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J-K: पाकिस्तान की मदद करने वालों पर एक्शन, कश्मीर यूनिवर्सिटी के PRO समेत 3 अधिकारी सस्पेंड 

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारों पर काम करने वाले तीन मददगार पकड़े गए हैं. इनमें से एक कश्मीर यूनिवर्सिटी में पीआरओ के रूप में काम कर रहा था, जबकि दूसरा राजस्व विभाग और तीसरा कश्मीर पुलिस में सिपाही है. इन तीनों को सस्पेंड कर दिया गया है.

पाकिस्तान की मदद करने वाले तीन अधिकारियों पर एक्शन पाकिस्तान की मदद करने वाले तीन अधिकारियों पर एक्शन
सुनील जी भट्ट
  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 2:18 PM IST

भारत में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के इशारों पर काम करने वाले तीन मददगार पकड़े गए हैं. ये तीनों जम्मू-कश्मीर में सरकारी अधिकारियों के तौर पर काम कर रहे थे. आतंकियों के लिए काम करने वाले तीनों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है. 

आईएसआई के इशारों पर आतंकियों के लिए काम करने वालों में एक कश्मीर यूनिवर्सिटी में पीआरओ है, जिसका नाम फहीम असलम है. दूसरा कश्मीर पुलिस का सिपाही अर्शिद अहमद है. इसके अलावा एक शख्स हुसैन मीर है, जोकि राजस्व विभाग में तैनात था. 

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तीनों अधिकारी नौकरी से निकाले गए 

खुफिया जांच में पता चला कि ये तीनों पाकिस्तानी आतंकियों की मदद कर रहे थे. आतंकियों के लिए काम कर रहे थे. अब इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है. ऐसा पहली बार नहीं है, जब आतंकियों के लिए काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों की पहचान की गई है.

महबूबा ने LG को निशाने पर लिया

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की मदद करने के आरोप में तीन अधिकारियों को सस्पेंड करने पर पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने एलजी पर निशाना साधा है. महबूबा ने ट्टीट कर कहा कि ऐसे समय में जब राज्य बेरोजगारी से जूझ रहा है, ऐसे में 'टेरर लिंक' जैसे बेतुके कारणों पर आजीविका का अपराधीकरण केवल विश्वास की कमी को गहरा कर रहा है. यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)बी का दुरुपयोग करके किया जा रहा है. 

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कौन है फहीम असलम? 

फहीम असलम कश्मीर यूनिवर्सिटी में पीआरओ के रूप में काम करने वाला एक कट्टर अलगाववादी है. वह कश्मीर घाटी में आतंकियों और आतंकी संगठनों का प्रचारक भी रहा है. उसे साल 2008 में कश्मीर यूनिवर्सिटी में संविदा कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया गया था और बाद में उसे परमानेंट कर दिया गया. अलगाववादी और आतंकवादी अभियान के लिए उसे यूनिवर्सिटी का पीआरओ नियुक्त किया गया क्योंकि यूनिवर्सिटी परिसर को अलगाववादी सक्रियता के केंद्रों में से एक माना जाता था. 

अबतक 50 सरकारी कर्मचारियों की हुई पहचान  

जम्मू-कश्मीर में कई सरकारी कर्मचारी, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और आतंकियों के लिए काम करते रहे हैं. प्रदेश में से जबसे धारा 370 और 35A हटाई गई है, तबसे ही 50 सरकारी कर्मचारियों को आतंकियों की मदद करने की वजह से निकाला जा चुका है. 

 

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