Advertisement

महबूबा के ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर कश्मीर में सिनेमा को लेकर छिड़ी बहस

मंगलवार को मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, ‘मैं सऊदी अरब की ओर से सिनेमा हॉल पर एक दशक पुराने प्रतिबंध को हटाने के फैसले का स्वागत करती हूं, जो वहां के क्राउन प्रिंस की ओर से सामाजिक सुधारों की कड़ी के हिस्से के तौर पर उठाया गया है. आत्मावलोकन और आत्म-सुधार प्रगतिशील समाज की पहचान हैं.’  

जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती
राम कृष्ण/खुशदीप सहगल
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 1:01 AM IST

कश्मीर में सिनेमा हॉलों को दोबारा खोला जाना चाहिए या नहीं चाहिए? इसे लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है. दरअसल, मंगलवार को जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट के जरिए सऊदी अरब में सिनेमा हॉल खोले जाने का स्वागत किया था. इसके बाद कश्मीर में सिनेमा हॉल खोलने की संभावना के पक्ष और विपक्ष में सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है.  

Advertisement

कश्मीर में किसी वक्त सिनेमा हॉल में फिल्में देखने का खूब चलन था. साथ ही सांस्कृतिक गतिविधियां भी बड़े पैमाने पर होती थीं. साल 1990 से घाटी का माहौल अशांत होने के साथ ही हर तरह के मनोरंजन पर विराम लग गया. सबसे ज्यादा चोट सिनेमा हॉल बंद होने से फिल्म कारोबार को लगी.

मंगलवार को मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, ‘मैं सऊदी अरब की ओर से सिनेमा हॉल पर एक दशक पुराने प्रतिबंध को हटाने के फैसले का स्वागत करती हूं, जो वहां के क्राउन प्रिंस की ओर से सामाजिक सुधारों की कड़ी के हिस्से के तौर पर उठाया गया है. आत्मावलोकन और आत्म-सुधार प्रगतिशील समाज की पहचान हैं.’    

सीएम महबूबा के ट्वीट के समर्थन में सोशल मीडिया पर राय रखने वाले लोगों ने कहा कि जिस तरह स्पोर्ट्स सेक्टर ने युवाओं के लिए अवसरों के द्वार खोले हैं, उसी तरह सिनेमा हॉल भी दोबारा खुलते हैं, तो वो स्वागत योग्य होगा. यद्यपि आलोचना करने वालों ने कहा कि सिनेमा हॉल कैम्पस में सुरक्षा बल मौजूद हैं. उन्हें हटाने के लिए पहल कौन करेगा? ट्वीटर पर एक यूजर ने सवाल किया कि घाटी में और भी बहुत से मुद्दे है, जिन पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है. सरकार इस मुद्दे (सिनेमा हॉल) पर ही फोकस क्यों कर रही है?

Advertisement

जम्मू-कश्मीर के कैबिनेट मंत्री नईम अख्तर ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, “हमें सिनेमा खोलने चाहिए. समाज के लोगों की ओर से पहला कदम उठाया जाए. सरकार सुरक्षा की जिम्मेदारी लेगी. सरकार अपनी ओर से दखल नहीं दे सकती. ये सामाजिक प्रतिबंध है. अधिकतर लोग घरों पर फिल्में देखते हैं. लोगों को मनोरंजन चाहिए. नागरिकों के पास परिवार के साथ बाहर जाने के लिए वजह और विकल्प होगा.”

सूत्रों का कहना है कि सरकार की फिलहाल सिनेमा हॉल को दोबारा खोलने की कोई योजना नहीं है. हालांकि इस प्रस्ताव को लेकर जो समूह भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं, सरकार उन्हें सकारात्मक रुख दिखा रही है. किसी वक्त श्रीनगर में नीलम और पैलेडियम में बॉलीवुड की फिल्में देखने के लिए खूब लोग आते थे, लेकिन अशांति के दौर में सब बदल गया. ये दोनों सिनेमा हॉल सुरक्षा बलों के कैम्प में तब्दील हो गए. जहां कभी सिनेमा के मुरीद लोगों की नई फिल्में देखने के लिए कतारें नजर आती थीं, अब इन सिनेमा हॉल में कंटीले तारों की बाड़ और टीन शेड नजर आते हैं.

साल 1999 में रीगल सिनेमा को दोबारा शुरू करने की कोशिश हुई थी, लेकिन इस सिनेमा पर आतंकियों ने हथगोलों से हमला किया. इसके बाद से फिर रीगल को दोबारा खोलने की कभी कोशिश नहीं हुई. अब देखना यह है कि महबूबा मुफ्ती के इस बयान का राज्य में क्या असर होता है?

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement