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CM महबूबा की दो टूक- अमेरिका-चीन अपना काम संभालें, कश्मीर हमारा मामला

महबूबा ने कहा कि जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाहौर में कहा था, कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए भारत और पाकिस्तान को बातचीत करनी चाहिए. महबूबा ने आगे सवाल करते हुए कहा, 'क्या फारूक अब्दुल्ला को पता नहीं है कि सीरिया और अफगानिस्तान में क्या हुआ?'

जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती
नंदलाल शर्मा
  • नई दिल्ली ,
  • 22 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 4:01 PM IST

जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रेसिडेंट फारूक अब्दुल्ला के कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता को लेकर दिए बयान पर पलटवार किया है. महबूबा ने कहा कि अगर चीन और अमेरिका कश्मीर में हस्तक्षेप करेंगे, तो घाटी के हालात सीरिया और अफगानिस्तान जैसे हो जाएंगे.

मुख्यमंत्री ने कहा, 'चीन और अमेरिका अपना काम करें. हमें पता है कि उन देशों की हालत क्या है, जहां अमेरिका ने हस्तक्षेप किया है. अफगानिस्तान, सीरिया या इराक के हालात हमारे सामने हैं.'

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महबूबा ने कहा कि सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत से ही कश्मीर मुद्दे का समाधान हो सकता है.

उन्होंने कहा कि जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाहौर में कहा था, कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए भारत और पाकिस्तान को बातचीत करनी चाहिए. महबूबा ने आगे सवाल करते हुए कहा, 'क्या फारूक अब्दुल्ला को पता नहीं है कि सीरिया और अफगानिस्तान में क्या हुआ?'

दरअसल जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रेसिडेंट फारूक अब्दुल्ला के उस बयान पर प्रतिक्रिया दे रही थीं, जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका और चीन को कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए दखल देना चाहिए.

फारूक ने कहा था कि वैश्विक स्तर पर भारत के कई सहयोगी देश हैं, जिनसे कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए मदद ली जा सकती है और सहयोगी देश भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कर सकते हैं.

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उन्होंने कहा, 'कितने वक्त तक आप कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए इंतजार करेंगे. कभी कभी समस्या के समाधान के लिए सीधे भिड़ना पड़ता है और यह तरीका बातचीत का है. वैश्विक स्तर पर भारत के कई सहयोगी देश हैं. उनसे मध्यस्थता के लिए कहा जा सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद कहा है कि वो कश्मीर समस्या के समाधान में दखल देने के इच्छुक हैं. चीन पहले ही कह चुका है कि वो कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता का इच्छुक है. किसी से तो संपर्क किया ही जा सकता है.'

 

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