
जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर राजनीतिक हलचल बढ़ गई है. बीते दिन जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को रिहा कर दिया गया, जिसके बाद पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं की बैठक हुई. गुरुवार को एक और बैठक हुई, जिसमें जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने ‘गुपकार समझौते’ पर चर्चा की. इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी समेत अन्य पार्टियों के नेता शामिल हुए. ये बैठक नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला द्वारा बुलाई गई थी.
फारूक अब्दुल्ला ने रखी ये मांग
गुपकार बैठक में फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हम महबूबा मुफ्ती को 14 महीने बाद हुई उनकी रिहाई के लिए बधाई देने के लिए इकट्ठा हुए हैं. हमने इस गठबंधन को गुपकार घोषणा कहने का फैसला किया है. हम भारत सरकार से राज्य के लोगों का अधिकार वापस मांगते हैं. जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक मुद्दे को हल करने की जरूरत है. हम सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने की मांग करते हैं. हम फिर से मिलेंगे और एक रणनीति तैयार करेंगे.
जम्मू-कश्मीर में नए गठबंधन की घोषणा
गुपकार बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की पार्टियां, जो गुपकार घोषणा की हस्ताक्षरकर्ता हैं, ने एक गठबंधन बनाया है और इसे पीपुल्स अलायंस कहा है. बता दें कि गुपकार घोषणा में इन राजनीतिक दलों ने जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति के साथ छेड़छाड़ की अनुमति नहीं देने की कसम खाई थी.
फारूक अब्दुल्ला ने बुलाई थी गुपकार बैठक
ये बैठक नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला द्वारा बुलाई गई थी, जिसमें उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, सज्जाद लोन समेत वो नेता शामिल हुए, जिन्होंने चार अगस्त 2019 को साझा बयान जारी किया था. फारूक अब्दुल्ला के घर हो रही इस खास बैठक में शामिल होने के लिए पीडीपी मुखिया और राज्य की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती पहुंचीं थीं. पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के कई अन्य नेता भी पहुंचे थे. मीटिंग को देखते हुए वहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था भी की गई थी. जानकारी के मुताबिक यह बैठक करीब दो घंटे चली.
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने और नेताओं की रिहाई के बाद ये पहली बड़ी बैठक हुई है. जिसमें जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक हालात पर मंथन किया गया. सभी नेताओं ने अनुच्छेद 370 हटाने को गलत ठहराया है और वापस इसे लागू करने की मांग की है.
दरअसल, 5 अगस्त 2019 को जब अनुच्छेद 370 हटाई गई तो उससे पहले ही जम्मू-कश्मीर में हलचल बढ़ने लगी थी. तब घाटी के नेताओं ने एक साझा बयान जारी किया था, जिसमें अनुच्छेद 35A और 370 को खत्म करना या बदलना असंवैधानिक कहा गया था. साथ ही कहा गया था कि राज्य का बंटवारा कश्मीर और लद्दाख के लोगों के खिलाफ ज्यादती है. इसे ही बाद में गुपकार समझौता कहा गया.
गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद सरकार ने एहतियातन तौर पर कई नेताओं को नजरबंद किया था. इनमें फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन भी शामिल थे, जिन्हें अब रिहा कर दिया गया है. इसी के बाद घाटी में फिर से राजनीतिक हलचल बढ़ने लगी है.
महबूबा मुफ्ती ने अपनी रिहाई के बाद बयान दिया था कि जो दिल्ली ने हमसे छीना है वो हम वापस लेंगे और काले दिन के काले इतिहास को मिटाएंगे. इसके अलावा फारूक अब्दुल्ला ने भी बीते दिन कहा था कि चीन अनुच्छेद 370 वापस दिलाने में उनकी मदद कर सकता है.