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500 लोगों की भीड़ में छिपे आतंकियों ने की थी जवानों पर फायरिंग, आत्मरक्षा में चलाई गोली: सेना

सेना ने कहा कि दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के एक गांव में पत्थरबाजों की भीड़ पर तब गोलीबारी की गई थी, जब भीड़ में छिपे आतंकवादियों ने गश्ती दल पर गोलीबारी की. जवाबी कार्रवाई के दौरान सेना की गोलीबारी में तीन नागरिकों की मौत हो गई थी.

कश्मीर में सेना पर पथराव करते लोग. (फाइल फोटो) कश्मीर में सेना पर पथराव करते लोग. (फाइल फोटो)
राहुल विश्वकर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 07 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 6:54 AM IST

कश्मीर के कुलगाम जिले में आज पत्थरबाजों की भीड़ में कुछ आतंकवादी भी छिपे थे, जो सेना पर फायरिंग कर रहे थे. सेना ने बयान जारी कर कहा कि आज 400-500 लोगों की आक्रामक भीड़ ने सेना पर हमला किया था. भीड़ ने जवानों पर पत्थर ही नहीं, पेट्रोल बम तक बरसाए. तब जाकर जवानों को आत्मरक्षा में फायरिंग करनी पड़ी.

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सेना ने कहा कि दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के एक गांव में पत्थरबाजों की भीड़ पर तब गोलीबारी की गई थी, जब भीड़ में छिपे आतंकवादियों ने गश्ती दल पर गोलीबारी की. जवाबी कार्रवाई के दौरान सेना की गोलीबारी में तीन नागरिकों की मौत हो गई थी.

समाचार एजेंसी आईएएनएस की खबर के मुताबिक रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने बयान में कहा कि कुलगाम के हवूरा गांव में एक गश्ती दल भारी पथराव की चपेट में आ गया. उन्होंने कहा कि गश्ती दल ने वहां से निकलने की कोशिश की, लेकिन 400-500 लोगों की आक्रामक भीड़ ने गश्ती दल का पीछा किया. भीड़ बढ़ती जा रही थी और वे खतरनाक स्तर तक करीब आ गए थे.

कर्नल कालिया ने कहा कि सैनिकों ने अत्यंत संयम बरतते हुए पत्थरबाजों को चेतावनी दी. लेकिन वे बाज नहीं आए और गश्ती दल पर पेट्रोल बम और पत्थर फेंकते रहे. उन्होंने कहा कि एक समय तो कुछ अज्ञात आतंकवादियों ने गश्ती दल पर गोलीबारी भी की. इसके परिणाम स्वरूप कुछ सैनिकों को गंभीर चोटें भी आईं.

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प्रवक्ता ने कहा कि इसके जवाब में सैनिकों ने अपनी सुरक्षा में नियंत्रित गोलीबारी की, जिसके परिणामस्वरूप जनहानि हुई. जमीनी सच्चाई का पता लगाने के लिए मामले की जांच की जा रही है.

गौरतलब है कि ऐसा ही हमला जून में श्रीनगर के नौहट्टा में भी किया गया था. उस समय भी तकरीबन 500 लोगों की भीड़ सीआरपीएफ की जिप्सी पर हमला बोल दिया था. हालांकि उस वक्त जवानों ने संयम बरतते हुए फायरिंग नहीं की थी. लेकिन उनकी जिप्सी के नीचे आने से एक पत्थरबाज की मौत हो गई थी.

बता दें कि हिंसक झड़प के बाद कुलगाम और अनंतनाग में इंटरनेट सेवा बंद कर दिया गया है. इस झड़प में 3 जवान समेत 13 से ज्यादा लोग घायल हो गए. सेना और पत्थरबाजों के बीच ये झड़प आतंकी बुरहान वानी की दूसरी बरसी से पहले बुलाए गए बंद के दौरान हुई थी.

बंद के दौरान किसी भी अनहोनी से बचने के लिए रविवार को रवाना होने वाली अमरनाथ यात्रा पर रोक लगा दी गई है. जम्मू कश्मीर के डीजीपी डॉ. एसपी वैद ने इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि रविवार को आतंकी बुरहान वानी की बरसी पर कश्मीर बंद का आह्वान किया गया है, जिसके कारण सुरक्षा के मद्देनजर रविवार को अमरनाथ यात्रा पर रोक लगा दी गई है. इससे करीब 1000 की संख्या में अमरनाथ यात्रियों को कठुआ में रुकना पड़ा है. वहीं, 15000 से ज्यादा यात्रियों को जम्मू, उधमपुर और रामबान जिले में रोका गया है.

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इंटेलिजेंस के सूत्रों के मुताबिक आतंकी बुरहान की बरसी पर आतंकी हमले से बचने के लिए जम्मू कश्मीर में श्रीनगर नेशनल हाईवे के 300 किलोमीटर के इलाके में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है. इससे पहले जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के अध्यक्ष यासीन मलिक को हिरासत में ले लिया गया, जबकि हुर्रियत कांफ्रेंस के नरमपंथी धड़े के प्रमुख मीरवायज उमर फारुक को उनके निगीन आवास पर नजरबंद कर दिया गया है.

पुलिस अधिकारी ने बताया कि मलिक को मैसूमा में उनके घर से हिरासत में लिया गया. उन्हें मैसूमा थाने में हवालात में रखा गया है. हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी हैदरपुरा में अपने घर पर अब भी नजरबंदी में हैं. वैसे उन्हें समीप की मस्जिद में जुमे की नमाज पढ़ने जाने दिया गया, लेकिन फिर से नजरबंद कर दिया गया.

गौर हो कि अलगाववादियों ने 8 जुलाई को घाटी में हड़ताल का आह्वान किया है. अधिकारी के अनुसार प्रशासन ने भी ग्रीष्मकालीन राजधानी के नौहट्टा इलाके में जामिया मस्जिद के आसपास धारा 144 लगा दी और वहां जुम्मे की नमाज नहीं पढ़ने दी गयी. आतंकी वानी 8 जुलाई, 2016 को दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग जिले के कोकरनाग में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था. उसके मारे जाने के बाद घाटी में लंबे समय तक प्रदर्शन हुआ था. 

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