
भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्क ब्रिज बन रहा है. रेल मंत्रालय और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट करके एक वीडियो शेयर करते हुए इस ब्रिज के कुछ फैक्ट्स की जानकारी दी है. रेल मंत्री पीयूष गोयल द्वारा शेयर वीडियो के अनुसार चिनाब नदी पर बन रहे इस आइकॉनिक रेलवे आर्क ब्रिज की लंबाई 1315 मीटर है. वहीं, नदी तल से ऊंचाई 359 मीटर है. ब्रिज के एक तरफ के पिलर यानी खंभे की ऊंचाई 131 मीटर है.
इस पुल के निर्माण में 10 साल से अधिक का समय लग चुका है जो 1315 मीटर लंबे पुल के दोनों ओर बक्कल और कौरी क्षेत्रों को जोड़ता है. पुल जोन-5 की उच्च तीव्रता के साथ भूंकप के झटके को सहन कर सकता है. पुल को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि उसकी आयु कम से कम 120 वर्ष हो.
इस पर पटरियां इस हिसाब से बिछायीं जाएंगी कि गाड़ी अधिकतम 100 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चल सके. हालांकि गाड़ी 30 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से ही चलेगी. लगभग 28660 टन इस्पात से निर्मित यह पुल 266 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चलने वाले तूफान को भी झेलने में समर्थ होगा.
ढांचे के विभिन्न भागों को जोड़ने के लिए लगभग 584 किलोमीटर वेल्डिंग की गई है जो जम्मू तवी से दिल्ली की दूरी के बराबर है. पुल को आतंकवादियों एवं बाहरी हमले से बचाव के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रबंध किये गये हैं क्योंकि पुल से पाकिस्तान की हवाई दूरी सिर्फ 65 किलोमीटर है.
मेहराब के 359 मीटर नीचे बह रही चिनाब नदी के ठीक ऊपर पुल बनाना काफी जोखिम भरा था. यह उपलब्धि कटरा से बनिहाल तक 111 किलोमीटर लंबे खंड को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इस पुल का निर्माण भारत में किसी रेल परियोजना के सामने आने वाली सबसे बड़ी सिविल-इंजीनियरिंग की चुनौती है.
इस पुल की ऊंचाई, चीन में बीपन नदी पर बने ड्यूग पुल की ऊंचाई से भी अधिक है. पुल के उत्तरी छोर पर केबल क्रेन के पाइलन की ऊंचाई 127 मीटर है जो कुतुब मीनार की ऊंचाई से 72 मीटर से भी अधिक है. वहीं फ्रांस की राजधानी पेरिस के प्रतिष्ठित एफिल टॉवर से भी यह पुल 35 मीटर ऊंचा है.
इस काम के पूरा होने के साथ ही यहां बनाए गए रोड नेटवर्क से क्षेत्र के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में तेजी के साथ यातायात के नये एवं बेहतर रास्ते खुले हैं.
एक दशक से अधिक समय से निर्माणाधीन इस पुल के काम में इस चरण के पूरा होने के बाद आगे का काम आसान हो गया है. यह पुल लंबे समय से चले आ रहे बारामूला-ऊधमपुर रेल मार्ग का महत्वपूर्ण हिस्सा है. इससे कन्याकुमारी से कश्मीर तक ट्रेन पहुंचने में सक्षम हो सकेगी.