Advertisement

शहादत दिवस पर कश्मीर के नेताओं ने किया 'हाउस अरेस्ट' का दावा, महबूबा मुफ्ती ने शेयर की बंद गेट की तस्वीर

महबूबा मुफ्ती ने कहा, '5 अगस्त, 2019 को, जम्मू-कश्मीर को खंडित कर दिया गया, शक्तिहीन कर दिया गया और वह सब कुछ छीन लिया गया जो हमारे लिए पवित्र था. इस तरह के हमले केवल हमारे अधिकारों और सम्मान के लिए लड़ाई जारी रखने के हमारे दृढ़ संकल्प को मजबूत करेंगे.'

महबूबा मुफ्ती ने शेयर की बंद गेट की तस्वीर महबूबा मुफ्ती ने शेयर की बंद गेट की तस्वीर
aajtak.in
  • श्रीनगर,
  • 13 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 10:56 PM IST

जम्मू-कश्मीर के नेताओं उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को दावा किया कि उन्हें कश्मीर शहादत दिवस पर मजार-ए-शुहादा पर जाने से रोकने के लिए घर में नजरबंद कर दिया गया. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने आवास के गेट पर लगे ताले की तस्वीर शेयर की.

उन्होंने कहा, 'मुझे मजार-ए-शुहादा जाने से रोकने के लिए मेरे घर के दरवाजे पर एक बार फिर से ताला लगा दिया गया.' मुफ्ती ने अपने ट्वीट में लिखा, 'आज इस दिन शहीद हुए प्रदर्शनकारियों की याद में इसे मनाना भी अपराध घोषित कर दिया गया है.'

Advertisement

'इस तरह के हमले हमें मजबूत करेंगे'

हर साल 13 जुलाई को जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों के नेता उन 22 प्रदर्शनकारियों को श्रद्धांजलि देने के लिए श्रीनगर में मजार-ए-शुहादा जाते हैं, जिन्हें 1931 में तत्कालीन राजा की सेना ने गोली मार दी थी. केंद्र पर निशाना साधते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह 'हमारी यादों से उन्हें मिटाने' का एक प्रयास है.

महबूबा मुफ्ती ने कहा, '5 अगस्त, 2019 को, जम्मू-कश्मीर को खंडित कर दिया गया, शक्तिहीन कर दिया गया और वह सब कुछ छीन लिया गया जो हमारे लिए पवित्र था. इस तरह के हमले केवल हमारे अधिकारों और सम्मान के लिए लड़ाई जारी रखने के हमारे दृढ़ संकल्प को मजबूत करेंगे.'

उमर अब्दुल्ला ने जताई नाराजगी

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भी एक्स पर जम्मू-कश्मीर में 'न्यायसंगत, निष्पक्ष और लोकतांत्रिक शासन' स्थापित करने के लिए अपने जीवन का बलिदान देने वालों को श्रद्धांजलि देने से रोकने के लिए 'पुलिस की कार्रवाई' पर नाराजगी जताई.

Advertisement

उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'एक और 13 जुलाई, शहादत दिवस, दरवाजे बंद करने का एक और दौर... देश में हर जगह इसे मनाया गया होगा, लेकिन जम्मू-कश्मीर में प्रशासन इन बलिदानों को नजरअंदाज करना चाहता है. यह आखिरी साल है जब वे ऐसा कर पाए.' उन्होंने कहा, 'इंशा अल्लाह अगले साल हम 13 जुलाई को इसे गंभीरता और सम्मान के साथ मनाएंगे.'

क्यों मनाया जाता है शहादत दिवस?

13 जुलाई 1931 को श्रीनगर में सेंट्रल जेल के बाहर डोगरा सेना की ओर से की गई गोलीबारी में 22 प्रदर्शनकारी मारे गए थे. घाटी की मुख्यधारा की दोनों राजनीतिक पार्टियां और अलगाववादी समूह इस बात का दावा करते हैं कि डोगरा शासन से कश्मीर की आजादी की पहली लड़ाई इसी दिन शुरू हुई थी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement