
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे. इस आतंकी हमले के बाद कश्मीर के हालात को लेकर तमाम बातें की जा रही हैं. ऐसे में मोदी सरकार में विदेश राज्य मंत्री और पूर्व सेना अध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने खुले तौर पर तो नहीं, लेकिन इशारों-इशारों में मनमोहन सिंह की कश्मीर नीति की तारीफ की है.
वीके सिंह कहा कि कश्मीर का मुद्दा सरल नहीं है. यह एक छद्म युद्ध का मुद्दा है. दक्षिण कश्मीर इलाके में 2005-2012 तक शांती रही, लेकिन ऐसी क्या वजह है जो 2012 के बाद से इस तरह की घटनाओं में इजाफा हो रहा है?
बता दें कि वीके सिंह दक्षिण कश्मीर में जिस दौरान शांति रहने की बात कर रहे हैं. उस समय देश में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे. मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री थे. ऐसे में वीके सिंह ने कहा कि 2012 के बाद ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं, ये मनमोहन सिंह के आखिरी दौर और मोदी सरकार के दौरान की बात कर रहे हैं.
जनरल वीके सिंह ने कहा कि किसी एक नीति की सफलता या असफलता को एक मुद्दे के आधार पर तय नहीं किया जा सकता है. पुलवामा में सोमवार को हुए एनकाउंटर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अभी एक एनकाउंटर हुआ, जहां पर हमारे तीन जवान शहीद हो गए. इसका मतलब ये नहीं हुआ कि वहां हालात खराब हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि इस एनकाउंटर में 2 आतंकवादियों को सुरक्षाबलों ने मौत के घाट भी उतार दिया.
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि कश्मीर का मुद्दा सरल नहीं है. यह एक छद्म युद्ध का मुद्दा है. यह एक ऐसा मामला है जिसके लिए पहले काम होना चाहिए था. उन्होंने कहा कि यह वहीं दक्षिण कश्मीर है जो 2005 से लेकर 2012 तक शांत रहा.
उन्होंने कहा कि ऐसी क्या वजह है कि 2012 के बाद से दक्षिण कश्मीर इलाके में इतनी तेजी से घटनाओं में वृद्धि देखी जाने लगी. क्या आपने इसका विश्लेषण किया है? ऐसा क्यों हुआ? उन्होंने कहा कि कुछ युवाओं को पत्थर फेंकने के लिए, कुछ को गाड़ी पर खड़े होकर 'हम क्या चाहते, आजादी' का नारा लगाने के लिए पैसे दिए जाते हैं. लेकिन यह पूरे कश्मीर के युवाओं की भावनाओं को नहीं दर्शाता है.
वीके सिंह ने कहा कि कश्मीर में बहुत काम हुआ है, हम और ज्यादा काम कर सकते हैं. सूबे जो युवा पत्थर लिए रहते हैं उस दिशा में हम बहुत कुछ सफल हुए और कुछ नहीं हुए. मैं इस बात को लेकर सकारात्मक हूं कि सरकार सुनिश्चित कर रही हैं कि इन मुद्दे को बहुत गंभीरता से हैंडिल किया जाए.