त बनाई.
जम्मू-कश्मीर में 2024 के लोकसभा चुनाव
1) बीजेपी ने 2 सीटें जीतीं
2) नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की
3) एक सीट पर निर्दलीय इंजीनियर राशिद ने जीत दर्ज की
2024 के लोकसभा नतीजों के मुताबिक विधानसभा में बढ़त
1) बीजेपी 29 विधानसभा क्षेत्रों में आगे चल रही थी
2) नेशनल कॉन्फ्रेंस 34 विधानसभा क्षेत्रों में आगे चल रही थी
3) कांग्रेस 7 विधानसभा क्षेत्रों में आगे चल रही थी
4) पीडीपी 5 विधानसभा क्षेत्रों में आगे चल रही थी
5) इंजीनियर राशिद 14 विधानसभा क्षेत्रों में आगे चल रहे थे
6) सज्जाद लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस 1 सीट पर आगे चल रही थी
जम्मू डिवीजन की राजनीति और रणनीति
अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में किए गए परिसमन में जम्मू डिवीजन को राजनीतिक रूप से मजबूत किया गया है. मसलन, इस क्षेत्र में छह नई सीटें जोड़ी गई हैं, जो को रणनीतिक रूप से बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. जम्मू डिवीजन में परिसीमन से पहले 37 सीटें थीं, जो अब 43 हो गई हैं.
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जम्मू डिवीजन में हमेशा से यह शिकायत रही है कि कश्मीर घाटी से ज्याजा बड़ा क्षेत्रफल होने के बावजूद विधानसभा में यहां के लोगों का प्रतिनिधित्व कम है. काफी हद तक यह शिकायत दूर हुई है, जिसका फायदा बीजेपी को हो सकता है. नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसी स्थानीय पार्टियों ने इसको लेकर आरोप भी लगया कि परिसीमन की कवायद बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है. वहीं बीजेपी का कहना है कि परिसीमन क्षेत्रीय असंतुलन को ठीक करने के लिए किया गया.
यहां गौर करने वाली बात यह है कि जम्मू डिवीजन की 43 सीटों में 34 सीटें ऐसी हैं, जो या तो हिंदू बहुल हैं और या फिर हिंदू मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. अब, बीजेपी का ये सभी 34 सीटें जीतने का प्लान है, और कुछ मुस्लिम बहुल सीटों पर जीत दर्ज करने की योजना है - खासतौर पर राजौरी और पुंछ इलाके में, जहां पार्टी को समर्थन मिलने की उम्मीद है.
कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दों पर ध्यान दे रही है, जैसे कि
1) स्मार्ट बिजली मीटर की स्थापना और इससे लोगों को होने वाली समस्याएं
2) जम्मू-कश्मीर में हाउस टैक्स लगाना
3) बढ़ती बेरोजगारी और भर्ती परीक्षाओं में अनियमितताएं
4) राज्य का दर्जा बहाल करने में देरी
5) स्थानीय व्यापारियों और व्यवसायियों की समस्याएं
6) जम्मू-कश्मीर के बाहर के ठेकेदारों को सरकारी परियोजना ठेके देना
7) जम्मू के पहाड़ी इलाकों में सुरक्षा की स्थिति में गिरावट, जहां पिछले 3 सालों में कई आतंकी हमले हुए हैं.
दूसरी ओर, बीजेपी इन मुद्दों को उजागर करेगी
1) पिछले 10 सालों में जम्मू क्षेत्र में विकास
2) जम्मू क्षेत्र में आईआईटी, आईआईएम, आईआईएमसी और एम्स की स्थापना हुई है
3) सड़क संपर्क में सुधार हुआ है। पहाड़ी इलाकों के दूर-दराज के गांवों में नई सड़कें बनाई गई हैं
4) जम्मू-कश्मीर के सभी निवासियों के लिए आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना से लाभ. इस योजना के अंतर्गत पूरी आबादी को शामिल किया गया.
5) केंद्रीय कल्याणकारी योजनाओं का जम्मू-कश्मीर तक विस्तार.
6) पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों, वाल्मीकि समाज और गोरखा समुदाय के लिए निवास और विधानसभा चुनावों में मतदान का अधिकार
7) पर्यटन में भारी उछाल, खासकर धार्मिक पर्यटन में
बीजेपी के लिए चुनौती
बीजेपी के सामने एक बड़ी चुनौती स्थानीय पार्टियां और कांग्रेस है, जिसका स्थानीय स्तर पर बीजेपी के मुकाबले पैठ अच्छी है. कांग्रेस का प्लान है कि वो जम्मू डिवीजन में बीजेपी को 20 सीटों पर सिमटाए, ताकि विधानसभा में स्थानीय पार्टियों के साथ सरकार में शामिल हो सके. बीजेपी, को लेकर कई बार स्थानीय स्तर पर विरोध भी देखा गया है. हालांकि, हाल के महीनों में इसमें बदलाव भी हुआ है, जहां कई स्थानीय नेताओं ने पार्टी का झंडा उठाया. अगर कांग्रेस जम्मू डिवीजन में कुछ सीटें जीतने में कामयाब होती है तो बीजेपी का सरकार बनाने का सपना चकनाचूर हो सकता है.